ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों त्रिदेव में भगवान बसे हैं कथा वाचक
ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों त्रिदेव में भगवान बसे हैं कथा वाचक
मसौली बाराबंकी।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों त्रिदेव में भगवान विष्णु को संसार के पालनहार का स्थान प्राप्त है और इनके भक्त वैष्णव कहलाते हैं। गुरू भगवान के भक्त उन्हें कई नामों से बुलाते हैं कोई उन्हें जगन्नाथ भगवान के रूप में पूजता है तो कोई कृष्ण के रूप में तो कोई पदमनाभ स्वामी के रूप में और कोई रंगनाथ स्वामी के रूप में पूजा करता है। इन सारे ही रूपों का मूल श्री विष्णु ही हैं।
उक्त सद्विचार कस्बा मसौली स्थित काली शक्ति पीठ मन्दिर पर चल रही सात दिवसीय भगवतकथा में भक्तों को प्रवचन सुनाते हुए कथावाचिका ज्योतिमा शास्त्री ने कही उन्होंने कहा कि गुरूवार यानि ब्रहस्पतवार भगवान विष्णु को समर्पित दिन माना जाता है। इन्हें सत्य नारायण भगवान के नाम से भी पूजा जाता है, परंतु इस दिन इनकी पूजा और व्रत गुरू भगवान के रूप में की जाती है।
कथावाचिका ने भगवान शिव की उत्पत्ति की कथा सुनाते हुए कहा कि एक बार देवर्षि नारद ने अपने पिता ब्रह्मा जी से पूछा कि इस संसार का सृजन किसने किया है? आपका, भगवान विष्णु तथा भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ है? आपके माता और पिता कौन हैं? नारद जी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए ब्रह्मा जी ने तब त्रिदेवों के जन्म की कथा सुनाई।
उन्होंने बताया कि भगवान सदाशिव आदि ब्रह्म हैं। वह ईश्वर हैं। परम ब्रह्म सदाशिव ने अपने शरीर से आदिशक्ति का सृजन किया। देवी आदिशक्ति ही पार्वती हैं। वह प्रकृति हैं, महामाया हैं, बुद्धित्व और विवेक की जननी तथा विकार रहित हैं। भगवान सदाशिव तथा आदिशक्ति के योग से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति हुई। प्रकृति रुपी आदिशक्ति दुर्गा ही माता हैं और परम ब्रह्म सदाशिव पिता हैं। कथा के प्रथम दिन भारी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।
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