ग्राम सचिवालय में मंत्री के आने के दिन ही उपस्थित रहे जिम्मेदार

ग्राम सचिवालय में मंत्री के आने के दिन ही उपस्थित रहे जिम्मेदार

पंचायत सहायक तैनात होने के बाद भी सुविधाएं मिलने में हो रही दिक्कत


स्वतंत्र प्रभात-

अंबेडकरनगर।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पंचायत भवन का निर्माण कराया गया है ताकि ग्राम प्रधान सचिव पंचायत सहायक व अन्य अधिकारी व कर्मचारी उसमें बैठे और लोगों की समस्याओं को सुनने के साथ ही उसका निदान करें। गत दिनों पंचायती राज दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गांवों में मिनी सचिवालयों की स्थापना पर जोर दिया है। अधिकांश गांवों में मिनी सचिवालय बने भी हैं। मीडिया की टीम ने जब इनमें मिलने वाली सुविधाओं की पड़ताल की तो पाया कि योजना लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। गांव को डिजिटल करने के उद्देश्य से पंचायत सहायकों की तैनाती भी की जा चुकी है। ग्रामीणों को गांव में ही सुविधा उपलब्ध कराने के लिए खोले गए ग्राम सचिवालय आज मात्र दिखावा रह गए हैं। नवनिर्मित पंचायत भवन में ताला लटक रहा है। 

अभी सभी गांवों में मिनी सचिवालय नहीं बन सके हैं।

जहां बने भी हैं वहां उनमें संबंधित कर्मचारी नहीं बैठ रहे हैं। जो कि मीडिया की पड़ताल में देखने को मिला। 11:00 बजे ग्राम सचिवालय हुसैनपुर सकरवारी का ताला सफाई कर्मी द्वारा खोला गया परंतु वहां पर सफाई कर्मी के अलावा कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं रहा। ग्राम सचिवालय के अंदर कमरों में धूल का अंबार देखने को मिला। जैसे कई सप्ताह से ताला  ही ना खोला गया हो ।ऐसे में ग्रामीणों को अपने कार्यों के लिए ब्लाक मुख्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

इस संदर्भ में ग्राम प्रधान से वार्ता करने के पश्चात बताया गया।

कोई भी कर्मचारी अपने समय से नहीं आता। प्रधान द्वारा बताया गया कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति तो प्रशासन ने कर दी है परंतु उनके पास किसी भी प्रकार की डिग्री या डिप्लोमा नहीं है और ना ही जानकारी।ग्रामीणों ने बताया कि सचिव गांव में 15-15 दिन तक गांव में नहीं आते हैं। ग्रामीणों द्वारा यह भी कहा गया हफ्ते में एक दिन ग्राम सचिवालय गुलजार होता है इससे लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है।ऐसे में ये सचिवालय शासन की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। मोबाइल भी स्विच ऑफ रखते हैं अगर मोबाइल स्विच ऑफ नहीं रहती तो फोन नहीं उठता। जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र, परिवार रजिस्टर नकल आदि प्रपत्र लेने के लिए उन्हें भटकना पड़ रहा है।ग्राम पंचायत में मिनी सचिवालय तो बना हैं, लेकिन उनमें अभी ग्रामीणों को सुविधाएं मिलना आरंभ नहीं हुई है।

ग्रामीणों का कहना है कि

ग्राम सचिवालय बनाने का क्या फायदा जब यहां सुविधाएं ही नहीं मिल पा रही।पंचायतों में ग्राम सचिवालयों का बुरा हाल, कहीं जर्जर तो कहीं अधूरे पड़े हैं पंचायत भवन।ग्रामीणों द्वारा बताया गया नए प्रधान से लेकर एडीओ पंचायत तक उदासीन है। सरकार के अगुआ प्रधान से लेकर इसके अधिकारी विकास तो दूर, अपना ही सचिवालय संचालित नहीं करवा पा रहे हैं। गांवों के विकास और समस्याओं पर चर्चा के लिए सभी जगह पंचायत भवन के लिए सरकार ने लाखों रुपए दिए। कहीं निर्माण अधूरा है तो कहीं भवन बनकर जर्जर भी हो गया लेकिन कभी बैठक नहीं हुई। इस संबंध में प्रधान से लेकर एडीओ पंचायत तक गंभीर नजर नहीं आते।

सवाल उठता है।

कि ऐसी उदासीनता के सहारे गांव की सरकार कैसे काम करेगी और उसमें आम आदमी की सहभागिता कैसे सुनिश्चित हो पाएगी? आखिर किस प्रकार ग्रामीणजन प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न वर्गों के हितार्थ चलायी जा रही योजनाओं से अवगत हो सकेंगे। मिली जानकारी के अनुसार एडीओ पंचायत अकबरपुर विकासखंड दया दृष्टि होने के कारण एक कर्मी के पास एक से अधिक ग्राम पंचायत का कार्यभार होने के कारण वह प्रतिदिन नियमित रूप से ग्राम सचिवालय में उपस्थित होकर कार्यालय का संचालन नही कर पाना मुश्किल होता है नाम न छापने की शर्त पर बताई गई कुछ ग्राम पंचायत अधिकारियों द्वारा यह भी बताया गया की एडीओ पंचायत प्रभात सिंह द्वारा अपने स्वजातियों तथा शुभचिंतकों को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा कार्य किया जा रहा है। ग्राम पंचायत अधिकारियों द्वारा यह भी कहा गया। विकासखंड अकबरपुर में  देख लिया जाए ग्राम पंचायत सचिवों के पास कितने ग्राम है। अधिकारियों की मंशा स्पष्ट हो जाएगी।

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