आईलेक्स के बच्चों ने चंद्रयान - 3 की सफल लैंडिंग के लिए किया प्रार्थना

आईलेक्स के बच्चों ने चंद्रयान - 3 की सफल लैंडिंग के लिए किया प्रार्थना
स्वतंत्र प्रभात : बरही : धनंजय कुमार
चंद्रयान-3 को लेकर देशभर में गजब उत्साह देखा जा रहा है। इस अवसर पर आईलेक्स पब्लिक स्कूल सभी ब्रांचों में सभी बच्चों ने चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग के लिए प्रार्थना किया।
चंद्रयान 3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से महज 25 से 150 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगा रहा है। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल से संपर्क हो गया है। अब 23 अगस्त का इंतजार है, जब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत इतिहास रच देगा और ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता हासिल की है। इतना ही नहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश हो सकता है।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के खगोल विज्ञान प्रोफेसर मयंक एन. वाहिया ने कहा कि चंद्रयान 3 चांद की सतह पर उतरने वाला है। पहले चंद्रयान मिशन ने साबित किया कि चांद पर पानी है। चंद्रयान-2 मिशन में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर लगाना था, लेकिन चीजें ठीक से काम नहीं कर पाईं। चंद्रयान-2 का मॉड्यूलर मिशन उल्लेखनीय रूप से सफल रहा। चंद्रमा पर उतरना कितना मुश्किल है, इसका अंदाजा लगाने के लिए आप देख सकते हैं कि रूस लूना-25 को उतारने में सफल नहीं हो सका। पूरा यकीन है कि 23 अगस्त को सफल लैंडिंग होगी। चंद्रयान-3 हमें पानी, जल स्रोतों और खनिजों की पहचान करने में मदद करेगा। चंद्रयान-2 से सबक लेकर चंद्रयान-3 में कई सुधार किए गए हैं। लक्षित लैंडिंग क्षेत्र को 4.2 किलोमीटर लंबाई और 2.5 किलोमीटर चौड़ाई तक बढ़ा दिया गया है। चंद्रयान-3 में लेजर डॉपलर वेलोसिमीटर के साथ चार इंजन भी हैं जिसका मतलब है कि वह चंद्रमा पर उतरने के सभी चरणों में अपनी ऊंचाई और अभिविन्यास को नियंत्रित कर सकता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लैंडर हजार्ड डिटेक्टशन एंड अवॉइडेंस कैमरा (एलएचडीएसी) में कैद की गई चंद्रमा के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें सोमवार को जारी कीं। एलएचडीएसी को इसरो के अहमदाबाद स्थित प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्पेस ऐप्लीकेशंस सेंटर (एसएसी) ने विकसित किया है। यह कैमरा लैंडिंग के लिहाज से सुरक्षित उन क्षेत्र की पहचान करने में मदद करता है, जहां बड़े-बड़े पत्थर या गहरी खाइयां नहीं होती हैं। विशेष रुचि है, जिसके बारे में माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है। चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है। केवल तीन देश चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहे हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन शामिल हैं। हालांकि, ये तीनों देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे।
चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे छह, नौ, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, ताकि यह चंद्रमा की सतह के नजदीक आ सके। इससे पहले, 14 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद पिछले तीन हफ्तों में पांच से अधिक प्रक्रियाओं में इसरो ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर आगे की कक्षाओं में बढ़ाया था। गत एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण कवायद में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर भेजा गया। विद्यालय के निदेशक शैलेश कुमार ने भी बच्चों के साथ प्रार्थना की तथा बच्चों को कहा कि जिस तरह चंद्रयान -3 की सफलता का हम सभी को विश्वास है उसी तरह आप सभी बच्चे भी निकट भविष्य में अपनी मंज़िल को प्राप्त करेंगे ये भी हमारा विश्वास है।
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