सोनभद्र में कब तक खदानों में मजदूरों की मौत का सिलसिला जारी रहेगा
खनन क्षेत्र में बहुत बड़ी हादसा

अजीत सिंह( ब्यूरो)
सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश
ओबरा तहसील क्षेत्र, बिल्ली मारकुंडी, सोनभद्र जिला, उत्तर प्रदेश। एक पत्थर खदान कृष्ण माइनिंग वर्क्स में काम करते समय एक मजदूर पैर फिसलने से गहरे गड्ढे में गिर गया। गंभीर चोटों के कारण अस्पताल में इलाज के दौरान मजदूर की मौत हो गई। खूनी खदानें राजस्व तो मिला, पर मजदूरों की जान की कीमत कौन देगा।
सोनभद्र जिला, उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाला क्षेत्र है। यहाँ की खदानें राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। लेकिन इस विकास की नींव में उन मजदूरों का खून और पसीना है, जिनकी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है।
दशकों से, ये खदानें मजदूरों के लिए कब्रगाह बनी हुई हैं, और प्रशासन की उदासीनता इस समस्या को और भी गंभीर बना देती है। इस घटना के बाद, फिर से सवाल उठ रहे हैं कि खदानों में मजदूरों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय क्यों नहीं किए जा रहे हैं। वहीं सीओ ओबरा हर्ष पाण्डेय ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि "आज ओबरा थाना क्षेत्र अंतर्गत बिल्ली मारकुण्डी स्थित कृष्ण माइनिंग वर्क्स में कार्य करने के दौरान पैर फिसलने से रुदौली निवासी मजदूर बलवंत सिंह गोंड़ पुत्र रामधानी गोंड़ गड्डे में जा गिरा, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं, इलाज के लिए मजदूर क़ो तुरन्त जिला अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसकी मौत हो गयी।
शव क़ो कब्जे में लेकर पीएम के लिए जिला अस्पताल स्थित मोर्चेरी हॉउस रखवा दिया गया है।मृतक के परीजनों की तहरीर के आधार पर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जाएगी।
*सुरक्षा नियमों की अनदेखी*
सोनभद्र की खदानों में लगातार दुर्घटनाएँ हो रही हैं, जिससे पता चलता है कि खनन कंपनियाँ सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रही हैं। पहाड़ों को काटने और गहरे गड्ढे खोदने की अनुमति तो दी जाती है, लेकिन नियमों के अनुसार इन गड्ढों को भरा नहीं जाता है।यह गहरी खदानें न केवल इंसानों के लिए, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी खतरनाक हैं। खनन कंपनियाँ अवैध रूप से खनन करके गहरी खाइयाँ बना रही हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है।और खदानों के गहरे गड्ढे इन जानवरों के लिए मौत का जाल बन गया है।
खनन क्षेत्रों में, जहाँ भारी मशीनरी और विस्फोटक पदार्थों का उपयोग होता है, दुर्घटनाएँ कभी भी हो सकती हैं। एक ही रास्ते से आने-जाने पर, अगर कोई दुर्घटना होती है, तो लोगों के पास निकलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं होता, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है।
गहरी खदानों में, एक ही रास्ते के कारण बचाव कार्य भी बहुत मुश्किल हो जाता है।अगर कोई दुर्घटना होती है, तो बचाव दल को अंदर जाने और लोगों को बाहर निकालने में बहुत समय लग सकता है, जिससे स्थिति और भी खराब हो सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खनन क्षेत्र में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है।
खनन क्षेत्रों का नियमित निरीक्षण किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं, लेकिन यह सबकुछ भी कागजों में हो रहा है। बड़े हादसों के बाद जगने वाले मुलाजिम मामला ढंठा होने पर नोटों भरी चादर तान कर इधर से आंखें भी मूंद लेते हैं।
खदानों में सुरक्षा से जुड़े साईन बोर्ड लगे होने चाहिए। सरकार को खदानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए उचित मुआवजा और पुनर्वास नीति बनानी चाहिए।यह दुखद घटना सोनभद्र की खदानों में काम करने वाले मजदूरों की असुरक्षित जिंदगी की एक झलक है।सरकार और प्रशासन को इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और खदानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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