पुलिस पर बढ़ता अविश्वास भ्रष्टाचार, विवेचना में मनमानी और अफसरशाही ने बिगाड़ी छवि
पत्रकार और पुलिस के बीच और गहरी हो सकती है खाई
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पढ़ुआ थाना क्षेत्र के ढखेरवा चौकी इंचार्ज संदीप यादव व धौरहरा कोतवाली के (धौरहरा कस्बा) इंचार्ज वीरेंद्र सिंह द्वारा फर्जी तरीके से (F.I.R) की विवेचना में बढ़ाया गया पत्रकार अरविंद अवस्थी का नाम
उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर जनता का पुलिस (Police) प्रशासन से भरोसा लगातार घटता जा रहा है। भ्रष्टाचार, विवेचना में मनमानी,उच्चाधिकारियों की चुप्पी, आoईoजीoआरoएस के फर्जी निस्तारण और स्मार्ट पुलिसिंग के प्रति उदासीनता ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। लोगों का आरोप है कि बिना पैसे के पुलिस कोई काम नहीं करती, जिससे न्याय की उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं।
पुलिसिंग व्यवस्था में भ्रष्टाचार हावी हो गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, योगी सरकार के कार्यकाल में अब तक कई सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजे जा चुके हैं, जिनमें कई पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। हालांकि, इससे हालात सुधरने की बजाय बदतर होते दिख रहे हैं।
मुकदमों की विवेचना में पुलिसकर्मियों द्वारा मनमानी करने और उच्चाधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न करने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं मिल पा रहा, जबकि आरोपी पक्ष से सांठगांठ के आरोप भी सामने आते रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला लखीमपुर खीरी के पढ़ुआ थाना क्षेत्र के ढखेरवा चौकी इंचार्ज संदीप यादव व धौरहरा कोतवाली के (धौरहरा कस्बा) इंचार्ज वीरेंद्र सिंह जैसे लोग वर्दी को कलंकित कर रहे है, जिले के प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल के पत्रकार अरविंद अवस्थी ने पुलिस के विरोध में खबर चलाई तो का आरोपियों से मिलकर षडयंत्र के तहत F.I.R की विवेचना में नाम बढ़ा दिया , वक्त के संबंध में कई बार आईoजीoआरoएस व उच्च अधिकारियों से शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई l
" इन दोनों अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है "
अब देखना होगा नवागत पुलिस अधीक्षक महोदय इन दोनों भ्रष्ट अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं राज्य सरकार ने शिकायतों के निस्तारण के लिए आईजीआरएस पोर्टल शुरू किया था, लेकिन अब इस पर भी सवाल उठने लगे हैं। कई शिकायतों को बिना समाधान किए ही निस्तारित दिखा दिया जाता है। हाल ही में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आईजीआरएस के फर्जी निस्तारण मामलों पर सख्त रुख अपनाने के निर्देश दिए थे।
प्रदेश में स्मार्ट पुलिसिंग के दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
जनपद खीरी के कई थानों व पुलिस चौकियों में आज भी स्मार्ट पुलिसिंग के नाम पर कुछ नहीं हो रहा। अपराध रोकथाम के लिए सीoसीoटीoवी कैमरे और डिजिटल मॉनिटरिंग जैसे कदमों की अनदेखी की जा रही है।
जनता के बीच बढ़ती नाराजगी के बावजूद जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौन साधे हुए हैं। लोगों का कहना है कि थाने में बिना सिफारिश और पैसे के कोई काम नहीं होता। ऐसे में पुलिस प्रशासन की छवि लगातार गिर रही है।
पुलिसिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। आईजीआरएस शिकायत प्रणाली को प्रभावी बनाना, भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई और स्मार्ट पुलिसिंग को जमीनी स्तर पर लागू करना जरूरी है। वरना आने वाले समय में पत्रकार और पुलिस के बीच की खाई और गहरी हो सकती है।
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