उन्नाव के पशु चिकित्सालय में नहीं है कुत्ते काटने की वैक्सीन और अन्य दवाएं

उन्नाव जैसा कि आप जानते हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जिले के समस्त चाहे वह इंसानों के सरकारी अस्पताल हो या जानवरों के सभी अस्पतालों में मुफ्त में दवाएं देने का लगातार प्रयास कर रही है


स्वतंत्र प्रभात          

उन्नाव जैसा कि आप जानते हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जिले के समस्त चाहे वह इंसानों के सरकारी अस्पताल हो या जानवरों के सभी अस्पतालों में मुफ्त में दवाएं देने का लगातार प्रयास कर रही है लेकिन जब अस्पतालों में जाकर देखा जाता है तो वहां पर किसी भी प्रकार की वैक्सीन और महंगी दवाएं उपलब्ध नहीं है जिले के समस्त सरकारी अस्पतालो के डॉक्टर साहब बाहर से ही दवाएं मंगाते हैं।मामला उन्नाव शहर के पशु चिकित्सालय का है जहां पर डॉक्टर तो मौजूद है और अपनी ड्यूटी टाइम बे टाइम नहीं निभा रहे हैं लेकिन कोई भी व्यक्ति अपने पशु को लेकर जाता है

तो उससे दवाएं बाहर से मंगाते है जोकि शासन के खिलाफ है बीते गुरुवार को एक व्यक्ति पशु चिकित्सालय गया जिसकी बकरी को कई कुत्तों ने नोच कर जख्मी कर दिया था कुर्सी पर बैठे डॉक्टर साहब से मिला डॉक्टर साहब बोले इसको वैक्सीन लगेगा लेकिन वैक्सीन हमारे पास शासन द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई है आपको वैक्सीन बाहर से लाना होगा वह व्यक्ति वैक्सीन बाहर से लाकर अपने बकरी को लगवाता है जबकि सरकार का आदेश है किसी भी सरकारी अस्पताल में मुफ्त में इलाज होता है लेकिन इन भ्रष्ट डॉक्टरों की वजह से महंगी दवाएं और वैक्सीन बड़े-बड़े मेडिकल स्टोर पर बेंच देते है और कुछ मेडिकल स्टोर के मालिकों से परसेंटेज की सेटिंग करके दवाओं और वैक्सीन के पर्चे लिखकर उन मेडिकल स्टोर पर भेजते हैं जहां पर उनकी लगातार सेटिंग चलती रहती है

गरीब व्यक्ति तो यह सोच कर जाता है सरकारी अस्पताल में की हमारे बच्चे यह हमारे जानवर की मुफ्त में इलाज होगी लेकिन ऐसा हरगिज़ नहीं सरकारी अस्पतालों में गरीब व्यक्ति आकर और भी लाचार टूट जाता है और उसको डॉक्टरों द्वारा पूरी तरह से लूट लिया जाता है फिर गरीब व्यक्ति यही सोचता है इन सरकारी अस्पतालों से अच्छे तो प्राइवेट अस्पताल है जहां पर मरीजों की देखरेख अच्छी तरह से की जाती है। देखा जाए सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मुफ्त में 80000, 100000 रूपये की प्रतिमाह सैलेरी उठा रहे हैं फिर भी दलाली करने में बाज नहीं आ रहे हैं ऐसे मामले को जिले के आला अधिकारी और मुख्यमंत्री को तत्काल संज्ञान में लेना चाहिए।

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