सोहराय पर्व पर निखरेगी संथाली भाई बहनों के अप्रतिम अनुराग की आभा

सोहराय पर्व पर निखरेगी संथाली भाई बहनों के अप्रतिम अनुराग की आभा

सोहराय पर्व पर निखरेगी संथाली भाई बहनों के अप्रतिम अनुराग की आभा


पाकुड़िया/पाकुड़/झारखण्ड:- 

पाकुड़ जिला के जनजातीय प्रखण्ड पाकुड़िया में संथाली समाज का सर्वाधिक महत्ता एवम पावनता भरा त्योहार वंदना जिसे सोहराय कहते हैं शनिवार को तालवा सहित अन्यान्य ग्रामीण इलाकों में विविध रंगों से बड़े ही आकर्षक ढंग से घरों की रंगाई पोताई का काम समापन की ओर देखा गया। तदोपरांत रविवार से सोहराय पर्व का श्री गणेश ओम पूजा के साथ हो गया। छः दिवसीय पर्व में संथाली संस्कृति की अमिट छाप की सुगंध मकर संक्रांति तक पूरे प्रखण्ड को सुभाषित करता रहेगा। 

भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ही लोक पर्वों की महत्ता रही है और भारतीय लोक पर्वों में वैज्ञानिक विशिष्टता के साथ सामाजिक समरसता की पुट से विश्व को मोहित करता रहा है।बहरहाल सोहराय पर्व को लेकर प्रखण्ड के सुदूर ग्रामीण इलाकों में चहल पहल बढ़ने के साथ लोगों विशेष रुप से बालक बालिकाओं में प्रसन्नता की झलक साफ दिख रही है। सोहराय पर्व भाई बहनों के अनुराग भरा त्योहार है। 

पर्व के पहले भाई अपनी बहन या दीदी के घर स्नेह भरा संदेश लेकर जाता है और बहन को बड़े ही आदर भाव से अपने यहां लाता है। त्योहार के दुसरे दिन खूंटेय, जाली, हाकू काटकम, बीझा तथा अंतिम दिन सकरात के दिन पूर्णतः संथाली परम्पराओं में नृत्य, गीत-संगीत से चहुंओर संथाली संस्कृति के सौंदर्य में भाई बहनों की अप्रतिम निश्छल प्रीत की आभा से चहुंओर वातावरण में स्निग्ध की सौंदर्य छटा निखरती है।

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