कौन होगा यूपी का स्थायी डीजीपी? सरकार ने भेजा 1992 बैच तक के अफसरों का पैनल, देखें नाम

कौन होगा यूपी का स्थायी डीजीपी? सरकार ने भेजा 1992 बैच तक के अफसरों का पैनल, देखें नाम

कौन होगा यूपी का स्थायी डीजीपी? सरकार ने भेजा 1992 बैच तक के अफसरों का पैनल, देखें नाम


यूपी की योगी सरकार ने स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए कवायद तेज कर दी है। संघ लोक सेवा आयोग को अफसरों के नाम का पैनल भेज दिया गया। इसमें 30 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले 42 अफसरों के नाम भेजे गए हैं।

यूपी की योगी सरकार ने स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए कवायद तेज कर दी है। संघ लोक सेवा आयोग को अफसरों के नाम का पैनल भेज दिया गया। इसमें 30 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले 42 अफसरों के नाम भेजे गए हैं। आयोग इसमें से तीन लोगों का पैनल सरकार को भेजेगी। इसमें से डीजीपी का चयन होगा। अभी डीएस चौहान कार्यवाहक डीजीपी के रूप में काम कर रहे हैं। 


भेजे गए पैनल में वर्ष 1992 बैच तक के सभी आईपीएस अफसरों के नाम शामिल है। यह पद साढ़े तीन महीने से खाली है। 11 मई को मुकुल गोयल को इस पद से हटाया गया था। वरिष्ठता के क्रम में मुकुल गोयल के बाद डीजी प्रशिक्षण आरपी सिंह और डीजी कोऑपरेटिव सेल जीएल मीना का नाम दूसरे व तीसरे नंबर पर है। हालांकि आरपी सिंह व जीएल मीना अगले वर्ष फरवरी व जनवरी में रिटायर हो जाएंगे। 

वरिष्ठता सूची में मीना के बाद डा. राज कुमार विश्वकर्मा का नाम है और फिर मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी देवेन्द्र सिंह चौहान का नाम है। डीएस चौहान 1988 बैच के आईपीएस हैं। वरिष्ठता सूची में इसके बाद अनिल अग्रवाल, आनंद कुमार, विजय कुमार, सफी अहसान रिजवी, आशीष गुप्ता, आदित्य मिश्र, चंद्र प्रकाश-1, पीवी रामाशास्त्री, संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, रेनुका मिश्र, बिजय कु मौर्या, सत्य नारायण सबत, अविनाश चन्द्र, डा संजय एम तराडे डीजी हैं। 

वहीं इसके बाद एडीजी स्तर के एमके बशाल, तनूजा श्रीवास्तव, सतीश कुमार माथुर, अंजू गुप्ता, सुभाष चंद्र, प्रशांत कुमार, तिल्लोतमा वर्मा, राजीव रंजन वर्मा, आलोक शर्मा, भगीरथ पी जोगदण्ड, पीयूष आनंद, बृज भूषण, राजीव कृष्णा, अभय कुमार प्रसाद, दवा शेरपा, प्रेम चंद मीना, दीपेश जुनेजा, आशुतोष पाण्डेय, अजय आनंद, जसवीर सिंह, आनंद स्वरूप, नीरा रावत के नाम भी भेजे गए हैं।  

डीजीपी चयन की प्रक्रिया

डीजीपी बनने के लिए 30 वर्ष की सेवा अवधि पूरी होनी चाहिए। इसके बाद वरिष्ठता के क्रम में एक-एक अफसर का रिकॉर्ड चेक किया जाता है। किसी भी किस्म के अपराध की दशा में उसकी पूरी जानकारी आयेाग को भेजी जाएगी। इसके बाद आयोग बैठक कर पैनल तय करेगा। तीन नामों का पैनल भेजा जाता है।
 

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