हयात चैरिटेबल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित अप्सरा आर्ट द्वारा प्रस्तुत नाटक कोमल गांधार

हयात चैरिटेबल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित अप्सरा आर्ट द्वारा प्रस्तुत नाटक कोमल गांधार

हयात चैरिटेबल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित अप्सरा आर्ट द्वारा प्रस्तुत नाटक कोमल गांधार



गंगा पुत्र भीष्म धृतराष्ट का विवाह गांधार की राजकुमारी गांधारी से कर देता है भीष्म धृतराष्ट के अंधेपन का राज़ छुपाना चाहता है भीष्म सोचता है की विवाह ठीक से हो जायेगा उधर गांधारी अपने होने वाले पति के बारे में सब कुछ जानना चाहती है एक दिन दासी धृतराष्ट के अंधे होने के बारे में बता देती है गांधारी कहती है स्त्री एक ख़ाली ज़मीन नहीं जिसे आसानी से रौंद कर शांति से जिया जा सके, कुरुवंश को अपने इस अन्याय की कीमत चुकानी होगी गांधारी का विवाह धृतराष्ट से हो जाता है ........ 

हयात चैरिटेबल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित अप्सरा आर्ट द्वारा प्रस्तुत नाटक कोमल
गांधारी मंडप में अपनी आखों पर पट्टी बांधती है और घोषणा करती है अगर मेरा पति संसार नहीं देख सकता तो मै क्यों देखू, धृतराष्ट गांधारी से आखों पर बंधी पट्टी खोलने के लिए कहता है गांधारी कहती है की अब मेरी प्रतिज्ञा आपके परिवार से जुड़ी गई है मेरा निजीपन खो गया है अब पट्टी खोलना संभव नहीं I

भीष्म को ये चिंता रहती है दासी से धृतराष्ट के सम्बन्ध बढ़ते जाते है अगर दासी से पुत्र हो गया, तो दूसरी ओर पाण्डु को विवाह करा दिया ये जानते हुए की स्त्री का भोग करते हुए वो मर जाएगा I
उधर सत्यवति पाण्डु में कोई दोष देखते को तैयार नहीं उत्तराधिकारी की समस्या बनी हुई है भीष्म पाण्डु का दूसरा विवाह करने के लिए मजबूर सत्यवति नहीं मानती I मै क्या करू यानि नियोग से फिर पुत्र  होंगे, दासी को धृतराष्ट से पुत्र हो गया तो ...... दोनों परिवार इसी सवाल से बट जायेगे राज्य सत्ता पर दावे करेंगे, इसी चक्र में भीष्म धीरे धीरे फसते जा रहे थे,

कुंती भी नहीं जानती थी उसका पति रोगी है कुंती को जीतने का विश्वास था उसके साथ भीष्म, द्रोणा, कर्ण, कृपा चर्या, अश्वथामा......... और कौरवों की इतनी बड़ी फ़ौज गांधारी, ये सब राज की अन्न के दस, इनके भरोसे युद्ध नहीं जीता जा सकेगा -- कर्ण कुछ नहीं कर पाएंगे .........सेना.......गांधारी जानती है उसके पास कृष्ण है संख्या कोई अर्थ नहीं रखती ......... 

पर युद्ध होकर ही रहा, गांधारी युद्ध को रोकना चाहती पर युद्ध हुआ, युद्ध में गांधारी के पुत्र दुर्योधन की पराजय हुई ......मृत्यु नाटक में  अतुल द्विवेदी, अर्पिता सिंह, योगेंद्र कुमार बाजपाई, शुभम श्रीवास्तव, अनामिका सिंह, रंजीत पाल, अभिषेक कुमार वर्मा, मनीष पाल, मोहम्मद फ़ुजैल प्रोडक्शन आज़ाद थिएटर लखनऊ, म्यूजिक धीरेन्द्र कुमार, निर्देशन श्री रहमान खान ने किया

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