नवरात्रि में भक्तों को अटूट आस्था और विश्वास से मिलती है अद्भुत शक्ति

 मां के नवरात्रि  व्रत और तप से होते हैं देहिक और आत्मिक विकार दूर


 स्वतंत्र प्रभात 
 



   माधौगढ़  (जालौन) भले ही बीते कुछ दशकों के दौरान ग्लोबलाईजेशन के दौर में सामाजिक जीवन शैली और संस्कृति में  जो व्यापक स्तर पर बदलाव देखने को मिला है इसके बाद भी प्राचीन समय से चली आ रही धार्मिक और सामाजिक परंपराएं अभी भी आस्थावान लोगों के जीवन में इस कदर जुड़ी हुई हैं यही नहीं उनका तो विश्वास इस कदर गहरा है कि वे इन परंपराओं का न सिर्फ पालन करते हैं


 बल्कि उनके प्रत्यक्ष लाभ भी जीवन में महसूस कर उनके महत्व को बताने में पीछे नहीं हटते नवरात्रि के पर्व को लेकर  जब कुछ आस्थावान देवी भक्तों से  उनके अनुभव वा उनके उद्गार जाने तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि आस्था और विश्वास से जो अद्भुत शक्ति मिलती है वह शब्दों में बयां नहीं की जा सकती बीते डेढ़ दशक से वर्ष के दोनों चैत्र व शारदीय नवरात्रि पूर्ण श्रद्धा के साथ देवी भक्तों में लीन रहने वाले नरेंद्र कुशवाहा बुढ़नपुरा बतलाते हैं 


कि उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से कई ऐसे अनुभव किए जो उनके जीवन के लिए बहुमूल्य है कई बार तो देवी  आराधना के दौरान ऐसी अनुभूत हुई कि मानो  किसी शक्ति से प्रत्यक्ष बात कर रहे हो उन्होंने यह भी बताया कि यदि व्यक्ति पूरी एकाग्रता के साथ साधना करता है तो   कभी उसको भौतिक न सक्तियां उसके जीवन में शामिल होकर उसे बल प्रदान करती है। बब्बू भदौरिया उमरी   देवी पूजन की परंपरा से जुड़े बतलाते हैं कि देवी शक्तियां अंता करण की शुद्धता में बास करती हैं 


इसके लिए बाहरी और आडंबरों की जरूरत नहीं होती किंतु नवरात्रि पर्व पर जब लाखों आस्थावान लोग एक साथ आराधना में लीन होकर इहीलोकिक सक्तियों का आवाहन करते हैं तो विशेष प्रकार की अनुभूतियां होना स्वाभाविक है उन्होंने बताया कि उनके साथ कई भी बार साधना के दौरान अद्भुत अनुभव हुए जिन्होंने जिसे उन्होंने जिस तरह से महसूस किया उसे बयां नहीं कर सकते विवेक अहेता तथा शिवकुमार कुशवाहा माधौगढ़ मानते हैं कि परोक्ष और अपरोक्ष रूप से शक्तियों की आराधना करने से विकार दूर हो जाते हैं 


और अंतःकरण में शांति का अनुभव होता है एडवोकेट राघवेन्द्र व्यास  तो सिर्फ परंपरा को लेकर अलग ही नजरिया रखते हैं उनका कहना है कि नवरात्रि बृत करने से आध्यात्मिक रूप से तो लाभ मिलता ही है साथ ही प्रत्यक्ष रूप से व्रत धारण करने वाले को शारीरिक तमाम व्याधियों से छुटकारा मिलता है जो भी उदर से संबंधित दिक्कतें होती है उनका शहिज ही सरल तरीके से निराकरण हो जाता है

 उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि पूरे 9 दिन तक बृत धारण करने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि उनके शरीर में जो दिक्कत  पहले महसूस की जाती थी वह नहीं रही इससे शरीर के साथ दिल और दिमाग को भी बल मिलता है हंसराज सिंह सुरपतिपुरा  बताते हैं कि देवी की आराधना यदि सच्चे मन से की जाए तो वह मुराद पूरी होती है जब से उनकी मन्नते पूरी हुई उनकी आस्था और विश्वास और भी गहरा गया है।


माधौगढ़ कमेटी के द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जालौन देवी पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें दूर दूर से आए भक्तों के द्वारा प्रसाद ग्रहण किया गया। भंडारा सुबह से ही माता रानी के श्रृंगार के उपरांत कन्यापूजन कर प्रारंभ हो गया था जो देर रात तक अनवरत चलता रहा। भंडारे में माधौगढ़ कमेटी के भक्त देवेन्द्र भदौरिया, पवन महाराज, राजेन्द्र दूरबार, सत्येन्द्र चौहान, शैलू भदौरिया, छोटू महाराज , योगेश द्विवेदी, आशु महाराज,अमित सोनी, सोनू तरसौलिया, अंकित कस्तवर, दीपक कुरौति, धरवेंद्र सोनी, अरविंद कुरेले,  मनोजशिवहरे अजीत उपाध्याय, शिवपूजन, अजय चौहान, अभिषेक सोनी, राहुल सोनी एवं समस्त माधौगढ़ कमेटी का विशेष सहयोग रहा।


 

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