अधिक एथेनॉल उत्पादन से विदेशों पर निर्भरता कम होगी : डॉ सीमा परोहा 

एडवांटा ग्रुप के साथ नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट अधिक इथेनॉल उत्पादन के लिए कटिबद्ध।

अधिक एथेनॉल उत्पादन से विदेशों पर निर्भरता कम होगी : डॉ सीमा परोहा 

कानपुर। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर में संयुक्त रूप से एनएसआई एवं एडवांटा ग्रुप के मध्य चल रहे प्रोजेक्ट के अंतर्गत संस्थान के कृषि फार्म में मेगा स्वीट प्रजाति की चरी की बुवाई की गई थी। चरी से इथेनाल उत्पादन हेतु  संस्थान स्थित शर्करा प्रयोगशाला में 21 नवबंर, 2024 को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ब्वायलर पूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ। संस्थान की फैक्ट्री में 26 से 27 नवंबर, 2024 तक मीठी चरी की पेराई प्रस्तावित है।
 
ब्वायलर पूजन कार्यक्रम के अवसर पर संस्थान की निदेशक, प्रो.सीमा परोहा ने कहा कि भारत सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत पेट्रोल में मिश्रण (ब्लेंडिंग) हेतु गन्ने के रस के अतिरिक्त कई अन्य फीड स्टाक्स से भी ईथेनाल का उत्पादन प्रस्तावित है। इस कड़ी में एक कदम उठाते हुये मीठी चरी से इथेनाल उत्पादन हेतु कार्य किया जा रहा है। प्रो.परोहा ने कहा कि हमारा संयुक्त प्रयास है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में इथेनाल का उत्पादन करें जिससे पेट्रोलियम पदार्थों हेतु विदेशों पर निर्भरता कम हो तथा आयात घटने से देश की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत हो सके। इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य़ मीठी चरी को इथेनाल उत्पादन के मुख्य स्त्रोतों में शामिल करना है।
 
IMG-20241121-WA0179डॉ.अशोक कुमार, सहायक आचार्य कृषि रसायन ने कहा कि संस्थान एडवांटा ग्रुप के साथ मीठी चरी से अधिक से अधिक मात्रा में इथेनाल उत्पादन हेतु कृत संकल्प है। इस कार्ये हेतु जैव रसायन अनुभाग में स्थित नैनो प्लांट में जूस से इथेनाल बनाने के कार्य का परीक्षण चल रहा है। 
 
इस अवसर पर श्री संजय चौहान, सहायक आचार्य शर्करा अभियांत्रिकी न कहा कि शर्करा प्रयोगशाला में स्वीट सोरगम की पेराई के बाद गन्ने की पेराई का सत्र जनवरी माह से आरंभ होगा। शर्करा प्रयोगशाला संस्थान का महत्वपूरण अंग है जिसमें संस्थान में विविध पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को प्रायोगिक जानकारी दी जाती है। यह न केवल भारत अपितु विश्व में अपने तरह की एकमात्र चीनी मिल है। मिहिर मंडल, सहायक आचार्य शर्करा शिल्प व श्री वीरेन्द्र कुमार, वरिष्ठ यंत्र अभियंता आदि उपस्थित थे।
 
 
 

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