क्रिसमस: प्रभु यीशु के जीवन से प्रेरित करुणा और सेवा का पवित्र उत्सव

क्रिसमस: प्रभु यीशु के जीवन से प्रेरित करुणा और सेवा का पवित्र उत्सव

क्रिसमसहर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला पर्वकेवल एक धार्मिक आयोजन नहीं हैयह प्रेमशांति और मानवता के मूल्यों का अनुपम प्रतीक है। यह दिन प्रभु यीशु मसीह के अवतरण की पुण्य स्मृति में समर्पित है। ईश्वर के अवतार माने जाने वाले यीशु मसीह ने अपने जीवन के माध्यम से सत्यकरुणा और निष्काम सेवा का अद्वितीय संदेश दियाजो समस्त मानव जाति के लिए पथप्रदर्शक बना। उनके उपदेशों ने ऐसे समाज की परिकल्पना कीजहाँ समानतासहिष्णुता और परोपकार के आदर्श सर्वोपरि हों। 

क्रिसमस केवल एक उत्सव नहींबल्कि यह मानवीय मूल्यों की विजय और आत्मिक जागृति का दिवस है। यह पर्व हमें न केवल आत्मनिरीक्षण करनेबल्कि अपने कर्मों का आकलन करने और समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को समझने का सुअवसर प्रदान करता है। क्रिसमस की यह ज्योति हर हृदय में प्रेमदया और समर्पण का आलोक फैलाने का आह्वान करती है।

करीब दो सहस्राब्दियों पूर्वजब समाज अन्यायअज्ञानता और भेदभाव के अंधकार में डूबा हुआ थाप्रभु यीशु मसीह का जन्म एक साधारण गौशाला में हुआ। बेथलहम के उस विनम्र स्थान ने एक ऐसे व्यक्तित्व को जन्म दियाजिसने करुणा और सत्य के आदर्शों से दुनिया को आलोकित किया। मरियमजिन्हें स्वर्गदूत गेब्रियल ने ईश्वर के पुत्र को जन्म देने का संदेश दिया थाने अपने शिशु के रूप में मानवता के उद्धारकर्ता को प्राप्त किया। प्रभु यीशु का जन्म इस बात का प्रतीक था कि महानता साधारण परिवेश में भी जन्म ले सकती है। उन्होंने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण से यह सिद्ध किया कि सच्ची आध्यात्मिकता बाहरी आडंबर में नहींबल्कि मानवीय सेवा और दया में निहित है। उन्होंने समाज को यह सिखाया कि धर्म का उद्देश्य केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं हैबल्कि वह मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।

क्रिसमस का त्योहार अपने अद्वितीय वैश्विक स्वरूप और सांस्कृतिक विविधताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्व न केवल धार्मिक समुदायों कोबल्कि विभिन्न जातियोंसंस्कृतियों और धर्मों को भी एकता के सूत्र में बाँधता है। भारत जैसे बहुरंगी संस्कृति वाले देश मेंक्रिसमस को अत्यंत उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। चर्चों में आधी रात की प्रार्थनाएँघरों की भव्य सजावटउपहारों का आदान-प्रदान और सांता क्लॉज की प्रतीक्षा इस पर्व को विशिष्ट बनाती हैं। क्रिसमस ट्रीजो जीवन के शाश्वत मूल्यों का प्रतीक हैघरों और सार्वजनिक स्थलों की शोभा बढ़ाता है। भारत में विशेष रूप से पॉइन्सेत्तिया के गहरे लाल रंग के पौधों और मोमबत्तियों से सजावट की जाती है।

विश्व के विभिन्न देशों में क्रिसमस अपने विशिष्ट अंदाज़ में मनाया जाता हैजिससे इसकी वैश्विकता और आकर्षण और भी बढ़ जाता है। पश्चिमी देशों में क्रिसमस ट्री पर सजावट जीवन के सतत चक्र और नवीकरण का प्रतीक मानी जाती है। पोलैंड में मकड़ी के जाल से ट्री सजाने की परंपराजापान में केएफसी पर भोजनऔर ब्रिटेन में क्रिसमस क्रैकर्स की परंपरा इस पर्व के अनूठे आयाम प्रस्तुत करती हैं। स्वीडन में डोनाल्ड डक के कार्टून देखने की परंपरा और जर्मनी में एड्वेंट कैलेंडर के साथ पर्व की प्रतीक्षाइस त्योहार के सांस्कृतिक रंगों को और भी समृद्ध करती है। इन परंपराओं के माध्यम से क्रिसमस का संदेश — प्रेमशांतिऔर सद्भाव — दुनिया के हर कोने में गूँजता है।

क्रिसमस का असली सार प्रेमदया और सेवा में निहित है। यह पर्व हमें अपने भीतर झाँकने और यह समझने का अवसर देता है कि सच्ची खुशी भौतिक सुख-सुविधाओं में नहींबल्कि दूसरों की भलाई में है। प्रभु यीशु के उपदेश यह सिखाते हैं कि करुणा और सहानुभूति से परिपूर्ण हृदय ही सच्चा धार्मिक हृदय है। गरीबबेसहारा और वंचित वर्ग की सहायता करना क्रिसमस के उत्सव का मुख्य उद्देश्य है। यह दिन हमें स्वार्थ और अहंकार को त्यागनेऔर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने की प्रेरणा देता है। हर व्यक्तिचाहे वह किसी भी धर्मजाति या संस्कृति से संबंधित होइस दिन मानवता के प्रति अपने दायित्वों को पहचानता है।

आज के समय मेंजब पर्यावरण संरक्षण मानवता के लिए प्रमुख विषय बन गया हैक्रिसमस को भी पर्यावरणीय दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। असली और कृत्रिम क्रिसमस ट्री के उपयोग को लेकर चर्चा बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कृत्रिम पेड़ों का दीर्घकालिक उपयोग किया जाएतो यह अधिक पर्यावरणीय अनुकूल हो सकता है। यह दृष्टिकोण हमें यह सिखाता है कि हमारे त्योहार न केवल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होंबल्कि पर्यावरण-संवेदनशील भी हों। यही सही मायने में त्योहारों की सच्ची भावना है—प्रकृति और मानवता के बीच संतुलन बनाए रखना।

क्रिसमस केवल एक पर्व नहींबल्कि यह मानवताकरुणा और शांति के शाश्वत संदेश का दिव्य उत्सव है। यह हमें सिखाता है कि जब हम अपने भीतर के स्वार्थईर्ष्या और द्वेष जैसे नकारात्मक भावों को तजकर दूसरों की भलाई और सेवा में समर्पित होते हैंतभी जीवन का सच्चा उद्देश्य उद्घाटित होता है। प्रभु यीशु मसीह के जीवन और उनके आदर्श हमें यह प्रेरणा देते हैं कि धर्म का असली स्वरूप मानवता की सेवानिष्काम परोपकार और समर्पण में निहित है। क्रिसमस का वास्तविक प्रकाश न तो केवल जगमगाते दीपों और सजी-धजी झूमरों में हैन ही उपहारों की चकाचौंध मेंबल्कि यह हमारे हृदयों में बसे प्रेमकरुणा और सहानुभूति की मृदुल आभा में झलकता है। यह पर्व हमें स्मरण कराता है कि मानवता के प्रति हमारे दायित्व क्या हैं और कैसे हम अपने कार्यों से समानतासहिष्णुता और शांति पर आधारित समाज की रचना कर सकते हैं। क्रिसमस का सच्चा मर्म प्रेममानवता और शांति के अमर आदर्श में निहित है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी आत्मा के प्रकाश को जगाएँ और दूसरों के जीवन में आनंद और सुकून का संचार करें। यही इस पावन उत्सव का सार्वभौमिक संदेश है।

प्रो. आरके जैन "अरिजीत"बड़वानी (म.प्र.)

 

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