अप्राकृतिक दुष्कर्म के दोषी बबलू उर्फ राधेश्याम को 10 वर्ष की कैद
25 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी

साढ़े सात वर्ष पूर्व 8 वर्षीय नाबालिग बालक के साथ हुए अप्राकृतिक दुष्कर्म का मामला
राजेश तिवारी ( क्राइम ब्यूरो)
सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश -
साढ़े सात वर्ष पूर्व 8 वर्षीय नाबालिग बालक के साथ हुए अप्राकृतिक दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी बबलू उर्फ राधेश्याम को 10 वर्ष की कैद एवं 25 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 20 हजार रूपये पीड़ित को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक पिपरी थाना क्षेत्र के एक कालोनी निवासी पीड़ित की मां ने 17 सितंबर 2017 को पिपरी थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि 14 सितंबर 2017 को 12:30 बजे दोपहर में उसका 8 वर्षीय छोटा बेटा डोगिया नाला की ओर गया था। उसे बबलू उर्फ राधेश्याम पुत्र प्रेम कुमार निवासी तुर्रा, थाना पिपरी, जिला सोनभद्र डोगिया नाला की ओर ले गया था।
उसे ले जाते हुए उसका माझिल लड़का ने देखा था तथा घर आकर उसे बताया तो मौके पर गई तो उसके 8 वर्षीय नाबालिग बेटे के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म कर रहा था। उसे देखते ही वह भाग गया। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में अप्राकृतिक दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी बबलू उर्फ राधेश्याम को 10 वर्ष का कारावास एवं 25 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 20 हजार रूपये पीड़ित को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।
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