कैबिनेट मंत्री संजय निषाद का बड़ा बयान: "मुसलमान हमारे भाई, उनकी दशा एससी-एसटी से भी खराब"
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शाहगंज (जौनपुर) – उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं। गुरुवार को जौनपुर जिले के शाहगंज में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कई बड़े बयान दिए।
उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने निषादों और पिछड़े समाज को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन समुदायों को सम्मान दिया है। उन्होंने आगे कहा कि निषाद समाज इस समर्थन के लिए भाजपा नेतृत्व का आभारी है।
"रक्षक ही भक्षक बन जाए, तो निषाद समाज करेगा विरोध"
संजय निषाद ने अपने पुराने विवादित बयान को दोहराते हुए कहा कि अगर कानून के रखवाले ही अत्याचार करेंगे, तो निषाद समाज उनका विरोध करेगा।
उन्होंने कहा, "मैं आज भी अपने बयान पर कायम हूं। अगर कोई दरोगा या पुलिसकर्मी अन्याय करेगा, तो निषाद समाज उसका हाथ-पैर तोड़ देगा। रक्षक अगर भक्षक बन जाएगा, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।"
उनका यह बयान कानून-व्यवस्था को लेकर उनकी कट्टर सोच को दर्शाता है, जिससे एक बार फिर राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ सकती है।
"मुसलमानों की दशा एससी-एसटी से भी बदतर"
मुसलमानों की सामाजिक स्थिति पर बोलते हुए संजय निषाद ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि देश में मुसलमानों की स्थिति अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) से भी खराब है।
उन्होंने कहा, "मुसलमान, विशेष रूप से जुलाहा समाज, हमारे भाई हैं। लेकिन सपा, कांग्रेस और बसपा ने कभी इन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। ये पार्टियां सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करती रहीं और मुसलमानों को उनके अधिकारों से वंचित रखा।"
उन्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि सभी मुसलमान आर्थिक और शैक्षिक रूप से आगे बढ़ें, उच्च शिक्षा प्राप्त करें, डॉक्टर-इंजीनियर बनें और समाज में सम्मानजनक स्थान हासिल करें।
"निषाद समाज का सिपाही हूं, राजनीति में आगे क्या होगा, समय बताएगा"
जब संजय निषाद से यह पूछा गया कि क्या वह भविष्य में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं या केंद्र की राजनीति में कदम रखेंगे, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
"मैं निषाद समाज का सिपाही हूं। मेरा उद्देश्य समाज की भलाई के लिए काम करना है। आगे क्या होगा, यह समय बताएगा।"
उनके इस बयान से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि वह अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर अभी खुलकर कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन भविष्य में बड़ी भूमिका की ओर इशारा कर रहे हैं।
क्या होगा संजय निषाद के इस बयान का असर?
संजय निषाद के ये बयान एक ओर जहां पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम समाज को साधने की कोशिश माने जा सकते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके 'हाथ-पैर तोड़ने' वाले बयान से विवाद खड़ा हो सकता है।
उनकी बयानबाजी से राजनीतिक माहौल गरमाने की संभावना है और विपक्षी दल इसे भाजपा सरकार की 'जंगलराज' वाली राजनीति से जोड़ सकते हैं। अब देखना यह होगा कि उनके इन बयानों पर सरकार और विपक्ष की क्या प्रतिक्रिया आती है।
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