जस्टिस वर्मा विवाद अब सीबीआई-ईडी से जुड़े केस में
On
6.jpg)
प्रयागराज। जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम पहले सीबीआई की एक एफआईआर और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक ईसीआईआर में आया था। उस समय वो 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत होने से पहले एक कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे। जस्टिस वर्मा, जो अभी तक दिल्ली हाईकोर्ट में सेवा दे रहे थे, उनके सरकारी आवास से कथित तौर पर कैश बरामद हुआ और उसके बाद सोशल मीडिया पर उनके पर आरोपों की बौछार कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया। उनके खिलाऱ एक आंतरिक जांच भी शुरू हो गई।
सीएनएन-न्यूज़18 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सिम्भावली शुगर्स मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जांच का आदेश देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था। 2018 में दर्ज की गई सीबीआई एफआईआर में वर्मा को 2012 में सिम्भावली शुगर्स के गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में बताया गया था। उन्हें "आरोपी नंबर 10" के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था।
फरवरी 2018 में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स द्वारा सिम्भावली शुगर मिल को दिए गए लोन के संबंध में सीबीआई एफआईआर दर्ज की गई थी। कंपनी ने कथित तौर पर किसानों को उनके कृषि उपकरणों और अन्य जरूरतों के लिए वितरित करने के लिए भारी लोन लिया था, लेकिन बाद में इसका दुरुपयोग किया और पैसे को अपने अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया। यह आरोप लगाया गया था कि धन का स्पष्ट रूप से दुरुपयोग हुआ था। एफआईआर में कहा गया कि कंपनी द्वारा प्राप्त धन का इस्तेमाल अलग मकसदों के लिए किया गया था।
बैंक ने सिम्भावली शुगर्स लिमिटेड को 97.85 करोड़ रुपये की राशि के लिए संदिग्ध धोखाधड़ी घोषित किया था। बैंक ने इस बारे में 13.05.2015 को भारतीय रिजर्व बैंक को सूचित भी किया था। सीबीआई ने 12 लोगों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें यशवंत वर्मा का नाम कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में दसवें नंबर पर था। सीबीआई एफआईआर के पांच दिन बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी 27.02.2018 को मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, 2002 की धारा 3/4 के तहत पुलिस स्टेशन-प्रवर्तन निदेशालय, जिला-लखनऊ में शिकायत दर्ज की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कहा था कि इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश देना हाईकोर्ट की गलती थी, क्योंकि कोई जांच जरूरी नहीं थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि धोखाधड़ी के लिए कानून के अनुसार कार्रवाई करने से प्राधिकरणों को रोका नहीं गया है। बहरहाल, एफआईआर दर्ज होने के थोड़े समय बाद सीबीआई ने वर्मा का नाम एफआईआर से हटा दिया था, और एजेंसी ने कोर्ट को सूचित किया था कि उनका नाम हटाया जा रहा है।
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर

26 Mar 2025 13:07:15
यूपी के उपयोगी 8 वर्ष शीर्षक विकास पुस्तिका का किया विमोचन।
अंतर्राष्ट्रीय

21 Mar 2025 21:05:28
रवि द्विवेदी रिंकू संग्रामपुर,अमेठी। संग्रामपुर क्षेत्र के कालिकन धाम के पवित्र स्थान गणेश देवतन पर आज गुरूवार से श्रीमद्भागवत कथा...
Online Channel

खबरें
शिक्षा
राज्य

Comment List