पंचायत सरकार भवन निर्माण का विवाद गहराया
आदिवासी समाज ने प्रसासन पर लगाया धमकाने का आरोप

त्रिवेणीगंज, सुपौल बिहार
प्रखंड के परसागढ़ी दक्षिण पंचायत के हरिनाहा वार्ड संख्या 9 में बन रहे पंचायत सरकार भवन को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार संध्या को इस मुद्दे पर आदिवासी समाज और प्रशासन के बीच हुई वार्ता बेनतीजा रही।
प्रसासन के ढुल मूल रवैये से नाराज आंदोलन कर रहे आदिवासी लोगों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं और विरोध को और तेज करने की चेतावनी दी है।
मालूम हो कि शनिवार संध्या आदिवासी समाज के दर्जनों महिला-पुरुष अनुमंडल कार्यालय पहुंचे और पंचायत सरकार भवन के निर्माण को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया। आदिवासी समाज का कहना है कि जिस जमीन पर पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया जा रहा है,
वह भूमि वर्षों पहले आदिवासी आवासीय हाई स्कूल के लिए आवंटित की गई थी। विभागीय उदासीनता के कारण पिछले 41 वर्षों से विद्यालय भवन का निर्माण नहीं हुआ।उन्होंने बताया कि उक्त जमीन पर विद्यालय की पुरानी नींव आज भी मौजूद है।
इस मुद्दे को लेकर एसडीएम कार्यालय में अधिकारियों और आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के बीच शनिवार को करीब डेढ़ से दो घंटे तक वार्ता चली। वार्ता में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद युवा प्रकोष्ठ के कटिहार जिलाध्यक्ष सिणोद उरांव के नेतृत्व में चंद्रशेखर उरांव,रंजन उरांव,राजमणि देवी,प्रमिला देवी,रीना देवी,मंजुला देवी,रंजू देवी सहित कई प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
हालांकि बैठक के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया।बैठक के बाद बाहर निकले आदिवासी समाज के लोगों ने प्रशासन पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि वे अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी से पूरी तरह असंतुष्ट हैं।
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के युवा प्रकोष्ठ के कटिहार जिलाध्यक्ष सिणोद उरांव ने आरोप लगाया कि जब पहले निर्माण कार्य रोका गया और वे लोग जदिया थाना में आवेदन देने पहुंचे,तो वहां के पुलिसकर्मियों ने उनलोगों को डराया-धमकाया और कहा कि ज्यादा बोलोगे तो जेल में डाल देंगे।
बता दें कि आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि जिस भूमि पर पंचायत सरकार भवन बनाया जा रहा है, वह खाता संख्या 495, खेसरा संख्या 2341 की 5 एकड़ 14 डिसमिल जमीन है, जो दशकों से आदिवासी स्कूल के नाम पर दर्ज है।
ग्रामीणों ने भूमि से संबंधित दस्तावेज और मालगुजारी रसीदें भी प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत कीं। उनका स्पष्ट कहना है कि यह भूमि बच्चों के भविष्य के लिए सुरक्षित है और इस पर किसी भी सूरत में पंचायत सरकार भवन का निर्माण नहीं होने देंगे।
आदिवासी समाज के लोगों ने मांग की है कि विद्यालय के लिए आरक्षित भूमि को संरक्षित रखा जाए और पंचायत भवन के निर्माण के लिए कोई वैकल्पिक भूमि चिन्हित की जाए।
फिलहाल इस मुद्दे को लेकर आदिवासी समाज के लोगों के बीच आक्रोश बना हुआ है।
आदिवासी समाज के लोग अपने रुख पर अडिग हैं, वहीं प्रशासन अभी भी समाधान की तलाश में जुटा है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इस विवाद का कोई समाधान निकलता है या विरोध और तेज होता है।
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