ईदमिलादुन्नबी को लेकर ग्राम गनवरिया में जलसे का किया गया आयोजन 

जलसे में नबी की सीरत के बयान के साथ क़ौम के नवजवानों को दी इस्लाम के रास्ते चलने की नसीहत

ईदमिलादुन्नबी को लेकर ग्राम गनवरिया में जलसे का किया गया आयोजन 

विशेष संवाददाता मसूद अनवार की रिपोर्ट

तुलसीपुर देहात के ग्राम पंचायत गनवरिया मे जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मौके पर एक जलसे का का आयोजन किया गया जिसकी सदारत मौलाना रिजवान राइनी ने की और निजामत अशरफ अल्वी द्वारा की गई। इसमें स्थानीय ओलमा के साथ बाहर से आये आलिमो ने अपने अपने अंदाज में दोनों आलम के सरदार मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहु अलयहे वसल्लम की निराली शान व उनके सीरत को बयान किया और क़ौम के लोगो को सरकार प्यारे नबी के बताए हुए रास्तो पर चलने की हिदायत की है।

साथ ही आज के माहौल की बात की जाये तो हमारे कौम के नवजवानों की जो तस्वीर सामने दिख रही उसको लेकर इमाम मस्जिद पुरवा मुफ़्ती मोहम्मद अहमद ने जबतदस्त बयान किया कि आज के माहौल में क़ौम के नवजवानों को इस्लाम के सच्चे रास्ते पर चलने का शंदेश देते हुए कहा कि हम जिसके उम्मती है यह उनके पैदाइश का जश्न है ईदमिलादुन्नबी जिसे हम बढ़चढ़ कर शौक से मनाये लेकिन यह ध्यान रहे कि आज हम दूसरे कौम के कम्पटीशन में इतने भटक गए है कि हमारी रिवायत क्या और दास्तान क्या है।

जिस रास्ते पर चलकर इस्लाम हमतक पहुचा वह रिवायत लगता है हम भूल बैठे है और तरह तरह के खुराफात और डीजे के धुनों पर नाच गानों और उछल कूद के प्रदर्शन को इस्लाम समझ रहे मना किया । वही डीजे पर भी जमकर प्रहार किया गया कोई अगर एक का दिखावा करता है तो हम उससे बढ़ कर दिखावा करते है जो हमारे नबी ने मना किया है और आज हम दूसरे क़ौम के रस्मो रिवाज की बराबरी करने पर अड़े है और हमारा वजूद क्या है हम भूल बैठे है और तरह तरह का खुराफात करते है यह इस्लाम मे गलत है और इससे मना किया गया।

उसके बाद उन्हों ने साफ कहा कि जो रास्ता हमारे इस्लाम ने हमे दिया उस पर चले और तमाम खुराफात और बुराइयों से बचे। इसके साथ ही मुरादाबाद से आये सूफी आलिम हुजूर सय्यद दानिश मिया ने सरकार के मिलाद में सरकार के बारे बयान किया और कहा कि हमारे आका सल्लाहु अलयहे वसल्लम का फरमान है कि मैं अपनी उम्मत को 2 चीजे सौप रहा हूँ एक क़ुरआन और दूसरा अहलेबैत जिस पर हम कायम रहे तो दुनिया भी और आगे की मंजिल भी आसान होगा जिसको लेकर तथ्यों के साथ शानदार ढंग से प्रस्तुत कर लोगो को बेदार किया गया है। इसके साथ ही फातिहा ख्वानी और सलाम के साथ जलसे का समापन किया गया।

जिसमे मुफ़्ती मोहम्मद अहमद ,सुल्तानुल ओलमा मौलाना यमनी ,मुफ़्ती कौसर हसन, सय्यद फैजानुद्दीन सय्यद दानिश मिया के साथ अन्य नातख़्वा और ओलमा की उपस्थित देखी गई।

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