विश्व स्वास्थ्य दिवस विशेष-: कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद डटे रहे ड्यूटी पर, त्रिवेणीगंज अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों का साहस बना मिसाल
सेवा, समर्पण और साहस की बेमिसाल कहानी

जितेन्द्र कुमार "राजेश"
त्रिवेणीगंज (सुपौल)। जब कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर ने देशभर में कोहराम मचा रखा था, तब त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी सेवा और मानवता की मिसाल बनकर सामने आए।उस दौर में जब लोग एक-दूसरे से दूरी बना रहे थे, घरों में कैद थे, और भय का माहौल हर तरफ था, तब यहां के नर्स और स्टाफ ने कोविड पॉजिटिव होने के बावजूद मरीजों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पहली लहर में संक्रमित होने के बाद भी, दूसरी लहर में इन्होंने फिर से मोर्चा संभाला—ना सिर्फ मरीजों का इलाज किया, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाने का काम किया। अस्पताल के संक्रमित नर्सो ने बताया, "हम जानते थे कि खतरा है, लेकिन हम पीछे नहीं हट सकते थे।
मरीजों को हमारी सबसे ज्यादा ज़रूरत उसी समय थी।" PPE किट पहनकर घंटों तक ड्यूटी करना, अपनों से दूर रहना और संक्रमण का डर—इन तमाम चुनौतियों के बावजूद इन स्वास्थ्यकर्मियों ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखा।
कोरोना काल में भी नहीं डिगा स्वास्थ्यकर्मियों का हौसला
जानकारी देते हुए अस्पताल प्रबंधक एस. अदीब अहमद ने बताया कि कोरोना की लहर के दौरान अस्पताल में 9 डॉक्टर, 73 एएनएम, 23 जीएनएम, 17 एनएचएम कर्मी एवं दर्जनों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संक्रमित मरीजों की सेवा में जुटे रहे। संक्रमण का जोखिम उठाते हुए ये सभी स्वास्थ्यकर्मी निरंतर अपनी ड्यूटी निभा रहे थे।
सेवा के दौरान 5 से 6 कर्मचारियों को छोड़कर लगभग सभी स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित हो गए थे। बावजूद इसके, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद वे पुनः मरीजों की सेवा में लग गए और अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ करते रहे।
स्वतंत्र प्रभात परिवार की ओर से विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर, इन जांबाज़ स्वास्थ्य योद्धाओं को सलाम, जिन्होंने न केवल ज़िंदगियां बचाईं, बल्कि उम्मीद भी जिंदा रखी।
स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
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