लंका दहन की पावन कथा का वर्णन कर श्रोताओं की भक्ति का कराया रसपान

लंका दहन की पावन कथा का वर्णन कर श्रोताओं की भक्ति का कराया रसपान

लंका दहन की पावन कथा का वर्णन कर श्रोताओं की भक्ति का कराया रसपान


देवा बाराबंकी ।

विकास खण्ड देवा  के ग्राम पींड स्थित श्री गौपेश्वर नाथ धाम पेना तालाब में चल रही शतचंडी महायज्ञ के आठवें दिन सोमवार को कथावाचक पूर्णिमा ने हनोमान जी के पराक्रम का बखान करते हुये लंका दहन की  पावन कथा का वर्णन कर श्रोताओं की भक्ति का रसपान कराया ।

कथावाचक पूर्णिमा ने कहा कि जिस समय सीता जी लंका की अशोक वाटिका में विकल अवस्था में बैठी होती है उसी हनुमान जी राम की दी हुई मुद्रिका को गिराते है जिसको देखकर सीता जी विचार करती है राम को कोई जीत नहीं सकता है और ऐसी मुद्रिका माया से बनाई भी नहीं जा सकती है

 लंका दहन की  पावन कथा का वर्णन कर श्रोताओं की भक्ति का कराया रसपान

तब हनुमान जी अपना परिचय देते हुये कहते है कि मैं भगवान राम का दूत हूं मां मुझे भूख लगी है और मैंने पड़ोस की वाटिका में मीठे फल देखें है जिस समय हनुमान जी फल खा रहे होते है उसी समय रक्षकों की सूचना पर रावण का पुत्र मेघनाथ हनुमान जी के ऊपर ब्रह्मपास फेकता है जिसको देखकर हनुमान जी ब्रह्मपास को प्रणाम कर उसी में खुद बंध जाते है और मेघनाथ उनको लेकर रावण के दरबार में लेकर जाता है

जहां लंकावासी वानर को देखकर अधिक उपहास करते है रावण अपने सैनिकों को आदेश देता है कि इस वानर का वध कर दो तभी विभीषण कहते है कि दूत के प्राण लेना शास्त्र के विरुद्ध है तो रावण कहता है कि वानर को अपनी पूंछ काफी प्रिय होती है इसकी पूंछ में आग लगा दो सैनिक पूंछ में घी और कपड़ा बांधना शुरू करते है हनुमान जी अपनी पूछ को इतना बढ़ा देते हैं कि समूचे नगर का घी और कपड़ा समाप्त हो जाता है

 इसके बाद उनकी पूछ में आग लगा देते हैं पूछ में आग लगते ही हनुमान जी विशाल का रूप बनाकर समूची लंका को आग लगा देते हैं समूची लंका में हाहाकार मच जाता है । इस मौके उमेश मौर्या, विजय वर्मा, महेश वर्मा ,जगेश मौर्या, रोहित मौर्या, संजय मौर्या ,आनन्द सहित तमाम श्रोता  मौजूद रहे ।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel