कुशीनगर : मुलायम सिंह यादव के प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धाजंलि देने साईकिल से यात्रा पर निकले वन मित्र
मार्ग खर्च के लिए आर्थिक स्थिति सही नही होने से लेना पड़ा है कर्ज
रामनारायन चौहान
कोटवा बाजार। नेबुआ नौरंगिया विकास खण्ड के मठियाधीर गांव निवासी जितेंद्र यादव व धर्मु गोंड अपने जिले कुशीनगर से सैफई के लिए साईकिल यात्रा पर निकले। क्षेत्र में लोग इन्हें वृक्ष-मित्र के नाम से भी जानते है। इस बार मुलायम सिंह की पहली पुण्यतिथि 10अक्टूबर को है, जिसके लिए उनके समाधि स्थल पर यह वृक्ष मित्र अपनी नर्सरी से साथ ले गए तीन पेड़ लगाएंगे। स्व० मुलायम सिंह को श्रद्धांजलि देने 21 सितम्बर को दोपहर के दो बजे बभनौली चौराहे (कुशीनगर) से साईकिल पर बरगद, पाकड़ और पीपल के एक एक पौधा पुरानी साइकिल पर बांध के निकने दो मजदूरों की सैफई यात्रा की बात जब सपाईओ तक पहुची तो वे भी उनके चौराहे पर पहुच गए। जहाँ से सपा के वरिष्ठ नेता डॉ० परशुराम सिंह पटेल और श्रीनिवास यादव ने बभनौली चौराहा पर हरी झंडी दिखाकर उनको रवाना किया। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की पहली पुण्यतिथि अक्टूबर 10 तारीख को होगी। कुशीनगर जिले से 50 वर्षीय जितेंद्र यादव जिनको इलाके के लोग वृक्ष मित्र कह कर बुलाते हैं अनोखे रूप में अपने नेता को श्रद्धांजलि देने जा रहे हैं। इनकी श्रद्धांजलि इसलिए खास है क्योंकि यह कुशीनगर जिले के रामकोला थानाक्षेत्र के बभनौली चौराहा से अपने एक साथी के साथ साइकिल से अपनी निजी नर्सरी में उगाई गयी पीपल, पाकड़ और बरगद के करीब सात फीट के उचाई वाले पौधो को अपने साथ में ले जाकर स्वर्गीय मुलायम सिंह की समाधि के पास लगाएंगे। इनको श्रद्धांजलि देने के बाद वह लोगों को पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पेड़ लगाने और उसके संरक्षित करने का संदेश भी देंगे। पेशे से मजदूर जितेंद्र पुरानी साइकिलों पर अपने एक साथी धर्मू गोंड के साथ हरा रंग का टी-शर्ट पहनकर साइकिल के ऊपर तिरंगा लगाएं दो साइड में तीन पौधे को रखकर ले जा रहे हैं। वृक्ष मित्र जितेंद्र यादव के संकल्प को देखते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ० परशुराम सिंह पटेल और श्रीनिवास यादव ने उनके गांव पहुंचकर उनकी इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई। वही इन लोगों ने वृक्ष मित्र जितेंद्र यादव को रास्ते के लिए पानी मिठाई और कुछ खाने की चीज भी उपलब्ध करते हुवे उनके प्रकृति प्रेम के साथ उनकी इस संकल्प जिसके जरिए वह पूरे प्रदेश को अपनों की याद में पेड़ लगाने की अनूठी सोच को सराहना भी किया है।
वन मित्र ने बताया कि हमारी आर्थिक स्थिति सही होने के कारण अपनो और मित्रो से कर्ज लेना पड़ा। साईकिल यात्रा की बात जब कुछ लोगो ने सुना तो अपने स्तर से कुछ आर्थिक मदद और खाने पीने आदि की वस्तुओं को दिया। आगे उन्होंने बताया कि जहा शाम होती है वही पर किसी के घर मे विश्राम कर लेते है। कुछ जागरूक लोग खाने पीने का इंतजाम कर देते है। नही होने पर किसी ढावा पर शरण लेकर वही पर अपने पैसों से खा पी लेते है। खबर लिखे जाने तक वो प्रदेश की राजधानी लखनऊ में थे।
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