सड़क सुरक्षा व यातायात नियमों की खुलेआम उड़ा रहे धज्जियां, कान्वेंट स्कूलों के वाहन

परिवहन व पुलिस प्रशासन के उदासीनता के चलते भेड़बकरियो की भांति भरते है बिना फिटनेस वाहनों पर बच्चे

सड़क सुरक्षा व यातायात नियमों की खुलेआम उड़ा रहे धज्जियां, कान्वेंट स्कूलों के वाहन

शिक्षा व अन्य व्यवस्था के नाम पर जमकर कर रहे निजी स्कूलों के प्रबंधक वसूली 

बलरामपुर सरकार सड़क सुरक्षा और यातायात के नियमो के पालन को लेकर कितना भी नियम बनाये लेकिन निजी कान्वेंट स्कूल व विद्यालय पर इसका कोई असर नही दिखता है जिसकी बानगी आप जनपद बलरामपुर के सड़को पर अक्सर देख सकते है जंहा विद्यालय के बैनर लगी वाहन बिना किसी मानक के फर्राटे भरते नजर आते है।जून की छुट्टियां खत्म होते ही फिर नगर एवं आसपास के क्षेत्रों में कान्वेंट स्कूलों में इंग्लिश शिक्षा के नाम अभिभावकों का जमकर आर्थिक शोषण हो रहा है। नगर का शायद ही ऐसा कोई गली- मोहल्ला हो, जहां पर कोई कॉन्वेंट स्कूल न हो। ऐसे स्कूलों में एडमिशन, फीस, टाई, बेल्ट, यूनिफार्म, कापी, किताब, बिल्डिंग, वाहन, एनुअल फंक्शन के नाम पर भारी भरकम धन वसूला जाता है ।
 
जिससे गरीब एवं मीडिल क्लास के लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ जाता है और स्कूल संचालकों की चांदी कटती है। बहुत से स्कूल ऐसे है जिनकी मान्यता भी नहीं रहती फिर भी स्कूल का संचालन धड़ल्ले से कर रहे हैं। सम्बंधित विभाग इन स्कूल संचालकों पर लगाम लगाने में असफल है।
 
 सरकार द्वारा कान्वेंट स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों लिये आरक्षित सीटें भी नहीं मिलती है। अगर बात करें इन स्कूलों के वाहनों की तो वाहन सुविधा के नाम पर अभिभावकों का आर्थिक शोषण होता है। प्रायः देखने को मिलता है कि निजी स्कूलों के वाहनों में बच्चों को ऐसे ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है जैसे सड़कों पर डग्गामार वाहन सवारियों को भरते है।
 
ऐसे वाहनों में नौसिखये चालक जिनके पास शायद ही ड्राइविंग लाइसेंस हो और अनुभव भी नहीं होता के हवाले बच्चों की जिम्मेदारी दे दी जाती है। ये सब खुलेआम होता है और सम्बंधित विभाग की नजर नहीं पड़ती य विभागीय सुविधा शुल्क की खिचड़ी पक रही है जिसके कारण तमाम ऐसे विद्यालय के वाहन जिनका मानक भी नही पूरा सड़को पर फर्राटे भर रहे ।
 
 शायद ही कभी ऐसे वाहनों और चालकों की जांच होती हो। ऐसे स्कूल सरकार द्वारा निर्धारित मानकों को भी ठेंगा दिखाते हुए सारे नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हैं जबकि स्कूल बसों के मानक इस प्रकार है। वाहनों का परमिट, फिटनेस और ड्राविंग लाइसेंस, स्कूली बसों के लिए व्यवसायिक लाइसेंस, फस्ट ऐड बॉक्स, क्षमता के अनुसार अग्निशमन यन्त्र, बस के आगे-पीछे स्कूल बस लिखा हो, कॉन्टेक्ट वाली बसों पर आन ड्यूटी लिखा हो, बसों में जाली और ग्रेव रैलपाइप सीटों के अनुसार बच्चें हों, इससे अधिक ओवरलोडेड माना जायेगा। 
 
लेकिन विभागीय अधिकारियों के उदासीनता और संरक्षण के चलते इनको खुली छूट मिली हुई है जबकि वाहनों के फिटनेस व मानक को लेकर न तो पुलिस प्रशासन और न ही यातायात विभाग इनपर कार्यवाही करता है जिससे ऐसे विद्यालय के संचालको का मनोबल काफी बढ़ा हुआ और वह नियमो और मानकों की खुलेआम धज्जिया उड़ाते देखे जा रहे।

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