116 गांवों को तबाह करने को आतुर दिख रहीं गोर्रा व राप्ती नदियां 

--नदी का वेग नहीं रोक पायेंगे जर्जर बन्धे

116 गांवों को तबाह करने को आतुर दिख रहीं गोर्रा व राप्ती नदियां 

रूद्रपुर, देवरिया। राप्ती व गोरा नदियां दोआबा के 52 और कछार क्षेत्र के 64 गांव को तबाह करने के लिए आतुर दिख रही हैं। दोनों नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है जो खतरे के निशान से महज कुछ सेंटीमीटर नीचे है। सिंचाई विभाग का बाढ़ खंड केवल जलस्तर नाप कर अपना उत्तरदायित्व पूरा कर रहा है। हालांकि प्रशासन ने बाढ़ की आशंका को देखते हुए योजना बनानी शुरू कर दी है। क्षेत्र में कुल 14 बाढ़ चौकिया बनाई गई हैं। जहां बाढ़ आने पर लोगों के रैन बसेरे का इंतजाम किया जा रहा है।
 
भारी बरसात होने व नेपाल द्वारा पानी छोड़ जाने के बाद दोनों नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। नदी का वेग सब कुछ बर्बाद करने पर आमादा है। नदियों के किनारे बने तटबंध रेन कट व साही माद के कारण खोखले हो चुके हैं। जो नदियों का दबाव झेलने में असमर्थ हैं। तिघरा मराछी बन्धे पर भेड़ी के पास लगातार कटान हो रही है। जिससे लोग दहशत में हैं। दोनों नदियों के किनारे बने तटबंध वर्षा से सलसला गये हैं। विभाग बंधो की रिपेयरिंग के नाम पर लाखों रुपए का वारा न्यारा करता है।
 
और जब नदी का जलस्तर बढ़ने लगता है तो कागजी तेजी दिखता है। सबसे खराब स्थिति नदी व बंधे के बीच बसे बहोरा दलपतपुर, नारायणपुर व शीतल माझा गांव की है जहां नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही साथ लोग अपना घर व मकान जलमग्न होने की आशंका से परेशान हैं। कारण यह है कि सिंचाई विभाग सिर्फ बांधों को बचाता है गांव को नहीं। उधर बरसात के पानी का जलस्तर लगातार बढ़ने से लोगों के खेतों में खड़ी धान की फसल डूब रही है। सरेह का पानी लगातार फैल रहा है और खेत डूब रहे हैं।

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