व्यक्ति महत्व पूर्ण नहीं होता संस्था महत्वपूर्ण होती है।इसलिए इफको संस्था मजबूत करिए। डॉ अवस्थी
इफको कर्मचारी संघ में हुआ भव्य स्वागत।
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प्रयागराज। इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने आज यहां कहा कि कोई व्यक्ति महत्वपूर्ण और संस्था के लिए अपरिहार्य नहीं होता संस्था महत्व पूर्ण होती है।इसलिए जिस संस्था में काम करे उसकी मजबूती के लिए पूरी लगन और निष्ठा से काम करना चाहिए जिससे संस्था की एक अलग पहचान कायम हो सके। डॉ अवस्थी अपने तीन दिवसीय इफको फूलपुर इकाई में निरीक्षण करने पहुंचे ।जहां इफको कर्म चारियों ने संघ भवन में उनका स्वागत और अभिनन्दन किया।
श्री अवस्थी अपने स्वागत के लिए जुटे कर्मचारियों को संबोधित करते हुए आगे कहा कि कोई भी अधिकारी और कर्मचारी जब किसी संस्था में काम करने आता है तो एक निश्चित समय बाद जाना पड़ता है लेकिन संस्थाएं चलती रहती है। कोई किसी संस्था के लिए अपरिहार्य नहीं होता या वह सोच लेना कि उसके बाद यह संस्था डूब जाएगी ।यह गलत है। हां यह जरूर होता है है कोई अपने दृढ़ इच्छा शक्ति और संस्था को आगे ले जाने के पूरे मनोयोग और संघर्षों और अनेक बाधाओं को झेलते हुए भी संस्था के लिए अडिग रहता है कोई घबड़ा कर निराश हो जाता है।जिससे संस्था कमजोर होने लगती है।
डॉ अवस्थी ने कहा कि जब वे इफको में 1993 में प्रबंध निदेशक के रूप में आए तो संस्था की स्थित ठीक नहीं थी।लोग निराशा के वातावरण में काम कर रहे थे। वे इस चुनौती को बदलने के लिए दृढ़ निश्चय किया और इसको आगे ले जाने के लिए अनेक प्रयत्न शुरू किया।उन्होंने कहा मैने इफको में काम करने वाले लोगों के अंदर एक काम करने की इच्छाशक्ति का अनुभव किया और विश्वास जगा कि इस संस्था को आगे लेजाया जा सकता है।
डॉ अवस्थी ने बताया धीरे धीरे उनका प्रयास सफल हुआ और प्लांट को उत्पादन की दृष्टि से मजबूत किया गया।फिर फूलपुर के बाद आंवला में एक प्लांट लगाया गया फिर दोनों का विस्तार किया गया जिससे देश खाद्यान्न संकट से उबर सके।उसमें इफको अन्य संस्थाओं के प्लांटों से बेहतर साबित हुई।डीएपी की किल्लत से किसान परेशान था जिसके लिए पारा दीप में एक प्लांट खरीदकर किसानों की मदद की गई।

श्री अवस्थी इफको को दुनिया में सबसे ऊंचे स्थान पर ले जाने के लिए विदेशों में भी दो संस्थाएं वहां से समझौता कर के लगाया और खाद्यान्न के छेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण संस्था इफको को साबित किया।
उन्होंने कहा वे पिछले 3o वर्षों से इफको के लिए अपनी जिंदगी का समय दिया। अब मेरे अवकाश का समय है तो लोगों का मोह सता रहा है और मुझे इफको संस्था के लिए अपरिहार्य बता रहे है। लेकिन वे पिछले एक दशक से इफको को और ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए देश पर्यावरण और किसानों के हित में नैनो को खोजने में लगे थे वह भी सफल रहा।
उन्होंने कहा मैं यह नहीं मानता वे ही स्वयं देश में ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति होगे।प्रकृति और ईश्वर समय समय पर किसी को भेजता रहता है।कोई संपूर्ण है वे यह नहीं मानते।इसलिए मेरा सभी से आग्रह है कि किसी समस्या को कहने या हल करने के लिए स्वयं में पहले सोचो कि क्या हम लायक है जो पाना चाहते है।
उन्होंने कहा नौकरी में कभी भी बाहरी या राजनीतिक दबाव नहीं डलवाना चाहिए इससे संस्था कमजोर होती हैं।उन्होंने अपने कार्य काल में बाहरी दबाव को नहीं माना। यहां तक कि प्रधान मंत्री तक को जवाब दिया की यह नहीं कर पाऊंगा। अगर नहीं कहा तो नहीं किया और हां कह दिया तो अवश्य किया।कभी कभी ना कहने पर भी बाद में किया लेकिन उसके लिए मजबूत तर्क होना चाहिए।विचारों की भिन्नता होना खराब नहीं है उस पर अपनी बात को जो पछ मनवाने सफल हो वह मजबूत होता।है।
उन्होंने कहा बातचीत का खिड़की कभी किसी से बंद नहीं करनी चाहिए लेकिन प्रभाव या दबाव में किसी को निर्णय नहीं लेना चाहिए।तभी संस्था मजबूती से चल सकती है।उन्होंने अपील की कि आप लोग इफको संस्था को मजबूत रखने के लिए सदैव प्रयास रहे।इसी में देश समाज किसान और सभी कर्मचारियों की भलाई और उन्नति होगी।
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