ईडी की मनमानी पर सुप्रीम कोर्ट का अंकुश। अधिकारियों पर मुकदमे के लिए पूर्व मंजूरी ज़रूरी।
On
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी को झटका दिया है। इसने कहा है कि लोक सेवकों के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुक़दमा चलाने के लिए सरकार से पूर्व अनुमति लेना ज़रूरी है। तेलंगाना के दो अधिकारियों के ख़िलाफ़ ईडी की कार्रवाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया है कि सीआरपीसी की धारा 197 (1) की तरह ही पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा दायर अभियोजन की शिकायत (चार्जशीट) का संज्ञान लेने के लिए मंजूरी लेना ट्रायल कोर्ट के लिए अनिवार्य है। जस्टिस ओका और जस्टिस मसीह ने यह फ़ैसला दिया है। अब तक ईडी द्वारा दायर सभी चार्जशीट अभियोजन मंजूरी के बिना हैं और कई मामलों में ट्रायल कोर्ट ने उन चार्जशीटों का संज्ञान लिया है। इस फैसले का अब परिणाम यह होगा कि ईडी की इन कार्रवाइयों को चुनौती दी जाएगी।
उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197(1), जो यह प्रावधान करती है कि सार्वजनिक कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान कथित अपराधों के लिए लोक सेवकों और न्यायाधीशों पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है, धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामलों पर भी लागू होगी। न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें पूर्व मंजूरी के अभाव के आधार पर एक आईएएस अधिकारी के खिलाफ संज्ञान आदेश को रद्द कर दिया गया था।
" अपील खारिज कर दी गई। हमने माना है कि धारा 197(1) सीआरपीसी के प्रावधान पीएमएलए पर लागू होंगे ", न्यायमूर्ति ओका ने फैसला सुनाया। (प्रवर्तन निदेशालय इत्यादि बनाम बिभु प्रसाद आचार्यसीआरएल.ए. नं. 4314-4316/2024) सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह माना कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी की धारा 197 (1) जो लोक सेवक के ख़िलाफ़ अपराध का संज्ञान लेने के लिए सरकार से पूर्व मंजूरी लेना अनिवार्य करती है, वह मनी लॉन्ड्रिंग यानी पीएमएलए के मामले में भी लागू होती है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह कहते हुए जस्टिस ए एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मासीह की पीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। इसने आईएएस अधिकारियों बिभु प्रसाद आचार्य और आदित्यनाथ दास के खिलाफ शिकायत का संज्ञान लेते हुए एक ट्रायल कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। आँध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी के साथ ही दोनों अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया था।
ट्रायल कोर्ट के आदेश को तेलंगाना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई तो हाईकोर्ट ने ईडी के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया था। हाईकोर्ट के इसी फ़ैसले के ख़िलाफ़ ईडी ने चुनौती देने वाली अपील सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। ईडी ने कहा कि आचार्य सीआरपीसी की धारा 197 (1) के तहत एक लोक सेवक नहीं थे, क्योंकि यह नहीं कहा जा सकता है कि उक्त पद को धारण करते समय वह पद से हटाने योग्य नहीं थे।
ईडी ने यह भी कहा कि पीएमएलए की धारा 71 के मद्देनजर इसके प्रावधानों को सीआरपीसी सहित अन्य क़ानूनों के प्रावधानों पर अधिक तरजीह मिलती है। प्रतिवादी बिभु प्रसाद आचार्य के खिलाफ़ आरोपों में भूमि आवंटन में आधिकारिक पद का दुरुपयोग, संपत्तियों का कम मूल्यांकन और अनधिकृत रियायतें शामिल थीं, जिनसे कथित तौर पर आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़ी निजी कंपनियों को फ़ायदा पहुँचा, जबकि सरकार को काफ़ी वित्तीय नुकसान हुआ। ईडी ने आरोप लगाया कि आचार्य ने इन लेन-देन को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रमुख हस्तियों के साथ साजिश रची।
उच्च न्यायालय के समक्ष आचार्य ने तर्क दिया कि उन्होंने आधिकारिक क्षमता के अंतर्गत कार्य किया है तथा अभियोजन के लिए सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सरकार की पूर्व मंजूरी आवश्यक है।
ईडी ने तर्क दिया कि पीएमएलए एक विशेष क़ानून है जिसमें धारा 65 और 71 के तहत अधिभावी प्रावधान हैं, इसलिए इसके लिए ऐसी मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं है। ईडी ने कहा कि आरोपों में निजी लाभ के लिए आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग शामिल है, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 21 जनवरी, 2019 को पीएमएलए के तहत कार्यवाही में विशेष न्यायाधीश द्वारा जारी किए गए संज्ञान आदेशों को रद्द करते हुए निरस्तीकरण याचिका को अनुमति दे दी। उच्च न्यायालय ने माना कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत आवश्यक पूर्व मंजूरी की कमी ने संज्ञान आदेशों को अस्थिर बना दिया।
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
महाराष्ट्र और झारखंड में बहुत कठिन है डगर पनघट की।
12 Nov 2024 20:25:40
महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।भाजपा गठबंधन एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है।लेकिन झारखंड...
अंतर्राष्ट्रीय
भारतवंशी सांसद ने खालिस्तानी चरमपंथ पर धमकियों के बावजूद साधा निशाना, कहा- कनाडा के लोगों को ये गुमराह कर रहे हैं
10 Nov 2024 17:39:46
International Desk कनाडा। कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने 3 नवंबर को ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में हिंदू भक्तों पर...
Comment List