खदान हादसे में नया मोड़, प्रशासन पर उठ रहे सवाल

खदान मालिक पर लापरवाही और प्रशासन को गुमराह करने के आरोप

खदान हादसे में नया मोड़, प्रशासन पर उठ रहे सवाल

चित्रकूट। भरतकूप क्षेत्र में भोरा पहाड़ के गाटा संख्या 1078, खंड 31 में खदान हादसे ने एक बार फिर खनन क्षेत्र में मानकों की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है। हादसे में पोपलैंड मशीन के पलटने से मौके पर ही ऑपरेटर और हेल्पर की मौत होने की खबर सूत्रों  द्वाराआ रही है। हालांकि, मामले में खदान मालिक पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि उसने शवों को चुपचाप मोरम डंपर में लदवाकर कहीं भेज दिया और प्रशासन को गुमराह कर रहा है। नाम छुपाने की शर्त पर कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि यह घटना पूरी तरह से खदान मालिक की लापरवाही और प्रशासन की अनदेखी का नतीजा है। भरतकूप के साथ ही गोडा, भंवरा, बजनी पहाड़ क्षेत्रों में भी मानक विहीन खदानों के संचालन का मामला लंबे समय से चर्चाओं में है।
 
सरकार द्वारा खदानों के लिए तय की गई गाइडलाइंस का पालन यहां कहीं नहीं किया जा रहा है। खदानों में सुरक्षा के लिए ब्रांच जैसी आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं हैं, और खदान मालिक मनमानी तरीके से खनन कार्य संचालित कर रहे हैं। सवाल उठता है कि प्रशासन आखिर कब तक इन मौतों का सिलसिला रोकने में असफल रहेगा?सूत्रों के अनुसार, झांसी खदान प्लांट का मालिक भाजपा सरकार से जुड़े एक प्रभावशाली नेता बताया जा रहा है, जिसके चलते जांच में ढील बरती जा रही है।
 
वहीं, दुर्घटना के बाद मारे गए ऑपरेटर और हेल्पर के संबंध में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है, जिससे घटना पर सवाल और भी गहरे हो गए हैं।वही खदान के मैनेजर द्वारा कहा गया कि ऐसी कोई घटना नही हुई है खाली खड़ी मशीन ही ऊपर से गिरी हुई है। जबकि पॉपलेंड मशीन की खिड़की खुली हुई थी जो मशीन की फोटो में साफ साफ देखा जा सकता है स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन खदानों में लगातार हो रही मौतों पर प्रशासन की चुप्पी उनकी संवेदनहीनता को दर्शाती है। लोग चाहते हैं कि हादसे की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।अभी तक का सवाल - आखिरकार मौतों का यह सिलसिला कब थमेगा?

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