स्वच्छ सुव्यवस्थित महाकुम्भ की परिकल्पना को साकार करेगा बायो सीएनजी प्लांट: मुख्यमंत्री।
महाकुम्भ में संगम जाने का सबसे सहज मार्ग होगा स्टील ब्रिज।
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वेस्ट टू वेल्थ' का बेहतरीन उदाहरण है बायो सीएनजी प्लांट,।200 व्यक्तियों को रोजगार मिला, 56700 टन वार्षिक कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी।
स्वतंत्र प्रभात।
ब्यूरो प्रयागराज
स्वच्छ और सुव्यवस्थित महाकुम्भ की परिकल्पना के साथ नैनी में प्रदेश का पहला एमएसडब्ल्यू बायो सीएनजी प्लांट क्रियाशील होने को तैयार है।
इस विशेष अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बायो प्लांट स्वच्छ प्रयागराज- सुव्यवस्थित महाकुम्भ के संकल्प की दिशा में एक प्रयास है, जो महाकुम्भ के बाद भी प्रयागराज नगर के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
प्रदेश में म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट आधारित इस पहले सीएनजी प्लांट से 200 परिवारों को रोजगार भी मिला है। पीपीपी मॉडल पर संचालित होने वाले इस प्लांट का अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के 'वेस्ट टू वेल्थ' की अवधारणा को साकार करता यह प्लांट आरएनजी (नवीकरणीय प्राकृतिक गैस) परियोजना, अत्याधुनिक और नवीनतम तकनीक के साथ नगर निगम के ठोस कचरे को बायोगैस में संसाधित करने के लिए सबसे उन्नत और कुशल सुविधाओं में से एक है।
अधिकारियों ने बताया कि नगर निगम द्वारा संचालित इस परियोजना के अंतर्गत प्रयागराज शहर में घरों, होटल-रेस्टोरेंट्स और मंदिरों से हर दिन निकलने वाले औसतन 200 टन गीले कचरे से लगभग 21500 किलो बायो CNG और 209 टन जैविक खाद बनेगी। प्लांट की कुल क्षमता 343 टन प्रति दिन उत्पादन की है। हर दिन प्लांट से 21.5 टन बायो CNG के साथ 109 टन ठोस जैविक खाद और 100 टन तरल जैविक खाद बनेगी। इससे 56700 टन वार्षिक कार्बन उत्सर्जन में कमी आ सकेगी।
एक दिनी दौरे पर प्रयागराज पहुंचे मुख्यमंत्री ने फाफामऊ में गंगा नदी पर निर्माणाधीन सिक्सलेन पुल के विकल्प के रूप में बन रहे स्टील ब्रिज का भी निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार के महाकुम्भ में यह स्टील ब्रिज तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए संगम तक आवागमन का सबसे सहज साधन होगा। स्टील ब्रिज से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, अयोध्या, गोरखपुर, लखनऊ, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान की ओर से महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों को काफी सहूलियत मिलेगी।
उन्हें नगर में नहीं जाना पड़ेगा। गंगा किनारे रिवर फ्रंट रोड से ये वाहन सीधे महाकुम्भ मेला में प्रवेश कर सकेंगे। भारत सरकार के सौजन्य से बन रहे इस स्टील ब्रिज के लोड टेस्टिंग का काम भी पूरा हो गया है। लगभग 450 मीटर लंबे दो लेन के इस स्टील ब्रिज में 4500 टन लोहे का प्रयोग हुआ है। इसके लिए तीन किमी की एप्रोच रोड का भी निर्माण कराया गया है।
इससे पहले स्नान घाटों की तैयारियों को परखने के क्रम में मुख्यमंत्री ने संगम ऐरावत घाट और संगम नोज घाट का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि हर एक तीर्थयात्री का स्नान सुरक्षित हो, इसके लिए व्यवस्थाओं में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। महाकुम्भ को सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री रखा जा रहा है, कैरी बैग से लेकर होर्डिंग-बैनर तक कहीं भी प्लास्टिक नहीं, जो कुछ होगा सब बायोडीग्रेडेबल होगा। इसे लेकर जागरूकता भी बढ़ाई जाए।
घाट प्रबंधन और श्रद्धालुओं के सहयोग के लिए 05 हजार कुम्भ सेवा मित्र की तैनाती की गई है। इनका विधिवत प्रशिक्षण भी कराया जाए। मुख्यमंत्री ने किले के समीप तैयार हो रहे वीआईपी घाट का भी निरीक्षण किया और यहीं से त्रिवेणी संगम पहुंचकर संगम-पूजन भी किया और फिर बड़े हनुमान जी का दर्शन भी किया।
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