इस कट्टरपंथी मजहबी उन्माद को सख्ती से कुचलना होगा
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महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को मुद्दा बना कर साम्प्रदायिक हिंसा सामने आयी है, वह न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही वरन देश में धर्मांधता कट्टरवादी फिरकापरस्ती परस्पर घृणा विद्वेष से भरी हमलावर जेहादी मानसिकता के बढते खतरे का भी अलार्म है । मानते हैं अपना देश विविधताओं से भरा एक देश है, जहां सभी धर्मों और जाति के लोग बिना किसी भेदभाव के सदियों से एक साथ प्रेम और भाईचारे से रहते आ रहे हैं। मगर अफसोस की बात है कि कुछ अराजकतत्व जान-बूझकर ऐसे कृत्यों को करते हैं, जिससे कि समाज में वैमनस्य और टकराव की हालत पैदा की जाती है।
मुगल शासक औरंगजेब को लेकर उठीं नफरत की लपटों में सोमवार रात सेंट्रल नागपुर झुलस गया। दर्जनों गाड़ियां स्वाहा कर दी गईं। हाथों में पत्थर लिए भीड़ ने पुलिस को भी नहीं बख्शा। स्थानीय लोगों का कहना है कि उपद्रवी घर के अंदर तक घुसे और तोड़फोड़ की। गाड़ियों को जला दिया गया। पुलिस के अनुसार शहर में हुई हिंसा के सिलसिले में कम से कम 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और हिंसा के दौरान 34 पुलिसकर्मी तथा पांच अन्य लोग घायल हुए हैं। हिंसा के दौरान 45 वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई। दरअसल, सोमवार को नागपुर में हिंसा भड़कने की वजह दो अफवाहें थी।
नागपुर में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के विरोध प्रदर्शन के बीच पहली अफवाह यह फैली कि एक धार्मिक ग्रंथ को नुकसान पहुंचाया गया है। वहीं, दूसरी अफवाह कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा ये फैलाई गई कि पवित्र चादर को आग लगा दी गई है। हालांकि, कहीं कुछ ऐसा हुआ ही नहीं था। इन अफवाहों से एक समुदाय विशेष के लोग भड़क गए और सड़कों पर उतर आए। साफ है कि औरंगजेब को लेकर जारी तनाव की आड़ में क्या जान-बूझकर चिंगारी को भड़काया गया ? इस पर सियासत गर्म है। शिवसेना और बीजेपी नेता इसे सुनियोजित साजिश बता रहे हैं।
सीएम देवेंद्र फडणवीस नागपुर हिंसा को लेकर बेहद सख्त हैं। वहीं, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को इसमें साजिश की बू आ रही है। उन्होंने कहा कि यह घटना पूरी प्लानिंग के तहत हुई है। पेट्रोल बम का इस्तेमाल हुआ है। नागपुर हिंसा ने महाराष्ट्र ही नहीं देश में भी सबको हिलाकर रख दिया। औरंगजेब की कब्र के बाहर प्रदर्शन को लेकर अचानक 200 से 300 लोगों की भीड़ आ धमकी। दरअसल पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब को लेकर विवाद बढ़ गया है।
छत्रपति संभाजी महाराज पर बनी बॉलीवुड फिल्म छावा रिलीज के बाद जहां सुर्खियों में है, तो वहीं दूसरी तरफ राज्य हिंदूवादी संगठनों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की है। इससे पहले राज्य में औरंगजेब को लेकर तब विवाद खड़ा हुआ था, जब समाजवादी पार्टी के बड़े नेता और मुंबई की मानखुर्द शिवाजीनगर से विधायक अबु आजमी ने मुगल शासक की तारीफ की थी। अबु आजमी इस मामले में वेल पर हैं और पुलिस कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। उन्हें औरंगजेब की तारीफ करने पर महाराष्ट्र विधानमंडल के पूरे बजट सत्र से सस्पेंड किया जा चुका है।
औरंगजेब का मकबरा, महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के खुल्दाबाद में है। यह औरंगाबाद शहर से 25 किलोमीटर दूर है। अब छत्रपति संभाजी महाराज के सन्मानार्थ खुलताबाद में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग हिंदुत्ववादी संगठनों की ओर से करने के बाद राज्य की राजनीति में उबाल आ गया है। छावा फिल्म के रिलीज होने के बाद जिले के खुलताबाद में मुगल शासक औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर विवाद बढ़ने के बाद उबाठा और शिवसेना शिंदे गुट आमने-सामने आ गई है।
उबाठा विधायक व विधान परिषद में विपक्ष के के नेता अंबादास दानवे और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गए हैं। किसी भी तरह की गड़बड़ी को टालने के लिए प्रशासन ने कब्र क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर दिया है। औरंगजेच ने अपनी मौत से पहले ही बता दिया था कि उनकी कब्र कहां होनी चाहिए। औरंगजेब ने खुद कमाए पैसों से अपनी कब्र का खर्च उठाने को कहा था। पहले औरंगजेब के मकबरे को कच्ची मिट्टी से तैयार किया गया था। बाद में लॉर्ड कर्जन ने इस पर संगमरमर लगा दिया था।
औरंगजेब के मकबरे के पास ही उनके बेटे आजम शाह का मकबरा है। देखा जाए तो जिन लोगों ने इस दंगे को अंजाम दिया है, उनको किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाना चाहिए। साथ ही इस बात को भी ध्यान में रखने की जरूरत है कि पुराने मुर्दे उखाड़ने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। हिंदू धर्म अपनी सहिष्णुता के लिए जाना जाता है। इसलिए जरूरत इस बात है कि कब्र को तोड़ने की बात नहीं की जाए, क्योंकि इससे विवाद कम होने के बजाए और बढ़ेगा। इसमें कोई दो मत नहीं है कि औरंगजेब के हाथ भारत में कई महान गुरुओं और राजाओं के खून से रंगे हुए हैं।
वहीं औरंगजेब जिसने अपने पिता और भाइयों की हत्याकर गद्दी हथियाई थी। औरंगजेब का नाम हिंदुओं के मंदिर तोड़ने और हिंदू तीर्थ पर जजिया कर लगाने के लिए ही जाना जाता है। लेकिन करीब 300 से ज्यादा वर्षों इतिहास को कुरेदने से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है, बल्कि इससे प्रेम और भाईचारा खराब होगा। सबसे दुःखद बात यह है कि औरंगजेब की कब्र को लेकर नागपुर में हुई हिंसा के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। जरूरत इस बात की है कि नागपुर हिंसा के बाद राजनीतिक पार्टियां आग में भी डालने का काम नहीं करें, बल्कि सभी की कोशिश होनी चाहिए कि नागपुर हिंसा की आग और नहीं भड़के।
हिंसा पर सियासत देशहित में कतई नहीं है, क्योंकि इससे देश में माहौल और खराब होगा। महाराष्ट्र सरकार के साथ देश के अन्य राज्यों को भी सर्तक रहने की जरूरत है, ताकि देश के किसी भी हिस्से में ऐसे दंगों की पुनरावृत्ति न हो।अब नागपुर में जो दंगा हुआ है इसके लिए जिम्मेदार उपद्रवियों को पहचान कर धरपकड़ की जा रही है सवाल यह है कि आखिर यह कौन सी मानसिकता के लोग हैं जो एक जरा सी अफवाह पर हथियार पत्थर पैट्रोल बम हाथों में लेकर देश प्रदेश की कानून व्यवस्था को चुनौती देते हैं और बहुल हिन्दू समाज की जानमाल पर हमला करते हैं।
इन मजहबी उन्मादी तत्वों को पिछली तथाकथित सेकुलर सरकारों का खुला मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति का संरक्षण मिलता रहा जिस कारण ऐसे लोगों के दिलों से कानून का भय खत्म हो गया और खुली अराजकता फैलाने कानून को हाथ में लेकर आगजनी और हिंसा करने का पुराना सिलसिला चलता रहा। देश बदल रहा है का दावा करने वाली मौजूदा सरकार को ऐसे दंगाइयों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए साथ ही तमाम क्षतिग्रस्त गाड़ी संपत्तियों की क्षतिपूर्ति अराजकता फैलाने वाले समाजकंटक दंगाइयों की संपत्ति नीलाम कर करानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई दंगाई ऐसा करने से पहले सौ बार सोचे।
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