गोरखपुर: उधारी को लेकर दुकानदार को चाकुओ से गोद कर किया लहूलुहान, इलाके में दहशत
गिड़ा थाना क्षेत्र सेक्टर 22 की घटना ,दिन दहाड़े चाकुओं का वार ,फरार हुए हमलावर

ब्युरो/एस एम त्रिपाठी/रिपोर्ट-अरुण कुमार मिश्रा
गोरखपुर के गीडा थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना ने कानून-व्यवस्था की पोल खोल दी है। सेक्टर 22 में फुटपाथ पर चाय-पान की दुकान चलाने वाले गरीब दुकानदार महेंद्र शर्मा की जिंदगी सिर्फ इसलिए संकट में पड़ गई, क्योंकि उन्होंने सिगरेट की उधारी देने से मना कर दिया। दो दबंग युवकों ने इस इनकार को अपनी शान के खिलाफ समझा और चाकुओं से ताबड़तोड़ सात वार कर दुकानदार को लहूलुहान कर दिया। यह खौफनाक मंजर देख इलाके में अफरा-तफरी मच गई, और अब लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल महेंद्र शर्मा, जो मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं, पिछले पांच साल से गीडा के सेक्टर 22 में मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे थे। उनकी छोटी सी दुकान पर चाय, पान और सिगरेट बिकती थी। शनिवार की देर शाम बाइक सवार दो युवक, अजित और मुकेश, उनकी दुकान पर पहुंचे और सिगरेट मांगी। महेंद्र ने पुराने बकाए का हवाला देकर उधार देने से मना कर दिया। बस इतनी सी बात पर दोनों युवकों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। देखते ही देखते उन्होंने चाकू निकाला और महेंद्र पर ताबड़तोड़ हमला बोल दिया। सात बार चाकू घोंपने के बाद हमलावर मौके से फरार हो गए।खून से लथपथ दुकानदार, मेडिकल कॉलेज में जंग जारी
हमले के बाद महेंद्र खून से लथपथ जमीन पर तड़पते रहे। आसपास के लोगों ने हिम्मत दिखाई और पुलिस को सूचना दी। गीडा पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर घायल को जिला अस्पताल पहुंचाया, लेकिन हालत नाजुक होने के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। उनकी जिंदगी अब डॉक्टरों के भरोसे है।
क्या कहती जिम्मेदार अधिकारी
गीडा थाना प्रभारी, अंडर ट्रेनिंग आईपीएस आशना चौधरी ने बताया कि हमलावरों ने वारदात को अंजाम देकर फरार होने में कामयाबी हासिल की, लेकिन उनकी तलाश जारी है। उन्होंने दावा किया कि सुबह तक आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लेकिन इस बयान के बावजूद इलाके के लोग सहमे हुए हैं। मामूली उधारी पर इतनी बेरहमी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अब आम आदमी की जान की कीमत इतनी सस्ती हो गई है?
कानून के खौफ का अंत?
यह घटना गीडा में बढ़ती दबंगई और कानून के प्रति घटते डर का सबूत है। स्थानीय लोग प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि ऐसी वारदातें दोबारा न हों और गरीब मेहनतकश अपनी रोजी-रोटी कमा सकें, बिना जान गंवाने के डर के। महेंद्र शर्मा की हालत और इस मामले का अंत क्या होगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन यह सवाल हर किसी के मन में गूंज रहा है- आखिर कब तक मासूमों का खून बहता रहेगा?
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