mujhe sirf ek ghar nahi chhiye
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी  चाहिए

मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी  चाहिए मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी  चाहिए, जहां बैठकर मैं शहर की खूबसूरती को निहार सकूं l मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक खिड़की भी चाहिए, जहां बैठकर मैं बाहर के नजारे झांक सकूं l मुझे सिर्फ एक...
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