सीरियल नंबर के साथ चुनावी बॉन्ड की सभी जानकारियां चुनाव आयोग को सौंपी, गई।

 एसबीआई का हलफनामा।

सीरियल नंबर के साथ चुनावी बॉन्ड की सभी जानकारियां चुनाव आयोग को सौंपी, गई।

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो।
एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी अब चुनाव आयोग को सौंप दी है। इसमें यूनिक सीरियल नंबर भी शामिल है जिससे इलेक्टोरल बॉन्ड खरदीने वाले और इसको भुनाने वाले राजनीतिक दल के बीच संबंध स्थापित हो सकता है। इन जानकारियों को चुनाव आयोग को सौंपने को लेकर इसने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में एसबीआई को ऐसा करने का आदेश दिया था। 
 
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष, दिनेश कुमार खारा ने सुप्रीम कोर्ट में अनुपालन हलफनामा दायर किया। इस हलफनामा में कहा गया कि एसबीआई ने भारत के चुनाव आयोग (इसीआई) को चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी विवरणों का खुलासा किया है, जिसमें बांड का विशिष्ट नंबर भी शामिल है। बांड नंबर उन राजनीतिक दलों के साथ बांड के खरीदारों का मिलान करने में सक्षम बनाते हैं, जिन्होंने उन बांडों को भुनाया था। हलफनामे के अनुसार एसबीआई ने 21 मार्च को इसीआई को चुनावी बॉन्ड के सभी विवरण प्रदान किए जो उसके कब्जे और हिरासत में हैं।
 
दी गई जानकारी शामिल हैं: क्रेता का विवरण: क्रम नंबर, यूआरएन नंबर, जर्नल तिथि, खरीद की तारीख, समाप्ति की तारीख, क्रेता का नाम, उपसर्ग, बांड नंबर, मूल्यवर्ग, निर्गम शाखा कोड, निर्गम टेलर, स्थिति। राजनीतिक दलों द्वारा मोचन का विवरण: क्रम नंबर, नकदीकरण की तारीख, राजनीतिक दल का नाम, अकाउंट नंबर के अंतिम चार अंक, उपसर्ग, बांड नंबर, मूल्यवर्ग, वेतन शाखा कोड और वेतन टेलर। एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि "उपसर्ग और बांड नंबर वास्तव में अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर है"।
 
हलफनामे में कहा गया कि राजनीतिक दलों के पूरे बैंक अकाउंट नंबर और केवाईसी विवरण सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं, क्योंकि इससे अकाउंट की सुरक्षा से समझौता हो सकता है। इसी तरह, खरीदारों के केवाईसी विवरण भी सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं। हलफनामे में कहा गया कि हालांकि, राजनीतिक दलों की पहचान के लिए ये आवश्यक नहीं हैं। एसबीआई के अध्यक्ष ने कहा, " एसबीआई ने अब सभी विवरणों का खुलासा कर दिया है और कोई भी विवरण (पूर्ण बैंक अकाउंट नंबर और केवाईसी विवरण के अलावा) प्रकटीकरण से रोका नहीं गया।"
 
उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बांड  योजना को असंवैधानिक करार दिया, क्योंकि दानकर्ता का विवरण जनता से छुपाया गया था। कोर्ट ने एसबीआई को 12 अप्रैल, 2019 और 15 फरवरी, 2024 के बीच बेचे और भुनाए गए चुनावी बांड  के विवरण का खुलासा 6 मार्च तक करने का निर्देश दिया। हालांकि, एसबीआई ने विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने के लिए आवेदन दायर किया। 11 मार्च को कोर्ट ने एसबीआई का विस्तार आवेदन खारिज कर दिया और उसे अगले दिन तक इसीआई को विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया। इसके बाद एसबीआई ने बांड के खरीददारों और प्राप्तकर्ताओं के विवरण का खुलासा किया।
 
हालांकि, 15 मार्च को, सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि SBI ने बांड के विशिष्ट नंबर का खुलासा नहीं किया, जिसके बिना नागरिक दाता को राजनीतिक दल से नहीं जोड़ सकते। 18 मार्च को न्यायालय ने स्पष्ट किया कि SBI को अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर सहित बांड के संबंध में उसके पास उपलब्ध सभी विवरणों का खुलासा करना होगा। चुनाव आयोग  को एसबीआई से प्राप्त विवरण अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया था।
 
सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्ती दिखाई तब ये जानकारियाँ सामने आ पाई हैं। बैंक को 12 अप्रैल, 2019 के बाद खरीदे गए या भुनाए गए चुनावी बॉन्ड पर उनके यूनिक अल्फ़ान्यूमेरिक कोड सहित सभी जानकारी भारत के चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया गया था। 21 मार्च को शाम 5 बजे तक इसके अनुपालन पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा गया था।
 
शीर्ष अदालत ने 18 मार्च को अपने फ़ैसले में कहा था कि चुनाव आयोग एसबीआई से डेटा मिलने के बाद तुरंत अपनी वेबसाइट पर उसको प्रकाशित करेगा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था, 'हम चाहते हैं कि चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा किया जाए जो आपके पास है।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एसबीआई चेयरमैन को हलफनामे में यह घोषित करना होगा कि एसबीआई ने कोई जानकारी नहीं छिपायी है।सीजेआई ने कहा था, 'फैसला साफ़ था कि सभी जानकारियों का खुलासा किया जाना चाहिए, चुनिंदा न हों।' उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि कुछ भी दबाया नहीं गया है। 
 
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को फटकार लगाते हुए कहा था कि वह चुनावी बॉन्ड के चुनिंदा आंकड़ों के बदले सारा डाटा 21 मार्च तक चुनाव आयोग को सौंपे। कोर्ट ने कहा, 15 फरवरी के आदेश के तहत चुनावी बॉन्ड जारीकर्ता बैंक को अल्फा न्यूमेरिक नंबरों सहित पूरे विवरण का खुलासा करना होगा
दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक ने 2018 में योजना की शुरुआत के बाद से 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था। एसबीआई चुनावी बॉन्ड जारी करने के लिए अधिकृत वित्तीय संस्थान है।

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