विद्युत लाइन निर्माण में हुए घालमेल की लीपापोती में लगे अधिशासी अभियंता ग्रामीण

अधीक्षण अभियंता ने मांगा स्पष्टीकरण खबर का हुआ असर

विद्युत लाइन निर्माण में हुए घालमेल की लीपापोती में लगे अधिशासी अभियंता ग्रामीण

लखीमपुर खीरी- एक तरफ जहां प्रदेश में भाजपा सरकार के उपयोगी मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए कोई कसर बाकी छोड़ना नहीं चाह रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ उन्हीं के मातहत अपनी ही सरकार की छवि धूमिल करते हुए मुख्यमंत्री के आदेशों को तार-तार करके भ्रष्टाचार की घटना को अंजाम देते देखे जा सकते हैं ।ताजा मामला विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता ग्रामीण लखीमपुर के कार्यालय से जुड़ा बताया जाता है ।जहां पर ओयल पावर हाउस से एक 11 केवीए कनेक्शन के लिए एक अन्य समानांतर विद्युत लाइन का निर्माण अधिशासी अभियंता मितौली द्वारा कराए जाने का मामला क्षेत्र में जन चर्चा का विषय बना है ।
 
उक्त लाइन मस्जिद गांव के पास बन रही एक प्लाईवुड फैक्ट्री को कनेक्शन देने के लिए भारी भरकम सुविधा शुल्क लेकर बगैर टेंडर व उच्च अधिकारियों के परमिशन से बनवाई जा रही थी। इस विद्युत लाइन निर्माण में नियम कानून को धता बताते हुए अधिशासी अभियंता मितौली द्वारा ठेकेदारों से काम चालू कर दिया। सबसे मजेदार बात तो यह है कि जब पहले से एक अलग से स्वतंत्र लाइन चल रही है तो दूसरी लाइन की आवश्यकता क्यों पड़ी ?यह अहम सवाल बना हुआ है। उक्त विद्युत लाइन बिछाने के लिए किसी भी नियम कानून का पालन नहीं किया गया इतना ही नहीं ओयल पावर हाउस से जमुनिया मोड पर रेलवे लाइन के नीचे बगैर रेलवे की एन ओ सी के केबल डाल दिया गया।
 
तथा जिन-जिन खेतों से लाइन निकालनी है उन किसानों से भी सहमति पत्र अथवा एन ओ सी नहीं ली गई । क्या है नई लाइन विद्युत लाइन निर्माण करने की प्रक्रिया----- यदि निर्माण प्रक्रिया पर गौर किया जाए तो स्वतंत्र नई विद्युत लाइन निर्माण के लिए उपभोक्ता द्वारा आवेदन किया जाता है और कुल लागत का 15% जमा कर अधिशासी अभियंता को प्रार्थना पत्र इस आशय का दिया जाता है कि उसे विद्युत लाइन निर्माण कार्य किस ठेकेदार से करवाना है।
 
इसके बाद उक्त मामले की अनुमति विभागीय उच्च अधिकारियों से ली जाती है। अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद विद्युत सामान की आपूर्ति के लिए क्रय किए जाने वाली सामग्री की जांच विद्युत विभाग में गठित विद्युत जांच प्रकोष्ठ द्वारा की जाती है।उसके बाद समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए विद्युत लाइन का निर्माण कराया जाता है। लेकिन यहां पर अधिशासी अभियंता उपभोक्ता और ठेकेदार तथा अवर अभियंता की मिली भगत से उक्त प्रक्रिया को अपनाये वगैर ही धनबल की दम पर काम शुरू कर दिया गया। कार्य की जल्दबाजी इतनी ज्यादा थी की विभाग व ठेकेदार द्वारा रेलवे विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए बगैर ही रेलवे लाइन के नीचे विद्युत केबल डाल दिया गया ।
 
जो विधि विरुद्ध और नियम विपरीत कहां जा सकता है। विद्युत लाइन निर्माण में कई यक्ष प्रश्न लोगों के दिलों दिमाग में घर किए हुए हैं जिनके उत्तर किसी भी सक्षम अधिकारी के पास ढूंढे नहीं मिल पा रहे हैं ।जैसे की स्वतंत्र विद्युत लाइन के निर्माण की विभागीय उच्च अधिकारियों से अनुमति ली गई या नहीं। किन कारणो से उपभोक्ता से 15% जमा कराए बगैर ही काम शुरू कर दिया गया ?क्या लाइन बिछाने में ठेकेदार द्वारा लगाई गई विद्युत सामग्री की जांच की गई या नहीं? और यह सामग्री ठेकेदार को विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई या फिर ठेकेदार द्वारा बाहर से क्रय करके लगाई गई? यदि क्रय करके लगाई गई तो उक्त सामग्री की जांच किस जांच टीम द्वारा की गई ?अहम सवाल बना हुआ है।
 
किन परिस्थितियों में रेलवे विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया और जिन-जिन किसानों के खेतों से विद्युत लाइन का केवल निकालना है उनसे सहमति पत्र भी क्यों नहीं लिया गया ?इन यक्ष प्रश्नों के उत्तर विद्युत अधीक्षण अभियंता से लेकर अधिशासी अभियंता तक ढूंढे नहीं मिल पा रहे हैं ।मामले की खबर प्रकाशित होने पर खबर का संज्ञान लेते हुए विद्युत अधीक्षण अभियंता ने अधिशासी अभियंता को नोटिस जारी करते हुए प्रकाशित खबर पर इस स्पष्टीकरण मांगा है ।उधर रेलवे विभाग द्वारा भी मामले की जांच कर जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर दी गई जिसमें ठेकेदार पर पेनाल्टी लगाए जाने की जानकारी सूत्रों द्वारा मिल रही है ।
 
उक्त मामले पर कोई कार्यवाही विद्युत विभाग द्वारा ना होते देख एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर उपरोक्त मामले की उच्च स्तरीय जांच टीम गठित कर जांच कराए जाने की मांग की है ।मुख्यमंत्री को की गई शिकायत में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है की अधिशासी अभियंता द्वारा भारी भरकम धनराशि सुविधा शुल्क के रूप में लेकर ठेकेदार पुणेश और अधिशासी अभियंता अमित कुमार सहित  अवर अभियंता विद्युत की तिकड़ी द्वारा यह खेल खेला गया है। 
 
 जिसमें जमकर नियम कानून की धज्जियाँ उड़ाई गई हैं ।उक्त  मामले में जांच कराकर दोषी अधिशासी अभियंता व ठेकेदार पुणेश सहित अवर अभियंता विद्युत के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने की मांग की है ।तथा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत रेल विभाग के साथ-साथ विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता से कुल पांच पांच बिंदुओं पर आधारित सूचनाए भी चाही गई हैं। --
 
 

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