महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल, पीतमपुरा द्वारा बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन और उत्पीड़न के खिलाफ अभिभावकों का विरोध प्रदर्शन
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नई दिल्ली- महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल, सीडी ब्लॉक, पीतमपुरा द्वारा अवैध और जबरन फीस वसूली के खिलाफ आज 50 से अधिक आक्रोशित अभिभावकों ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। अभिभावकों ने स्कूल द्वारा गैर-स्वीकृत और अवैध फीस न चुकाने पर बच्चों को मानसिक उत्पीड़न और प्रमोशन रोकने जैसी धमकियों का मुद्दा उठाया अभिभावकों का आरोप: स्कूल प्रबंधन द्वारा दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DoE) के स्पष्ट निर्देशों की अवहेलना करते हुए छात्रों को मानसिक दबाव में रखा जा रहा है।
अभिभावकों ने बताया कि DoE ने पहले ही स्कूल के फीस वृद्धि प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था और अतिरिक्त वसूली गई फीस को वापस करने का निर्देश दिया था, फिर भी महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल लगातार इस आदेश की अनदेखी कर रहा है और छात्रों को अवैध फीस जमा कराने के लिए मजबूर कर रहा है। अवैध प्रथाओं और मानसिक उत्पीड़न का आरोप अभिभावकों ने बताया कि स्कूल प्रबंधन द्वारा आधिकारिक ऐप के माध्यम से संदेश भेजे जा रहे हैं, जिनमें बच्चों की “अगली कक्षा में प्रोन्नति बकाया राशि के भुगतान पर निर्भर” बताई जा रही है।
इस प्रकार के जबरन वसूली के संदेशों ने विशेष रूप से कक्षा IX, X और XI के छात्रों को अपमानित और मानसिक रूप से आहत किया है। कई अभिभावकों ने आरोप लगाया कि स्कूल मासूम बच्चों को “जबरन वसूली का माध्यम” बना रहा है और गैरकानूनी शुल्क वसूलने के लिए छात्रों को मानसिक तनाव में डाल रहा है कानूनी और न्यायिक आदेशों का उल्लंघन स्कूल का यह रवैया दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा W.P. (C) No. 4109/2013, दिनांक 19.01.2016 में पारित आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि सरकार द्वारा आवंटित भूमि पर संचालित स्कूल किसी भी फीस वृद्धि के लिए पहले शिक्षा निदेशालय (DoE) से अनुमोदन प्राप्त करने के लिए बाध्य हैं।
महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल, सीडी ब्लॉक, पीतमपुरा इस श्रेणी में आता है लेकिन फिर भी स्कूल ने इस आदेश की जानबूझकर अवहेलना की है, जिससे छात्रों के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। DCPCR से तत्काल कार्रवाई की मांग प्रदर्शन के दौरान अभिभावकों ने DCPCR को औपचारिक शिकायत सौंपकर बच्चों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई की मांग की। उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
उत्पीड़न की जांच: स्कूल द्वारा अपनाई जा रही जबरन वसूली और भेदभावपूर्ण प्रथाओं की विस्तृत जांच।
उत्पीड़न से सुरक्षा: स्कूल को निर्देश देना कि किसी भी बच्चे को अवैध फीस न देने पर शिक्षा से वंचित न किया जाए।
बिना शर्त प्रोन्नति: यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी पात्र छात्रों को फीस विवाद से संबंधित शर्तों के बिना प्रोन्नति दी जाए। अनुशासनात्मक कार्रवाई: स्कूल प्रबंधन के खिलाफ बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन और DoE एवं न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के लिए उचित कानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश। तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता अभिभावकों ने इस मुद्दे को बच्चों की भावनात्मक, मानसिक और शैक्षणिक सुरक्षा से जुड़ा बताते हुए DCPCR से आग्रह किया कि वे तुरंत हस्तक्षेप करें और छात्रों के अधिकारों को बहाल करें।
राष्ट्रीय युवा चेतना मंच भारत के महासचिव महेश मिश्रा ने कहा कि दिल्ली में निजी स्कूलों की मनमानी आम हो गई है, जिसका पूरा श्रेय शिक्षा निदेशालय (DOE), डिप्टी डायरेक्टर जोन (DDE) और डीई नामिनी को जाता है। या तो ये अधिकारी नियमानुसार कार्रवाई नहीं करते, और अगर कोई आदेश पारित भी करते हैं, तो उसे धरातल पर लागू कराने में पूरी तरह से लापरवाही बरतते हैं। इसी कारण अधिकांश अभिभावकों और दिल्लीवासियों का मानना है कि यह सब शिक्षा विभाग और स्कूलों की मिलीभगत का नतीजा है। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाले दोनों प्रमुख विभाग – राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) शिकायतें मिलने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे।
अधिकांश मामलों में वे केवल DOE/DDE को जवाब सबमिट करने का निर्देश देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। यह जानते हुए भी कि समय रहते उचित कार्रवाई से मासूम बच्चों का उत्पीड़न रोका जा सकता है और वे किसी मानसिक आघात (ट्रॉमा) का शिकार होने से बच सकते हैं। यदि किसी नाबालिग बच्चे को इस लापरवाही के चलते ट्रॉमा का सामना करना पड़ता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी इन राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संस्थाओं की होगी।
महेश मिश्रा ने शिक्षा मंत्रालय (राष्ट्रीय/राज्य) से मांग की कि कुछ आवश्यक मुद्दों पर तत्काल प्रभाव से कदम उठाए जाएं ताकि बच्चों का उत्पीड़न और स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाई जा सके। उनकी मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
1. स्कूलों के फीस प्रस्ताव को समय रहते स्वीकृत या अस्वीकृत करना।
2. सभी स्कूलों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई पीटीए (Parent Teacher Association) का गठन।
3. नियमों का बार-बार उल्लंघन करने वाले स्कूलों का टेकओवर।
4. फीस प्रस्तावों में फोरेंसिक ऑडिट की अनिवार्यता।
5. अधिकारियों को समय सीमा में समाधान देने के निर्देश, अन्यथा लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को निलंबित किया जाए।
6. सीएजी (CAG) द्वारा स्कूलों की वित्तीय ऑडिट प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को तत्काल लागू करना, जिससे इस प्रकार की अनियमितताओं पर अंकुश लगाया जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि हम (संस्था/अभिभावक) शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा नीतियों के सुधार में योगदान देने के लिए शिक्षा मंत्रालय के साथ चर्चा के लिए तैयार है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि इन कुछ बिंदुओं पर तुरंत कदम उठाए जाएं, तो दिल्ली में शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और मनमानी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है
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