गोवंश आश्रय स्थलों’ की दुर्दशा देख कांप उठती है रूह
गोवंश आश्रय की गुड़वक्ता का पोल खोल रहा चहारदीवारी की ढहती पिलरें

कीचड़ और पानी में मरने को विवश हैं गोवंश
स्वतंत्र प्रभात
बलरामपुर चारा-पानी, साफ-सफाई और उचित व्यवस्था के अभाव गोवंशों की दुर्दशा को बरसात ने और बदतर बना दिया है। । चार दिनों से खुले कीचड़ में मरने को मजबूर बछड़े ने गौ आश्रय व्यवस्था की कलई खोल रही है। बावजूद इसके संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। ये हालात बलरामपुर जनपद के पचपेड़वा अन्तर्गत ईमिलीया कोरड़ में ‘गोवंश आश्रय स्थल का है जहां पर गोवंश के नाम पर लाखों रुपए खर्च किया जाता है
इसके बावजूद भी महीनों से गौ आश्रय में रह रहे गायों को खाने के लिए दाना चारा नहीं है जिससे गौवंश बाहर छुट्टा घूम रहे हैं उत्तर प्रदेश में खुले ‘गोवंश आश्रय स्थल’ सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की महत्वपूर्ण योजनाओं यानि ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। बावजूद इसके गोवंश आश्रय स्थलों की दुर्व्यवस्था समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है।
पानी में सड़ते जिंदा गोवंश
योगी सरकार गोवंशों की सुरक्षा व संरक्षण के दावे करते नहीं थकती लेकिन तस्वीर बिल्कुल उलट है। सरकार राज्य ने सभी जनपदों में जगह-जगह अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों का निर्माण कराया है, ताकि आवारा और खुले में घूमते गोवंशों को आसरा मिल सके, लेकिन सरकार की यह योजना परवान चढ़ने की बजाए नित्य नई विफलताओं की गाथा सुना रही है। पचपेड़वा विकास खण्ड का शायद ही ऐसा कोई गोवंश आश्रय स्थल हो जो दुर्व्यवस्थाओं का शिकार ना हो। बलरामपुर के ग्राम पंचायत इमीलिया कोड़र में अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल।
ताजा मामला बलरामपुर जनपद के विकास खंड पचपेड़वा के ग्राम पंचायत इमीलिया कोड़र में गोवंशों की दयनीय स्थिति देख कर व्यवस्था पर रोना आता है और सवाल भी उठता है कि इसका कसूरवार कौन है? 25अगस्त 2023 को ‘स्वतंत्र प्रभात मीडिया’ की टीम थारु बाहुल्य क्षेत्र इमीलिया कोड़र के अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल पहुंचती है, जहां पिछले कई दिन से कीचड़ में तड़पते पड़े गोवंश को देख मन द्रवित हो उठता है। दुर्व्यवस्था और लापरवाही इस कदर की बछड़े को कोई उठा कर उचित स्थान पर नहीं कर सकता
सूचना के बाद अधिकारियों ने भी साध ली चुप्पी स्वतंत्र प्रभात मीडिया की टीम का कैमरा देख अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल पर मौजूद कर्मचारी खामोश हो जाता है। काफी कुरेदने पर बताता है कि गोवंश बीमार व दाना चारा न होने की सूचना जिम्मेदारों को दे दी गई है। लेकिन सूचना के बाद भी कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचने की जहमत नहीं उठाया है। कर्मचारी ने बताया कि “इसकी सूचना उसने ग्राम पंचायत के प्रधान को दे दिया है
गोवंश आश्रय स्थल पर मौजूद कर्मचारी नानबाबू ने बताया कि गौ आश्रय राम भरोसे है यहां पर गायों को खाने के लिए दाना चारा की कोई व्यवस्था नहीं है जिससे गौवंशो को गौशाला के बाहर कर दिया जाता है तो वहीं पर ग्रामीण किसानों ने बताया कि गौ वंश हम लोगों के फसलों को काफी नुकसान करते हैं जिससे रात रात भर जाग कर अपने खेतों की देखभाल करना पड़ता है ईमिलीया कोरड़ के दर्जनों लोगों का कहना है कि “अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों के रखरखाव में बरती जा रही लापरवाही किसी से छिपी नहीं है। कर्मचारी मीडिया के लोगों को देख सच्चाई बताने से कतराते हैं, तो जिम्मेदार मुलाजिम मुंह छिपाए हुए नजर आते हैं। और तो और इनके स्वास्थ्य के नजरिए से देखें तो गौशाला में रहने वाले बीमार और बेजुबान गोवंशों को लेकर भी बड़ी लापरवाही देखने को मिलती है।”वो कहते हैं कि “चारा-पानी, साफ-सफाई के अभाव में बीमार होकर दम तोड़ते गोवंशों के स्वास्थ्य की देखभाल में भी घोर लापरवाही बरती जाती है। पशु चिकित्सक समय-समय पर इनके देखभाल की बजाए कागजों में ही सब कुछ सामान्य दिखा कर इन बेजुबानों की बेबशी, पीड़ा और जख्मों पर मरहम के बजाय कोरम पूरा करते हैं।
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