बिहार की राजनीति में : किसका होगा खेला
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राजनीति में बयान बाजी होती रहती है,कभी इसका इफेक्ट पड़ता है और कभी यह कोरी बयानबाजी ही बनकर रह जाती है। इस समय बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं और एक दूसरे दलों पर बयान बाजी भी हो रही है। कल 12 फरवरी को बिहार सरकार का फ्लोर टैस्ट भी है। दरअसल जब नितीश कुमार आरजेडी का साथ छोड़कर एनडीए से मिल गये तो तेजस्वी यादव के बयान ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी। जब मीडिया ने नितीश के साथ छोड़ जाने के विषय में तेजस्वी यादव से पूंछा तो उन्होंने कहा कि खेल अभी बाकी है। बस यहीं से बिहार की राजनीति में उबाल आ गया लोग तरह तरह के कयास लगाने लगे, थे कि क्या वास्तव में बिहार में खेल अभी बाकी है, सत्ता पक्ष की मानें तो इसकी संभावना कम ही है कि आरजेडी ऐसा कुछ कर सकती है, और फिर इस सरकार को तो भारतीय जनता पार्टी का समर्थन है।
तो भाजपा इतना तो सब कुछ जानती है कि किसी के खेल को कैसे बिगाड़ा जाता है। परसों एक कार्यक्रम में जेडीयू के पांच विधायक नहीं पहुंचे तो आशंकाएं और तेज हो गई लेकिन बाद में उनके विषय में जानकारी दी गई कि वह अपने निजी कारणों से कार्यक्रम में नहीं शामिल हो पाए हैं जिसकी सूचना उन्होंने पहले ही उपलब्ध करा दी थी। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी पहुंचे थे। गंभीरता को आंकते हुए नितीश कुमार ने अपनी पार्टी के विधायकों के लिए व्हिप जारी कर दी। कुछ दिन पहले आरजेडी ने हिंदुस्तान आवाम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी को आफर दिया था कि यदि वह आरजेडी के साथ आ जाएं तो वह उनको मुख्यमंत्री बना देंगे। हिंदुस्तान आवाम पार्टी के पास चार विधायक हैं। सबसे बड़ी निगाह जेडीयू के विधायकों पर लगी है। केवल जीतन राम मांझी के आरजेडी के साथ आने से बात बनती नजर नहीं आ रही है। इसके लिए अन्य विधायकों की भी आवश्यकता पड़ेगी और वह हैं जेडीयू के विधायक।
क्या तेजस्वी यादव ने कुछ विधायकों को तोड़ रखा है या यह केवल हवा हवाई बातें हैं यह तो कल फ्लोर टैस्ट में ही पता चल पाएगा। लेकिन जेडीयू की भी सांसें फ्लोर टैस्ट तक फूली हुई हैं। बिहार में 12 फरवरी को विधानसभा में नीतीश कुमार की एनडीए सरकार को बहुमत साबित करना है। इससे पहले राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने फिर राजद पर पलटवार किया है। उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा कि खेला हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी
जी के नेतृत्व में एनडीए मजबूत था है और रहेगा। जीतन राम मांझी के एक विधायक को मंत्री पद दिया गया है जब कि वह दो मंत्री पद मांग रहे थे। साथ ही उन्होंने कुछ दिन पहले ही पत्रकारों से कहा था कि वहां से हमको मुख्यमंत्री पद का आफर मिला है। शायद यह कहकर जीतन राम मांझी नई सरकार पर दबाव डालना चाहते थे। और वही जीतन राम मांझी आज कह रहे हैं कि एनडीए पूरी तरह से मजबूत है। तो यह राजनीति है यहां हर तरह के खेल खेले जाते हैं कोई किसी का न तो स्थाई दुश्मन होता है और न ही स्थाई दोस्त। लेकिन मुख्यमंत्री पद भी काफी मायने रखता है। हालांकि जीतन राम मांझी एक बार कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री रह चुके हैं और नितीश कुमार ने ही उनको मुख्यमंत्री बनाया था और नितीश ने ही उन पर आरोप लगा कर हटा दिया। उसके बाद नितीश कुमार ने जीतन राम मांझी को काफी खरी खोटी भी सुनाईं थीं। अब देखना यह है कि क्या नितीश की उन बातों का बदला जीतन राम मांझी लेंगे या फिर पिछली बातों को भुला देंगे।
चार विधायकों वाली हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने विश्वासमत के दिन किसी भी तरह के खेल से इन्कार किया है। राजद के खेला होने के दावे को खारिज करते हुए मांझी ने कहा कि अब कुछ नहीं होने वाला। यह सब निर्भर करता है कि क्या तेजस्वी यादव जेडीयू में फूट डालने में कामयाब हो सके हैं अथवा नहीं। जीतन राम मांझी भी अपने पत्ते अभी नहीं खोलेंगे। पहले यह आश्वस्त हो जाना चाहिए कि विपक्ष के पास विधायकों की संख्या कितनी है। आरजेडी की मानें तो कल कुछ बहुत बड़ा होने वाला है। अब देखना है कि अपने बयानों के अनुसार आरजेडी क्या खेला कर सकती है। भारतीय जनता पार्टी को तोड़ पाना इतना आसान नहीं है। एक तो उनके विधायकों की संख्या काफी है दूसरा उनकी पार्टी का जो संगठन है वह बहुत मजबूत है। इसलिए वहां कयास लगाना सही नहीं है। जो कुछ भी होना है वह जीतन राम मांझी और जेडीयू के विधायकों पर ही निर्भर है। इधर विपक्ष की सारी पार्टियां जिनमें वाम दल शामिल हैं सब एक हो गए हैं। और वह भी अब तेजस्वी यादव के बयानों को दोहरा रहे हैं। वैसे तो बिहार की राजनीति में खेल होते रहते हैं।
लेकिन इस बार खेल तेजस्वी यादव खेल रहे हैं जो कि अब राजनीति में काफी परिपक्व दिखाई देने लगे हैं। इस बार देखना है कि तेजस्वी यादव कितना खेला कर सकते हैं। यह निश्चित है कि वहां प्रयास तो हो रहे हैं लेकिन उन प्रयासों को कितनी सफलता हासिल होगी यह कल फ्लोर टैस्ट के दौरान ही पता चल पाएगा। बिहार में कल सोमवार को सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों की परीक्षा होगी। सरकार का दावा है कि उसके पास बहुमत के लिए जरूरी विधायकों की संख्या से अधिक का समर्थन है। वहीं विपक्ष का दावा है शक्ति परीक्षण के दौरान खेला होने का। ऐसे में सरकार के बहुमत व विपक्ष के खेला होने की भी परीक्षा होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नवगठित एनडीए सरकार के पक्ष में विश्वास मत हासिल करने के लिए सोमवार को विधानसभा में विश्वासमत पेश करेंगे।
शनिवार को भाजपा ने जहां बोधगया में प्रशिक्षण शिविर रखा तो जदयू ने दिन के भोज के बहाने अपने विधायकों व विधान पार्षदों को वरिष्ठ मंत्री श्रवण कुमार के आवास पर जुटाया। उधर, राजद ने अघोषित बैठक पार्टी नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के आवास पर की। राजद ने पार्टी को किसी टूट से बचाने के लिए अपने सभी विधायकों को शनिवार शाम से अगले 40 घंटे (सोमवार सदन शुरू होने ) तक तेजस्वी प्रसाद यादव के सरकारी आवास पांच देशरत्न मार्ग पर ही रोक लिया है। जानकारी के मुताबिक नीलम देवी को छोड़ पार्टी के सभी 78 विधायक मौजूद हैं। बाद में भाकपा माले, माकपा व माले के भी सभी 16 विधायकों को यहीं बुलाकर इकट्ठे रखा गया। हलचल दोनों तरफ से तेज़ हैं। सवाल यह उठता है कि क्या बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट बदलेगी। या फिर विपक्ष के सारे कयास हवा हवाई हो जाएंगे
- जितेन्द्र सिंह पत्रकार
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