केजरीवाल आया हरियाणा में कांग्रेस के लिए नुकसान लाया
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शुक्रवार 13 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला केस में सीबीआई की तरफ से दर्ज मुकदमे में जमानत दे दी। शाम होते होते केजरीवाल दिल्ली की तिहाड जेल से बाहर आ गए। केजरीवाल का स्वागत पंजाब मुख्यमंत्री भगवंत मान, मनीष सिसौदिया के साथ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बैंड बाजो से किया। अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुकदमे में पहले से ही जमानत मिली हुई थी। ऐसे में सीबीआई के केस में उच्चतम न्यायालय का फैसला आते ही केजरीवाल का जेल से बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया था। सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने केजरीवाल की जमानत को मंजूरी दी। केजरीवाल को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था वो गिरफ्तारी वैध थी या नहीं, इस पर दोनों जजों अपने अपने विचार दिए, दोनो के विचारों में विरोधाभास है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी में कानूनी दृष्टि से कोई खामी नहीं है यानि गिरफ्तारी पूरी तरह वैध है। वहीं जस्टिस भुइयां ने कहा कि सीबीआई ने सिर्फ और सिर्फ इसलिए केजरीवाल को गिरफ्तार किया था ताकि उन्हें ईडी केस में जमानत मिलने के बाद जेल से निकलने का मौका ना मिले।
उच्चतम न्यायालय की इस पीठ ने केजरीवाल की तरफ से दायर दो अर्जियों पर फैसला देना था। एक तो यह कि क्या सीबीआई की गिरफ्तारी वैध थी या नही और दूसरा फैसला केजरीवाल की जमानत पर लेना था। यहां उल्लेखनीय है कि केजरीवाल को सशर्त जमानत मिली है। इन शर्तों में मुख्य चार शर्तें हैं। एक कि केजरीवाल एलजी यानि दिल्ली के उपराज्यपाल की सहमति के बिना मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते। दो कि केजरीवाल एलजी की सहमति के बिना किसी सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते। तीन कि केजरीवाल पब्लिक मंच से इस मामले पर कोई बयान नहीं दे सकते। चार कि केजरीवाल इस केस से संबंधित किसी भी गवाह से न संपर्क करेंगे न ही कोई बात करेंगे। जस्टिस उज्जल भुइयां इन शर्तों पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि मुझे इन शर्तों पर गंभीर आपत्ति है जो केजरीवाल को सचिवालय में प्रवेश करने या फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोकती हैं लेकिन मैं न्यायिक संयम के कारण टिप्पणी नहीं कर रहा हूं क्योंकि यह एक अलग ईडी मामले में था।
केजरीवाल की जमानत उस समय हुई है जब हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए मैदान पूरी तरह सजा हुआ है। निसंदेह अरविंद केजरीवाल का जमानत पर बाहर आना हरियाणा आप ईकाई के लिए बहुत ही अच्छी खबर है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम आम आदमी पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में सबसे ऊपर है। केजरीवाल जब जेल में थे तब उनकी धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल,पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यसभा सदस्य डॉ. संदीप पाठक और सांसद संजय सिंह ने हरियाणा में मोर्चा संभाल रखा था। अब केजरीवाल के बाहर आने के बाद वही हरियाणा में चुनावी प्रचार के लिए केन्द्र बिंदु रहेंगे। विधानसभा चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर रैलियां कर चुकी है लेकिन यह रैलियां अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में हुई हैं। इन रैलियों में सुनीता केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, भगवंत मान, संदीप पाठक और संजय सिंह ने कार्यकर्ताओं को जोड़ने की पूरी कोशिश की है।
2024 में हुए लोकसभा चुनावों से पहले भी केजरीवाल को 10 मई को चुनावी प्रचार के लिए 21 दिनों के लिए जमानत दी गई थी तब दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में पार्टी की अच्छी पकड वाली सीटों पर भी कुछ खास फायदा पार्टी को नही मिला था। हरियाणा मे फिलहाल पार्टी के पास एक भी विधायक नही है। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 46 सीटों पर लड़ी थी मगर पार्टी का उम्मीद के विपरीत प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था और वो एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन की कोशिशें की थी। लेकिन किन्हीं कारणों से यह गठबंधन नहीं हो पाया। इसके बाद से दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। केजरीवाल का पैतृक घर हरियाणा के हिसार के खेड़ा में है। वो आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे है। चुनाव प्रचार में वो भीड़ जुटाने वाले नेता माने जाते हैं। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वो हरियाणा में आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार को गति देंगे। आप हरियाणा की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
आप ने सात सूचियां जारी कर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। कांग्रेस से गठबंधन की बातचीत की वजह से उम्मीदवारों की घोषणा करने में देरी हुई। अरविंद केजरीवाल की पत्नी चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाले हुए हैं। वो प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल को हरियाणा का बेटा और बीजेपी का सताया हुआ बताने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं। पिछले 10 साल से हरियाणा में सरकार चला रही भाजपा एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही है। ऐसे में इस तरह के आरोपों का लोगों पर असर पड़ रहा है। आप उम्मीदवारों के नामांकन में भी बड़ी भीड़ देखी गई। केजरीवाल के जेल से बाहर आकर हरियाणा में चुनाव प्रचार का असर उसके मतदाताओं पर पड़ सकता है।आम आदमी पार्टी को 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में 46 सीटों पर 0.48 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं 2019 का लोकसभा चुनाव आप ने तीन सीटों पर लड़ा था और उसे 0.36 फीसदी वोट ही मिले थे।
ये आकंड़े निराशाजनक तो हैं लेकिन इस बार के चुनाव में आप ने जिस तरह से उम्मीदवार उतारे हैं, उससे उसकी स्थिति कुछ मजबूत मानी जा रही है। आप ने कुछ सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतारें हैं, जो पिछले काफी समय से जनता के बीच रहे हैं और जनता का उन्हें समर्थन भी मिल रहा है। ऐसी 7-8 सीटें बताई जा रही हैं जहां आप के उम्मीदवार अच्छी स्थिति में हैं। इन सीटों पर अरविंद केजरीवाल द्वारा किया जाने वाला चुनाव प्रचार परिणाम को बदल भी सकता है। इसके अलावा केजरीवाल की उपस्थिती आप के प्रदर्शन को सुधारने में भी मदद करेगा। कहीं ना कही यह साफ दिखाई दे रहा है कि अरविंद केजरीवाल का जमानत पर इन चुनावों से पहले बाहर आना भाजपा की बजाए कांग्रेस के लिए नुकसानदायक रहेगा। कांग्रेस और आप की वोट आपस में कटेंगी। जिसका सीधा फायदा सतारूढ पार्टी भाजपा को होता दिखाई दे रहा है।
(नीरज शर्मा'भरथल')
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