वरिष्ठ साहित्य कार हरिमोहन मालवीय पंच तत्व में विलीन। हिंदुस्तानी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रहे मालवीय।
राष्ट्रपति से पुरस्कृत मालवीय आर एस एस के सदस्य रहने के बावजूद सभी दलों के नेताओं से अच्छे संबंध थे।
On
प्रयागराज। प्रयागराज के जाने-माने राष्ट्रपति से पुरस्कृत वरिष्ठ साहित्यकार हिंदुस्तानी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष हरि मोहन मालवीय की तबीयत कई दिनों से उम्र संबंधित दिक्कतों को लेकर खराब चल रही थी वह लखनऊ में स्थित अपने पुत्र गौरव मालवीय के पास विगत दिनों से रह रहे थे वहां उम्र संबंधित दिक्कतों के के साथ-साथ निमोनिया और छाती में संक्रमण कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती थें।
91 वर्षीय हिंदी जगत के वरिष्ठ साहित्यकार श्री मालवीय आज रात 2:18 पर सीने में संक्रमण के कारण स्वर्गवास हो गया था । उनका शवदाह संस्कार प्रयागराज में कालिंदी तट पर मीरापुर स्थित ककरहा घाट पर उनके पुत्र गौरव मालवीय ने किया। उनकी शव यात्रा में परिवार सहित बड़ी संख्या में साहित्य क्षेत्र से जुड़े एवं शहर के बुद्धिजीवी वर्ग के लोग तथा भाजपा कार्यकर्ता शामिल हुए।
हरिमोहन मालवीय –एक परिचय
"संस्थाएं अनुदान से नहीं अनुराग से चलती हैं।"- हरिमोहन मालवीय।
प्रेम, स्नेह, संवेदनशीलता, भावुकता, परोपकार, विनम्रता जैसे मानवीय गुणों से आपूरित हरिमोहन मालवीय जी अपनी साहित्य तपस्या के कारण अति लोकप्रिय थे। साहित्य जगत में आपकी अपनी एक अलग पहचान थी। हिन्दी के प्रचार-प्रसार एवं उन्नयन में मालवीय जी ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। हिन्दी के संवर्धन में जुटी प्रयागराज की तीन प्रमुख संस्थाओं में इनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा। हिन्दी साहित्य सम्मेलन से वर्षों तक पत्रिका के सम्पादक के रूप में जुड़े रहे।
हिन्दुस्तानी एकेडेमी में मालवीय जी अनेक वर्षों तक सचिव एवं अध्यक्ष के रूप में सेवाएं देते रहे। अपने कार्यकाल में इन्होंने हिन्दी साहित्य सम्मेलन एवं हिन्दुस्तानी एकेडेमी में अनेक महत्वपूर्ण कार्य सम्पादित किए, जो अविस्मरणीय हैं। विज्ञान के हिन्दी में लोकप्रियकरण में पिछले एक सौ दस वर्षों से निरन्तर सेवारत संस्था विज्ञान परिषद् में हिन्दी शब्दकोश निर्माण में मालवीय जी का विशेष अवदान रहा।
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्" को आत्मसात् कर विपरीत परिस्थितियों में भी पूरे उत्साह के साथ लगे रहते थे। आपके जीवन में कर्म की प्रधानता है। जैविक आयु लगभग 91 वर्ष की होने के कारण शारीरिक शिथिलता के बावजूद कभी हिन्दी साहित्य की चर्चा करते हुए उनकी आँखों में अजीब-सी चमक आ जाती थी। नई स्फूर्ति, नए उत्साह के साथ उनकी सकारात्मक भावाभिव्यक्ति सराहनीय है। नव रचनाकारों का मालवीय जी सदैव उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करते रहते थे। अभी कुछ दिन पहले उन्होंने अस्वस्थता के बावजूद लखनऊ में अपने पुत्र गौरव मालवीय से कहा आओ चलो प्रयागराज चलते हैं हिंदी का काम छूट गया है उसको देख कर आते हैं।
हरि मोहन मालवीय भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मुरली मनोहर जोशी के अभिन्न मित्र एवं उनके चुनाव प्रभारी थे। वो प्रयागराज के सबसे पुराने स्वयंसेवकों में से थे जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता आजादी पूर्व ही ग्रहण कर ली थी।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ऊपर लगने वाले प्रतिबंध के तहत सन 1949 में जो संघ सत्याग्रह हुआ था उसमें तकरीबन 4 महीने नैनी केंद्रीय कारागार में बंद भी रहे। श्री मालवीय भारतीय जनता पार्टी की मासिक पत्रिका वर्तमान कमल ज्योति के कई वर्षों तक संपादक भी रह चुके हैं।वरिष्ठ समाजवादी नेता और भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय सत्य प्रकाश मालवीय इनके पत्नी के भाई थे।
यद्यपि हरि मोहन मालवीय भाजपा और संघ के कार्यो से जुड़े रहे पर उन्होंने अपने आपको सदैव गुटबन्दी से विलग रखा। उनके अधिकांश मित्र और शुभचिंतक विपरीत विचारधारा के थे। सभी विचारधाराओं में लोकप्रियता के कारण वो सच्चे अजातशत्रु थे। वे अपने रास्ते स्वयं बनाते गए। जिस भी संस्था में रहे, उसे जीवन्त रखा और उसकी समृद्धि करते रहे। उनका एक वाक्य स्थापित है- "संस्थाएं अनुदान से नहीं अनुराग से चलती हैं।" श्री मालवीय अपने अधीनस्त कर्मचारियों को पूरा सम्मान देते रहे, साथ ही उनके सुख-दुःख की इन्हें हमेशा चिंता रही।
हिन्दी साहित्य के प्रति मालवीय जी की निष्ठा इनके लिखे सैकड़ों लेखों में परिलक्षित होती है। हिन्दी साहित्य के पाठालोचन एवं सम्पादन कार्य में आप सिद्धहस्तहैं। वृन्दावन शोध संस्थान में रहकर मालवीय जी ने ब्रज साहित्य पर शोध किया। इस संस्थान द्वारा तानसेन की 'रागमाला' कृति का सम्पादन कर प्रकाशित करने का कार्य आपने किया। संत मलूकदास स्मारक समिति का गठन कर उसके माध्यम से संत मलूकदास जी के देवी धाम कड़ा स्थित 'मलूक आश्रम' का पुनर्निमाण कराया। बालकृष्ण भट्ट की लोकोक्तियों का सम्पादन कर द्विभाषा संस्कृत लोकोक्ति कोश तैयार किया।
वृन्दावन शोध संस्थान से प्राप्त रागमाला की पाण्डुलिपि के साथ जोधपुर स्टेट लाइब्रेरी से अपने व्यक्तिगत प्रयासों द्वारा प्राप्त पाण्डुलिपि का पाठालोचन कर मालवीय जी ने 'रागमाला' का सम्पादित रूप प्रकाशित किया, जिसे हिन्दी साहित्य में आपकी विशेष उपलब्धि माना जाएगा। 'रागमाला' में आपने प्रामाणिक रंगीन चित्र भी दिए हैं। आपने ब्रज साहित्य से खोजकर प्रागन कृत 'भंवरगीत' का पाठालोचन एवं सम्पादन किया। इसी कड़ी में गुजरात से प्राप्त बालचन्द्र मुनि द्वारा जैन ग्रन्थ 'बालचन्द्र बत्तीसी', विद्वान रचनाकार लोकमणि मिश्र रचित 'नौरस रंग', बुन्देलखण्ड के महाराज पृथ्वीसिंह की कृति 'रतन हजारा' एवं शुभकरण दास रचित बिहारी सतसई की 'अनवर चंद्रिका टीका' के पाठालोचन एवं सम्पादन का महान कार्य किया।
उपरोक्त कृतियां हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रकाशित हुईं। अनेक कोश निर्माणों में आपकी सक्रिय भूमिका रही। सीधी-सव के 'अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति कोश' के सम्पादन में सहयोग किया । इसी तरह । डॉ. सत्य प्रकाश द्वारा सम्पादित मानक 'अंग्रेजी हिन्दी कोश' में शब्दों की व्युत्पत्ति एवं उच्चारण आदि में आपका सहयोग रहा। हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में आपके योगदान हेतु आपको केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा वर्ष 2001 में 'गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान' से राष्ट्रपति द्वारा अलंकृत किया गया। यह सम्मान आपको तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन द्वारा आपको सम्मानित किया गया। आपको सन् 2018 में हिन्दी संस्थान द्वारा सर्वोच्च पुरस्कार 'साहित्य भूषण' से भी सम्मानित किया।
हरिमोहन मालवीय जी को हिन्दी साहित्य का विश्वकोश या 'इनसाइक्लोपीडिया' कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। किसी भी विषय पर आधा-एक घंटा अबाध्य व्याख्यान या लेखन इनके लिए सरल व सहज कार्य था। भारत की प्राचीनतम 'श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी' द्वारा प्रकाशित स्मारिका के सम्पादन का अतिसराहनीय कार्य आप इसके प्रारंभ से अबतक करते रहे। इसका हर अंक इनके अथक प्रयास से विशिष्ट एवं संग्रहणीय बन जाता था । इसमें प्रकाशित मालवीय जी के सम्पादकीय भारतीय संस्कृति, धर्म एवं आध्यात्म के शोधार्थियों के लिए बहुत उपयोगी हैं। हिन्दी साहित्य के एक सफल सम्पादक, पाठालोचक, साहित्यकार, वार्ताकार, कृत्तिकार, चित्रकार... के योगदान को किसी एक पुस्तक में रेखांकित कर पाना एक दुरूह कार्य है।
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
यह तो कानूनी प्रावधानों को घोर उल्लंघन है’, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को पलटा
20 Dec 2024 16:57:48
प्रयागराज। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक नाबालिग से बलात्कार के दो आरोपी को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दी...
अंतर्राष्ट्रीय
बशर अल-अस्साद- 'सीरिया नहीं छोड़ना चाहता था, लड़ना चाहता था, लेकिन रूसियों ने मुझे बाहर निकालने का फैसला किया
17 Dec 2024 16:30:59
International Desk सीरिया के अपदस्थ नेता बशर असद ने कहा कि एक सप्ताह पहले सरकार के पतन के बाद देश...
Comment List