फर्जी वरासत किए जाने का मामला बना चर्चा का विषय

लेखपाल कानूनगो और दलालों के बीच सांठगांठ चलते खेला गया खेल

फर्जी वरासत किए जाने का मामला बना चर्चा का विषय

मामले की शासन प्रशासन तक हुई शिकायतों में अपनी गर्दन फसते देख की गई असल व्यक्ति के नाम वरासत और पुरानी वरासत को किया गया निरस्त

लखीमपुर खीरी तहसील सदर लखीमपुर में तहसील प्रशासन और दलालों के बीच मिली भगत से किए गए एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला खुलकर सामने आया है मामला कुछ इस प्रकार से बताया जाता है की तहसील सदर के अंतर्गत कस्बा खीरी टाउन निवासी शहाबुद्दीन पुत्र अली रजा की भूमि गाटा संख्या 323/2/0,008,322/2/0'042 जो शहाबुद्दीन पुत्र अली राजा के नाम दर्ज कागजात है शहाबुद्दीन की मृत्यु के उपरांत उक्त जमीन का वारिस लेखपाल द्वारा पैसा लेकर वसीम व मोहम्मद हसीन पुत्रगण शहाबुद्दीन निवासी बेहटी तहसील लहरपुर जिला सीतापुर में दर्ज कर दिए जाने का मामला प्रकाश में आया था ।
 
उक्त लोग जाति के पठान हैं जबकि मृतक के असली बारिश मोहम्मद सगीर व रईस पुत्रगण शहाबुद्दीन निवासी पट्टी रामदास कस्बा खीरी  हैं और मेमन अंसारी बिरादरी के हैं जबकि उनके नाम ग्राम निजामपुर रामदास में गाटा संख्या 409/०•821,422/0•505 पर पिता की भूमि की वरासत हो चुकी है उक्त असल वारिस मेमन जाति केहै। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि क्षेत्रीय लेखपाल रमाकांत मिश्रा द्वारा विपक्षी गणो से सांठगांठ करके व रिश्वत राशि लेकर फर्जी वरासत दर्ज कर दी गई तथा अवैध तरीके से कब्जा दिलाए जाने का भी प्रयास किया गया उक्त असल बारिशों का इस फर्जी वाडा का पता चलने पर आनन-फानन में जिला अधिकारी खीरी सहित शासन प्रशासन से शिकायत कर जांच की मांग की गई शिकायत में लगाए गए आरोपों पर गौर करें तो उक्त लेखपाल ने दलालों के साथ मिली भगत करके कस्बे के अंदर की बेश कीमती जमीन की फर्जी वरासत करके भूमि की बिक्री करवाए जाने के आरोप लगाए हैं शिकायतकर्ता का आरोप है। 
 
कि उसने इस मामले की दर्जनों शिकायत की परंतु तहसील प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई आहत होकर जब पीड़ित पक्ष द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की गई उसमें भी लेखपाल द्वारा फर्जी भ्रामक गलत आख्या लगाकर शिकायत का निस्तारण कर दिया गया। मोहम्मद सागीर वह रईस ने आरोप लगाया है कि उक्त अधिकारी गण काफी भ्रष्ट हैं जिन पर कार्यवाही की मांग की गई है तथा दर्ज की गई फर्जी वरासत निरस्त कर असल व्यक्तियों के नाम वरासत दर्ज किए जाने की भी मांग  करने के साथ-साथ दोषी लोगों में लेखपाल व कानूनगो को के विरुद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने की मांग की। पीड़ित पक्ष द्वारा उक्त फर्जी वाडा में शामिल लोगों व तहसील कर्मियों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराए जाने की भी मांग की थी।
 
अपनी गर्दन फसते देख फर्जी वरासत निरस्त कर असल वारिशों के नाम दर्ज हुई वरासत
उक्त मामले में शासन प्रशासन द्वारा हुई दर्जनों शिकायतों के बाद मामले का संज्ञान ग्रहण किया गया मौजूद साक्ष्यो के आधार पर तहसील प्रशासन के हाथ पांव फूल गए और आनंन फानन में शिकायतकर्ता को बुलाकर समझा बूझकर मुकदमा डालने की सलाह देने के साथ-साथ उस पर उसके पक्ष में तत्काल आदेश पारित करने का आश्वासन दिया गया और मामले को शांत करने का प्रयास किए जाने की जानकारी सूत्रों द्वारा दी गई है। पीड़ित पक्ष द्वारा दाखिल वाद में ऑनलाइन उत्तराधिकार 2023 310 15380/005056दि 19•12•2023वराजस्व वाद न्यायालय तहसीलदार/T 202410430106922/18•11•24वरासत के आधार पर असल वारिशों के नाम दर्ज कागजात कर पूर्व में की गई फर्जी वरासत को निरस्त कर दिया गया।
 
पीड़ित पक्ष द्वारा दोषी लेखपाल और कानूनगो के विरुद्ध की गई कार्यवाही की मांग
फर्जी वरासत अंकन करने वाले कानूनगो सुरेश चंद शुक्ला और क्षेत्रीय लेखपाल रमाकांत मिश्रा के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराए जाने की मांग शिकायतकर्ता द्वारा की गई है यहां पर अहम सवाल यह उठते हैं की जाति और निवास का पता तथा जिला और तो फिर किस आधार पर दर्ज की गई वरासत?
जब इससे पूर्व कुछ भूमि की वरासत पहले सागीर और रईस के नाम दर्ज की जा चुकी थी तो फिर इस जमीन पर वारिशों के नाम किस आधार पर बदले गए?
 
किन कारणो से जांच पड़ताल के बगैर फर्जी तरीके से सीतापुर जनपद की तहसील लहरपुर निवासी लोगों के नाम फर्जी वरासत का अंकन किया गया एक ही जमीन व एक ही गाटा संख्या की कैसे हो गई दो दो वरासत? और की गई दोनों उक्त वरासतों में कौन सी बरासत है सत्य अहम सवाल बना हुआ है? इन यक्ष प्रश्नों के सवाल के जवाब क्षेत्रीय लेखपाल से लेकर तहसीलदार तक के पास ढूंढे नहीं मिल पा रहे हैं ।आखिर दोषी तहसील कर्मचारियों के विरुद्ध आज तक कोई कार्यवाही अमल में क्यों नहीं लाई जा रही है ?पीड़ित पक्ष द्वारा मामले के दोषी लोगों के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराए जाने की मांग की गई है।
 

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