विद्यार्थियों का आत्महत्या करना शैक्षणिक संस्थाओं, समाज,और राष्ट्र के लिए गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए 

विद्यार्थियों का आत्महत्या करना शैक्षणिक संस्थाओं, समाज,और राष्ट्र के लिए गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए 

भारत में विद्यार्थियों का आत्महत्या करना रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।यह विषय शिक्षण संस्थाओं के लिए, परिवार के लिए, समाज के लिए तथा राष्ट्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है। अभी 2025 को आरंभ हुए एक माह भी नहीं हुआ, आत्महत्या के दुखद समाचार मिलना शुरू हो गये हैं, कोटा(भारत की कोचिंग राजधानी) में जनवरी 2025 में ही कोचिंग ले रहे चार छात्र आत्महत्या कर चुके हैं।जबकि 2024 में, कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं के 17 मामले सामने आए थे।नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में कुल 1,70,924 आत्महत्याओं में से 13,044 मामले विद्यार्थियों के थे जो यह दर्शाता है कि 2021 की तुलना में कुल आत्महत्याओं में 4.2% की वृद्धि हुई है।
 
आत्महत्या करने वाले अधिकांश विद्यार्थी 16 से 21 वर्ष की आयु के थे। विद्यार्थियों में आत्म हत्या के प्रमुख कारणों में सम्मिलित हैं शैक्षणिक कारण (शैक्षणिक असंतोष, शैक्षणिक तनाव, शैक्षणिक विफलता), संस्थागत कारण (बदमाशी, जातिगत भेदभाव, रैगिंग, उत्पीड़न और विषाक्त संस्थागत संस्कृति), मानसिक स्वास्थ्य  (अवसाद, मनोवैज्ञानिक तनाव, चिंता), वित्तीय संकट और ऑनलाइन गेमिंग। इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इन आत्महत्याओं के पीछे के कारणों में  प्रेम प्रसंग , परिवार का अत्यधिक शैक्षणिक सफलता के लिए दबाव, उच्च अपेक्षाएं तथा संस्थागत समर्थन की अनुपलब्धता भी शामिल हो सकता है। 
 
अतः माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को तथा शैक्षणिक संस्थानों को  चाहिए कि वे अपने छात्र-छात्राओं की गतिविधियों पर ध्यान रखें, उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें, उन पर अत्यधिक दबाव न डालें, और उनकी रुचि के अनुसार करियर चुनने में उनका समर्थन करें। राज्य सरकारों तथा शिक्षण संस्थानों की प्रबंध समितियों को भी चाहिए कि वे शिक्षण संस्थान में  मनोचिकित्सक युक्त परामर्श केन्द्र  की व्यवस्था करें ।
 
ऐसा करके विद्यार्थियों को  उचित परामर्श तथा चिकित्सा प्रदान कर न सिर्फ विविध कारणों से विद्यार्थियों को अवसाद में जाने से , नशावृत्ति के कुचक्र में फसने से, आत्महत्या जैसे निर्णय लेने से बचाया जा सकेगा। साथ ही  माता-पिता, शिक्षण संस्थान और समाज को मिलकर एक ऐसा वातावरण प्रदान करने की आवश्यकता है जहां शिक्षार्थी अपनी भावनाओं को, समस्याओं को साझा कर सकें और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सकें।
 
विद्यार्थियों को जीवन समाप्त करने,ग़लत राह पर जाने जैसे गलत निर्णय लेने से पहले यह सोचना चाहिए कि जो जीवन वे समाप्त करने जा रहे हैं, या बर्बाद करने जा रहे हैं उस पर केवल उनका ही अधिकार नहीं है अपितु माता-पिता, परिवार, समाज, शिक्षण संस्थान तथा देश का भी अधिकार है। विद्यार्थी सबके भविष्य की आशाओं के केन्द्र होते हैं।

About The Author

Post Comment

Comment List

अंतर्राष्ट्रीय

इस्पात नगर केमिकल फैक्ट्री में लगी भीषण आग ! कई फायर स्टेशन की गाड़ियों ने आग पर पाया काबू  इस्पात नगर केमिकल फैक्ट्री में लगी भीषण आग ! कई फायर स्टेशन की गाड़ियों ने आग पर पाया काबू 
कानपुर।   आज सुबह इस्पात नगर स्थित एक कैमीकल फैक्ट्री के गोदाम में भीषण आग लग गई। आग ने इतना विकराल...

Online Channel