साइबर अपराध में बच्चों की भागीदारी: एक सामाजिक चेतावनी

साइबर अपराध में बच्चों की भागीदारी: एक सामाजिक चेतावनी

मेवात क्षेत्र में नाबालिग बच्चों का साइबर ठगी में उपयोग एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुका है। यह मुद्दा न केवल बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बना रहा हैबल्कि समाज के लिए भी चुनौती खड़ी कर रहा है। 13 से 16 वर्ष की आयु के बच्चेजो शिक्षा के माध्यम से अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते थेअब अपराध की जटिल गलियों में भटकने लगे हैं। ठग गिरोह इन बच्चों की मासूमियत और तकनीकी कौशल को हथियार बनाकर उन्हें जटिल साइबर अपराधों में धकेल रहे हैं। ये गिरोह योजनाबद्ध तरीके से बच्चों को फर्जी सिम कार्ड का उपयोगबारकोड हैकिंग और ऑनलाइन ठगी जैसे कार्यों में प्रशिक्षित कर रहे हैं। इन बच्चों को अक्सर दूरस्थ क्षेत्रों में ले जाकर अपराध के लिए तैयार किया जाता हैजहाँ उनकी मासूमियत का शोषण किया जाता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की कमी इस समस्या की जड़ है। इन इलाकों में न तो बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध है और न ही उन्हें यह सिखाने का कोई साधन है कि तकनीक का उपयोग सकारात्मक उद्देश्यों के लिए कैसे किया जा सकता है। शिक्षा के अभाव में बच्चे आसानी से अपराधी तत्वों के प्रभाव में आ जाते हैं। तकनीकी ज्ञान और सही दिशा-निर्देश की कमी उनके लिए एक बड़ा खतरा बन जाती है। ठग गिरोह इस स्थिति का लाभ उठाते हुए बच्चों को जल्दी धन कमाने के झूठे सपने दिखाते हैं। बच्चों की जिज्ञासा और नई चीजें सीखने की तीव्र क्षमता का दुरुपयोग करये गिरोह उन्हें साइबर अपराधों में फंसा देते हैं।

माता-पिता की भूमिका भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है। व्यस्त जीवनशैली के कारण वे बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखने में असमर्थ रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की कठिनाइयों के कारण माता-पिता का अधिकतर समय आजीविका अर्जित करने में व्यतीत होता है। इस स्थिति का फायदा उठाकर ठग गिरोह बच्चों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। इन गिरोहों को यह भली-भांति पता होता है कि बच्चे नई तकनीकों को जल्दी सीखने और उपयोग करने में माहिर होते हैं। यही कारण है कि ये अपराधी गिरोह बच्चों को अपने उद्देश्यों के लिए प्रशिक्षित करने में सफलता पाते हैं।

इस समस्या का समाधान केवल शिक्षा के माध्यम से नहीं किया जा सकता। इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ नैतिकताअनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाना आवश्यक है। उन्हें यह समझाने की जरूरत है कि उनके कौशल और ऊर्जा का उपयोग सकारात्मक कार्यों में किया जा सकता है। कोडिंगवेब डिज़ाइनिंगएप्लिकेशन विकास और सॉफ़्टवेयर निर्माण जैसे कौशलों में बच्चों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। जब बच्चों को यह एहसास होगा कि उनकी प्रतिभा समाज के लिए उपयोगी हो सकती हैतो वे अपराध से दूर रहने के लिए प्रेरित होंगे।

सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। ठग गिरोहों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए। कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सतर्क रहते हुए अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ हीग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना बेहद जरूरी है। स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जाए और तकनीकी शिक्षा को पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाया जाए। बच्चों को यह समझाने की जरूरत है कि तकनीकी ज्ञान केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहींबल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी है।

माता-पिता और शिक्षक समाज की नींव हैं। उन्हें बच्चों की गतिविधियों और दिनचर्या पर नजर रखनी चाहिए। बच्चों के साथ संवाद स्थापित करना और उनके मनोबल को सही दिशा में बढ़ाना अनिवार्य है। बच्चों को यह समझाना आवश्यक है कि त्वरित धन और शीघ्र सफलता के लालच केवल भ्रम हैंजो उनके भविष्य को बर्बाद कर सकते हैं। इसके विपरीतछोटे-छोटे सकारात्मक प्रयास समाज और देश की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

डिजिटल युग में तकनीकी शिक्षा बच्चों के लिए एक सशक्त माध्यम बन सकती है। यदि बच्चों को कोडिंगऐप विकाससॉफ्टवेयर निर्माणऔर डिज़ाइनिंग जैसे तकनीकी कौशल सिखाए जाएंतो वे अपनी ऊर्जा और क्षमताओं का रचनात्मक उपयोग कर सकते हैं। यह न केवल उनके करियर को सशक्त बनाएगाबल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी भी बनाएगा। जब बच्चे यह समझने लगेंगे कि उनकी तकनीकी प्रतिभा से समाज को लाभ हो सकता हैतो वे अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाएंगे।

समाजसरकार और परिवार के सामूहिक प्रयासों से ही इस समस्या का स्थायी समाधान संभव है। माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों को सही दिशा में प्रेरित करना होगा। समाज को यह समझना होगा कि बच्चों का भविष्य केवल तकनीकी शिक्षा पर निर्भर नहीं हैबल्कि नैतिक और सामाजिक मूल्यों को सिखाने पर भी आधारित है।

यह प्रयास केवल एक समस्या का समाधान नहीं होगाबल्कि यह एक नई दिशा का प्रारंभ होगा। एक ऐसा भविष्यजहाँ हर बच्चा अपनी क्षमता का उपयोग समाज की भलाई के लिए करेगा और अपराध से दूर रहेगा। सामूहिक प्रयासों से हम न केवल बच्चों को सुरक्षित बना सकते हैंबल्कि समाज को भी सुदृढ़ और प्रेरणादायक बना सकते हैं। यह एक नई सुबह का आगाज़ होगाजहाँ हर बच्चा अपने कौशल का उपयोग सृजनात्मक और सकारात्मक कार्यों में करेगा और समाज के लिए अमूल्य योगदान देगा।

 

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