हाई कोर्ट के आदेश को रद्दी की टोकरी में डालकर कोटे की दुकान चलवा रहा विभाग

स्वतंत्र प्रभात
बरेली
नवाबगंज तहसील के गांव करुआ साहिबगंज के कोटेदार जलील अहमद की दुकान को हाईकोर्ट की अदालत ने अब से करीब 5 वर्ष पूर्व दुकान निरस्त कर दी थी परंतु विभाग की मेहरबानी से आज भी चल रही है ज्ञात रहे जलील अहमद के कोटे की दुकान पर हो रही धांधली की शिकायत ग्रामीणों ने वर्ष 2006 में तत्कालीन जिला उप जिलाधिकारी नवाबगंज से की थी जिसकी जांच उप जिला अधिकारी प्रेम किशोर आर्य ने तत्कालीन पूर्ति निरीक्षक नवाबगंज से करवाई थी
इसकी जांच रिपोर्ट में दोषी ठहराते हुए कोटेदार को अपनी जांच रिपोर्ट 7 मार्च 2006 को पूर्ति निरीक्षक ने एसडीम नवाबगंज प्रेम किशोर आर्य को सौंप दी इस पर एसडीम नवाबगंज द्वारा 17 मार्च 2006 को दुकान निरस्त कर दी गईथी परंतु इस आदेश के विरुद्ध कोटेदार जलील अहमद उपआयुक्त खाद्य के न्यायालय में अपील की थी जिसकी सुनवाई करते हुए उपयुक्त खाद्य रमाकांत त्रिपाठी ने भी 28 अप्रैल 2008 को कोटेदार की अपील को ठुकराते हुए निरस्त कर दिया था और एसडीएम का आदेश बहाल किया था
इसके बाबत कोटेदार जलील अहमद उपआयुक्त के आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट इलाहाबाद गए इसमें वाद संख्या 60703 पर न्यायालय ने कोटेदार को अग्रिम सुनवाई होने तक यथा स्थिति बनाए रखने का इसके ऑर्डर 12 नवंबर 2009 को जारी कर दिया था कोटेदार द्वारा दाखिल किए गए बाद की सुनवाई हाईकोर्ट के दो न्यायाधीशों की बेंच ने की इसमें न्यायाधीश प्रीत कर दिवाकर एवं सरल श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कोटेदार द्वारा दाखिल की गई याचिका को 20 नवंबर 2018 को निरस्त कर दिया था परंतु इस आदेश को पूर्ति विभाग ने रद्दी की टोकरी में डालकर कोटेदार जलील अहमद को बेखौफ दुकान चलाने का अवसर प्रदान किया जिसके तहत वह आज भी दुकान चला रहे हैं
परंतु उनकी दुकान के कथित घोटाले की पुनः शिकायत होने पर जांच में दोषी पाए जाने पर 1 जुलाई 2023 को थाना क्यों लड़िया पुलिस में 3 /7 सहित गंभीर धाराओं में पुनः रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी अभी तक जलील अहमद की दुकान को निरस्त नहीं किया जा सका है परंतु सबसे बड़े अंधेर नगरी चौपट राज्य तो इस बात का है 20 नवंबर 2018 को हाई कोर्ट से अपील खारिज होने के बाद जलील अहमद किसके रहमो कर्म पर कोटे की दुकान आज तक चल रहे हैं इस बाबत पूर्ति निरीक्षक नवाबगंज राजीव श्रीवास्तव से फोन पर बात की गई
तो उन्होंने स्वतंत्र प्रभात को बताया उनके पास हाई कोर्ट का कोई आदेश नहीं है और वह अभी कुछ महा पूर्व ही यहां पर आए हैं इसी विभाग के अधिकारी ए आर ओ बृजेश कुशवाहा से संपर्क किया गया तो उन्होंने भी दो-तीन महापूर्व ही चार्ज लेने की बात कह कर मामले को टाल दिया विभाग के पास कोटेदार जलील अहमद के लिए बचाने को कोई भी ठोस जवाब नहीं हैअंत में उन्होंने कहा अगर ऐसा है
तो वह आदेश को दिखावा कर कार्यवाही करेंगे परंतु सबसे उत्तम बात यह रही कोटेदार जलील अहमद सदैव सत्ता पक्ष के साथ रहकर ही उसने अपनी मनमानी कर गांव का उत्पीड़न किया है परंतु उसने गांव का ही उत्पीड़न नहीं किया परंतु हाईकोर्ट के आदेश की भी अभेलना कर चांदी काटी है परंतु विभाग अब इस मामले में टाल मटोल कर रहा है
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय
3.jpg)
Online Channel

शिक्षा

Comment List