राजनैतिक दल कमियां गिनाकर हल नहीं बता रहे
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लोकसभा चुनाव में मुद्दे गायब हैं अब जो चार चरण बचे हैं उनमें सभी राजनैतिक दल एक दूसरे की कमियां ही निकालते दिखाई दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इन्होंने कुछ काम नहीं किया काम तो हुआ है 70 साल के कांग्रेसी शासन काल में भी काम हुआ है और दस साल के भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में भी काम हुआ है। लेकिन कहीं न कहीं इन राजनैतिक दलों को लगता है कि ये जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं और इसीलिए ये अपने काम को न गिनाकर दूसरे की कमियां ही गिनाते नजर आ रहे हैं।
आश्चर्य तो तब हुआ जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक जनसभा में यह तक कह दिया कि ये अडानी और अंबानी टैंपो भर भर के कांग्रेस के पास पैसा पहुंचाते हैं जब कि अभी तक यह आरोप लगाता रहा है कि अडानी और अंबानी नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के मित्र हैं और भारतीय जनता पार्टी की सरकार इनको लाभ पहुंचाती है इसके बदले में ये भारतीय जनता पार्टी को चंदा देते हैं। दरअसल हिंदुस्तान की जनता अभी तक जो देखा गया है काम के बदले में नोट नहीं देती है। कई राज्य सरकारों ने कई अच्छे काम कराए लेकिन अगले ही चुनाव में जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
इस चुनाव में फ्री राशन एक बहुत बड़ा मुद्दा है। कोई भी राजनैतिक दल इस फ्री राशन पर बोलने से बच रहा है। भारतीय जनता पार्टी सरकार ने तो इसे पहले ही पांच साल तक और बढ़ाने की घोषणा कर दी है जब कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कह रहे हैं कि यदि गठबंधन की सरकार बनी तो हम जनता को पौष्टिक आटा व राशन देंगे। मतलब राशन देने की बात हर कोई कर रहा है। पुराने समय की बात करें तो हर व्यक्ति के पास राशन कार्ड होता था और जिसकी आय कम होती थी उनको न्यूनतम मूल्य पर राशन मिलता था जिसमें शक्कर, गेहूं, चावल और कैरोसिन होता था लेकिन बाद में गरीबी का फिर से आंकलन किया गया और जो व्यक्ति सबसे अधिक गरीब थे राशनकार्ड उन्हीं को मिलने लगा। फ्री राशन की योजना कोरोना काल में शुरू की गई क्योंकि जब आदमी की नौकरी व्यापार सब छूट गया तो सरकार ने इनको फ्री राशन देने की योजना बनाई। अब इस योजना का असर यह हुआ कि भारतीय जनता पार्टी की हर राजनैतिक दल अपने अपने मंच से यह बात कह रहा है कि हमारी सरकार आयेगी तो फ्री राशन की योजना अनवरत जारी रहेगी। बल्कि हम इससे भी अधिक पौष्टिक आहार जनता को फ्री में देंगे। अखिलेश यादव ने तो सीधे कह दिया कि कि भारतीय जनता पार्टी का राशन पौष्टिक नहीं है।
हम बात कर रहे हैं जनता के असल मुद्दों की। आखिरकार हमको 80 करोड़ आबादी को फ्री राशन क्यों देना पड़ रहा है। राशन पर बहुत सारा वोट टिका है। ऐसा नहीं है कि 80 करोड़ जनता के पास कोई काम नहीं है। सभी काम कर रहे हैं और कमा कर खा सकते हैं लेकिन यदि इस राशन को बंद करने की कोशिश की गई तो बहुत सारा वोट बैंक हांथ से निकल सकता है। जिस तरह आज कोई भी राजनैतिक दल आरक्षण को बंद नहीं कर सकता उसी तरह राशन भी एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को आरक्षण विरोधी बता रहे हैं और जनता को डरा रहे हैं कि अगर अबकी बार भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आ गई तो यह आरक्षण को समाप्त कर देगी। कहने का मतलब दोनों पक्ष जनता को यह कहकर डरा रहे हैं कि यदि वह सत्ता में आए तो आपका ये नुकसान करेंगे और यदि दूसरे सत्ता में आए तो आपका ये नुकसान होगा। मुद्दा है स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा, विकास, महंगाई लेकिन इस पर तो कोई बोलना ही नहीं चाहता। सारे मुद्दे गुम हो चुके हैं।
यदि देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी ने अपने दस वर्षों के शासन काल में कई अच्छे कार्य कराए हैं और ऐसा नहीं कि वह उसको जनता को बता नहीं रही हो वह अपने किये काम गिना रही है लेकिन जनता के अंदर डर ज्यादा पैदा किया जा रहा है कि यदि ये सत्ता में आ गए तो आपके साथ ये होगा। जनता ने कांग्रेस का शासन काल भी देखा है और भारतीय जनता पार्टी के दस वर्षों का शासन भी देखा है लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है आज का युवा मतदाता जिसने ठीक से कांग्रेस का शासन काल नहीं देखा है या उसमें उस समय इतनी समझ थी ही नहीं जो कि वह आंकलन करे। खैर कोई बात नहीं जनता की मर्जी है उसको अधिकार है अपनी मनपसंद सरकार चुनने का।
लेकिन राजनैतिक दलों को भी गुमराह नहीं करना चाहिए। यह सत्ता की लड़ाई है। राजनैतिक दल एक दूसरे को पटखनी देने के लिए केवल डरा रहे हैं। खौफ दिला रहे हैं लेकिन उस खौफ को दूर करने के लिए उनके पास क्या प्लान है यह नहीं बता रहे हैं। जनता बहुत ही अच्छी तरह से गुमराह है और गुमराह होती जा रही है। और राजनैतिक दल लगातार इसका लाभ उठा रहे हैं। जनता को लगने लगता है कि हां यदि यह पार्टी सत्ता में आ गई तो ये हो जाएगा और दूसरी पार्टी सत्ता में आ गई तो ये हो जाएगा। लेकिन आज तक हुआ कुछ नहीं और न ही कुछ होगा। देश जैसे चलता रहा है वैसे ही चलता रहेगा और तमाम राजनैतिक दल इसका फायदा उठाते रहेंगे।
जितेन्द्र सिंह पत्रकार
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