विकास खण्ड तुलसीपुर के कई ग्राम पंचायत में चल रहा फर्जी भुगतान का बड़ा खेल

फर्जी बिल के नाम पर सरपंच-सचिव लगा रहे सरकार को चूना

विकास खण्ड तुलसीपुर के कई ग्राम पंचायत में चल रहा फर्जी भुगतान का बड़ा खेल

बिना कार्य करवाये ही कागजो में हो जाता है कार्य पूर्ण और भुगतान

तुलसीपुर/बलरामपुर सरकार के द्वारा गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए पंचायती राज का गठन किया गया है। ताकि समस्या को गांव के लोग आपस मे मिलकर सुलझा सके और गांवों की छोटी, मोटी समस्या को पंचायत के सरपंच-सचिव, ग्रामवासी मिलकर दूर कर सकें। इसके लिए ग्राम पंचायत में मूलभूत चौदहवें वित्त व पंचायत को टैक्स वसूली की योजनाओं से पंचायत की खाते में राशि आती है जिससे पंचायत की आवश्यकता अनुसार खर्च किया जाता है। लेकिन जनपद बलरामपुर के तुलसीपुर विकासखंड में इस योजना का पैसा विकास के बजाय फर्जी बिल लगाकर किया गया है की बात का खुलासा हुआ है ।जिसमे सरकार व जनता के पैसे को सरपंच, सचिव व संबंधित विभाग में बैठे आला अफसर की मिलीभगत से राजस्व की मलाई काट रहे है।
 
 विकासखंड तुलसीपुर के कई ग्राम पंचायत में फर्जी बिल लगाकर जनता के विकास करने के बजाए सम्बन्धित जिम्मेदार अपना विकास कर मलाई हजम कर रहे हैं। दरअसल फोटोकापी बिल पर पेयजल आपूर्ति को लेकर इंडिया नल खरीद के साथ अन्य मरम्मत सम्बन्धी उपकरण के खरीद व मरम्मत की राशि का खर्च करने का बिल बना भुगतान किया गया है जो नियम विरूद्ध है। ऐसा ही ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव के द्वारा विकासखंड तुलसीपुर के कई ग्राम पंचायत में कम्प्यूटर का फर्जी बिल लगाकर आहरण कर लिया गया है।
 
इसके साथ अन्य मद जैसे खिड़की-दरवाजे मरम्मत के साथ गाव की स्वक्षता ,फागिग,पेयजल आपूर्ति जैसे कई कार्य कागजो में करवाये जाते बाकी भौतिक तस्वीर में उनका कही अतापता नही होता है । लेकिन कार्य का बिल लगा भुगतान किया गया है । चूंकि उक्त दुकानदार संचालक यह कार्य नहीं करता है। सरपंच-सचिव द्वारा फर्जी भुगतान कर दिया गया। उक्त व्यक्ति की कोई भी दुकान नहीं है। ग्राम पंचायत में आज भी मूलभूत समस्या बनी हुई है। लजिसके समाधान करने के बजाए सरकारी धन का खुला दुरुपयोग सरपंच के द्वारा किया जा रहा है। जिस पर कोई भी अंकुश नहीं लगाया जा रहा है।
 
ग्राम पंचायत के सरपंच के द्वारा पंचायती राज अधिनियम को किनारे करते हुए अपने नियम पंचायत में चला रहे हैं। पंचायत में व्यय करने के लिए जो राशि आती है वो राशि पंचायत पदाधिकारियों के लिए चारागाह साबित हो रही है। पंचायती राज अधिनियम के सारे नियम कानून को किनारे कर अपना कानून चला रहे है । जिसका अगर निष्पक्ष किसी अन्य एजेंसी से करवाई जाए तो बड़ा खुलासा होगा जो जांच का विषय है। लेकिन जनता की समस्या को सुनने वाला कोई नजर नही आता क्यो की मिलीभगत के खेल में साहब भी हिस्सेदार होते है फिर कार्यवाही आखिर किस पर और कौन करे।

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