कथा का मूल उद्देश्य समाज में संस्कारों और धर्म के प्रति आस्था को बढ़ावा देना- दिलीप कृष्ण भारद्वाज

कथा सुनने के लिए श्राद्धलुओं की उमड़ी भीड़, लगे जय श्रीराम के नारे

कथा का मूल उद्देश्य समाज में संस्कारों और धर्म के प्रति आस्था को बढ़ावा देना- दिलीप कृष्ण भारद्वाज

वीरेंद्र कुमार / आर. एन सिंह (संवाददाता) 

चोपन/ सोनभद्र।

काली मंदिर पर चल रहे श्रीराम कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने प्रभु श्रीराम की बाल लीलाओं का अद्भुत वर्णन सुना। अंतराष्ट्रीय कथा वाचक दिलीप कृष्ण भारद्वाज जी ने श्रीराम के जन्म से लेकर उनके बाल्यकाल की दिव्य घटनाओं का सजीव चित्रण किया। कथा के दौरान भगवान श्रीराम के माता-पिता दशरथ और कौशल्या के सुखद क्षणों, श्रीराम के बालस्वरूप में उनके मधुर क्रीड़ाओं, और अयोध्या के वातावरण में गूंजने वाली दिव्यता को भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया।

श्रद्धालुओं ने कथा सुनते समय भावविभोर होकर जय श्रीराम के उद्घोष लगाए। भजन-कीर्तन के साथ वातावरण भक्तिमय हो गया। मंदिर समिति के अध्यक्ष दिनेश पांडेय ने बताया कि कथा का उद्देश्य समाज में संस्कारों और धर्म के प्रति आस्था को बढ़ावा देना है। कथा के समापन पर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। उपस्थित सभी भक्तों ने कथा के माध्यम से प्रभु श्रीराम की बाल लीलाओं से प्रेरणा प्राप्त की। संचालन मनोज चौबे ने किया।

इस मौके पर वृंदावन से किन्नर अखाड़ा परिषद की महामंडलेश्वर हेमलता सखी, राजा मिश्रा, विजय शंकर चतुर्वेदी, रवि चौबे, अनिल सिंह, राकेश तिवारी, दया सिंह, सुनील तिवारी, दिनेश पाण्डेय, पिंटू मिश्रा, रजनीकांत सिंह, सत्य प्रकाश तिवारी, आशीष सिंह, अभिषेक दूबे, विकास सिंह छोटकू, रंजीत सिंह, पुजारी पं मनीष तिवारी सहित सैकड़ों की संख्या में कथा प्रेमी मौजूद रहे।

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