जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव :  बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए जारी की 29 उम्मीदवारों की तीसरी सूची, नगरोटा से देविंदर सिंह राणा लड़ेंगे चुनाव

कांग्रेस ने नौ उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, गुलाम अहमद मीर को दूरु जबकि विकार रसूल वानी को बनिहाल से उम्मीदवार बनाया।

जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव :  बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए जारी की 29 उम्मीदवारों की तीसरी सूची, नगरोटा से देविंदर सिंह राणा लड़ेंगे चुनाव

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 19 उम्मीदवारों की अपनी तीसरी सूची जारी की। सूची में दूसरे चरण के चुनाव के लिए 10 और तीसरे चरण के लिए 19 उम्मीदवार शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 18 सितंबर को मतदान होगा जबकि दूसरे चरण के तहत 25 सितंबर और तीसरा चरण के तहत एक अक्टूबर को वोट डाले जाएगें। मतों की गिनती चार अक्टूबर को होगी।

कांग्रेस ने नौ उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, गुलाम अहमद मीर को दूरु जबकि विकार रसूल वानी को बनिहाल से उम्मीदवार बनाया।  कांग्रेस ने यह सूची सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ सीट बंटवारे पर समझौता होने के बाद जारी की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में क्रमशः 51 और 32 सीट पर चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है। पार्टी ने त्राल सीट से सुरिंदर सिंह चन्नी, देवसर से अमानुल्लाह मंटू, अनंतनाग से पीरजादा मोहम्मद सईद, इंदरवाल से शेख जफरुल्लाह, भद्रवाह से नदीम शरीफ, डोडा से शेख रियाज और डोडा पश्चिम से प्रदीप कुमार भगत को मैदान में उतारा है। 

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जारी की 32 उम्मीदवारों की सूची


नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में गंदेरबल विधानसभा क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमाएंगे। पार्टी ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। यह पूर्व मुख्यमंत्री के लिए यू-टर्न है, उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ने की कसम खाई थी। नेकां ने पार्टी के 32 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें गंदेरबल विधानसभा सीट के लिए उमर अब्दुल्ला का नाम भी शामिल है।

2014 में हुए थे आखिरी विधानसभा चुनाव


जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

 

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