आतिशी होंगी दिल्ली की मुख्यमंत्री
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आज के लेख का आरंभ मैं दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना की उस घोषणा का स्वागत करते हुए करूंगा जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली के शहरीकृत गांवों में खेती जमीनों के लिए उत्तराधिकार पैतृक आधार पर दर्ज किया जाएगा। दिल्ली देहात के लोगों ने उपराज्यपाल के इस कदम पर खुशी जाहिर की है। दिल्ली के शहरीकृत ग्रामीण इलाकों में लोग लंबे समय से इसकी मांग उठा रहे थे। उधर केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में सतारूढ आम आदमी पार्टी के विधायक दल ने दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री आतिशी को नेता चुना और उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री का ताज पहनाया। आखिर ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी थी कि केजरीवाल को यह कदम उठाना पड़ा।
इसमें कोई शक नही है केजरीवाल राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी बन चुके हैं। उन्होंने अपने इस एक तीर से कई निशाने साधे हैं। केजरीवाल को अच्छे से दिख रहा था कि उनकी राजनीतिक जमीन खिसक रही है और उसका मुख्य कारण उनका जेल जाना या शराब घोटाले का इल्जाम उन पर लगना नही है। केजरीवाल को अच्छे से पता था कि शीशमहल यानि पिछले दिनों उछला मुख्यमंत्री आवास की शानो शौकत का मुद्दा उनके गले की हड्डी बनता जा रहा है। वो समर्थकों की नजरों में अब आम आदमी से आम राजनेता बनते जा रहें हैं। दूसरा जेल जा पद से इस्तीफा ना देने से उनकी छवि कुर्सी से चिपके रहने वाले नेता कि बन गई थी पर अब एक ही झटके में उन्होंने इन दोनो मुद्दों से छुटकारा पा लोगों के बीच यह संदेश देने की कोशिश की है
कि पद का लालच उन्हें नही है बस वो तो केन्द्र सरकार की जोर जबरदस्ती से फंसा कर विपक्षी मुख्यमंत्री से इस्तीफा लेने की नीति के खिलाफ डटकर खड़े रहे और इस्तीफा नही दिया। अब इस्तीफा दिया तो अपनी मर्जी से दिया और तब दिया जब इस्तीफा देने का कोई दबाव उन पर नही था। इसके अलावा विपक्षी दल सुनीता केजरीवाल को उनका उत्तराधिकारी पेश कर उसकी छवि खराब कर रहे थे, इस कदम ने उस दाग को भी धो दिया है। हरियाणा चुनावों में उन्हें इसका फायदा मिले या ना मिले परन्तु दिल्ली के आगामी चुनावों में उन्हें इसका फायदा आवश्य मिलेगा।
केजरीवाल की जेल यात्रा के दौरान जो चेहरा आप से उभरा वो आतिशी का था। निसंदेह पिछले दिनों केजरीवाल और मनीष सिसौदिया की अनुपस्थित के दौरान आतिशी ने पार्टी से जुड़े मसलों को संभालने के मामले में अपना लोहा मनवाया है। अरविंद और सिसोदिया के निर्देशों को आतिशी ही विधायकों और पार्षदों तक पहुंचा रही थी। इसके अलावा आतिशी पार्टी में महिला चेहरा भी है। वैसी भी विधानसभा चुनाव होने में कुछ महीने ही बाकि हैं। ऐसे में पार्टी भी बहुत ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहती होगी। आतिशी को चुनने का एक कारण यह भी है कि वो अभी दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा विभागों को संभाल रही थी। आतिशी के पास दिल्ली सरकार में फिलहाल 14 विभागों की जिम्मेदारी है।
जिसमें वित्त, शिक्षा और बिजली जैसे बड़े विभाग भी शामिल हैं। दिल्ली की होने वाले नए मुख्यमंत्री का पूरा नाम आतिशी मार्लेना सिंह है। इनके माता-पिता कार्ल मार्क्स और लेनिन से बहुत अधिक प्रभावित थे। जिस कारण इन दोनो नामों को जोड़कर मार्लेना सरनेम उन्हें दिया गया था। हालांकि 2019 चुनाव के दौरान आतिशी ने अपना ये सरनेम हर जगह से हटा लिया था।आतिशी का जन्म और पालन-पोषण दिल्ली में हुआ, जहां उन्होंने स्प्रिंगडेल्स स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, 2001 में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। जहाँ उन्होंने शेवनिंग छात्रवृत्ति प्राप्त की और 2003 में इतिहास में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की।
रोड्स स्कॉलर के रूप में उन्होंने 2005 में ऑक्सफ़ोर्ड के मैग्डलेन कॉलेज में पढ़ाई की। अतिशी का नाम दिल्ली मुख्यमंत्री की दौड में तब अधिक चर्चा में आया जब इस साल केजरीवाल जेल में थे और राज्य सरकार के स्वतंत्रता दिवस समारोह में झंडा फहराने की जिम्मेदारी उन्होंने आतिशी को दी थी। हालांकि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलौत को झंडा फहराने के लिए नामित किया। आतिशी सिसोदिया की सलाहकार के रूप में भी काम करती रही हैं। दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में आम आदमी पार्टी जो अच्छे काम करने के दावे करती है उसमें आतिशी की भूमिका अहम बताई जाती है। आतिशी की शादी प्रवीण सिंह से हुई है।
प्रवीण सिंह आईआईटी दिल्ली और आईआईएम अहमदाबाद से पढ़ाई कर चुके हैं। दोनों ने 2007 में एक संस्था बनाई। इसके तहत शिक्षा के क्षेत्र में दोनों ने काम किया। आतिशी तब भोपाल में थी। यहीं उनकी मुलाक़ात प्रशांत भूषण से हुई थी, जिसके बाद आतिशी के आम आदमी पार्टी में आने का रास्ता खुला था। पार्टी द्वारा सी.एम चुने जाने के बाद आतिशी ने केजरीवाल और पार्टी को धन्यवाद देते हुए कहा कि शायद किसी और पार्टी में होती तो चुनाव का टिकट भी ना मिलता, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने मुझे विधायक बनाया, मंत्री बनाया और आज मुख्यमंत्री बनने की ज़िम्मेदारी दी है।
मैं खुश हूं कि अरविंद केजरीवाल ने मुझ पर इतना भरोसा किया है, मैं जितनी खॅश हूँ उससे कहीं ज्यादा दुखी हूं क्योंकि आज अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दिया है। दिल्ली का एक ही मुख्यमंत्री है और उसका नाम अरविंद केजरीवाल है। आतिशी तीसरी महिला होंगी जो दिल्ली की कमान संभालेंगी, इन से पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। केजरीवाल ने यह दाव चल कर अपने ऊपर लगे हर दाग को धोने की कोशिश की है परन्तु यह तो दिल्ली में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में ही पता चलेगा की जनता अब केजरीवाल पर कितना भरोसा करती है।
(नीरज शर्मा'भरथल')
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