पॉलिसी संवाद द्वारा जनजातीय कल्याण के लिए लोक नीति पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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नई दिल्ली- भारत की पहली द्विभाषी लोक नीति पत्रिका पॉलिसी संवाद ने इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक पॉलिसी रिसर्च एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट (IPPRDT) एवं महामना मदन मोहन मालवीय मेमोरियल ट्रस्ट के तत्वावधान में एक ज्ञानवर्धक कार्यशाला का आयोजन किया। "भविष्य का वित्तपोषण: जनजातीय कल्याण और समावेशी विकास के लिए सार्वजनिक नीति और वित्त" विषयक यह कार्यक्रम मालवीय स्मृति भवन, नई दिल्ली में संपन्न हुआ।
कार्यशाला का उद्घाटन पॉलिसी संवाद के संपादक और लोक नीति विश्लेषक गौरव कुमार द्वारा अतिथि सत्कार के साथ किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री अंतर सिंह आर्य, अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, ने अपने संबोधन में लोक नीति के क्षेत्र में सकारात्मक संवाद और इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने में पॉलिसी संवाद की भूमिका की सराहना की। उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने वर्तमान केंद्रीय बजट में जनजाति कल्याण के लिए किए गए विभिन्न प्रावधानों की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने जनजातीय समुदायों के समावेशी विकास हेतु कई प्रभावी कदम उठाए हैं।इसी क्रम में, विशिष्ट अतिथि श्री निरुपम चाकमा, सदस्य, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, ने अनुसूचित जनजातियों के समग्र और समावेशी विकास में लोक वित्त और उसके प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया।
श्रीमती विजया भारती सयानी, पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष एवं सदस्य, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, ने भी कार्यशाला के विषय पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। श्री हरिशंकर सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, महामना मालवीय मिशन ने भी अपने संबोधन में जनजातीय कल्याण और नीति निर्माण की भूमिका पर प्रकाश डाला।
इसके अलावा, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संयुक्त सचिव अमित निर्मल ने अपने विशेष व्याख्यान में जनजातीय कल्याण और समावेशी विकास के लिए सार्वजनिक नीति और वित्त की भूमिका पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
जनजातीय कल्याण की चुनौतियों और अवसरों की खोज करते हुए डोमेन विशेषज्ञों, नीति पेशेवरों और हितधारकों के बीच विचार-विमर्श हुआ। प्रख्यात विद्वानों और विशेषज्ञों के पैनल ने अनुसूचित जनजाति विकास के अतीत, वर्तमान और भविष्य पर चर्चा को समृद्ध किया। प्रमुख वक्ताओं में डॉ. प्रकाश चंद कांडपाल (प्रोफेसर, जेएनयू), प्रो. पवनेश कुमार (इग्नू), श्री चक्षु रॉय (पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च), श्री बिनय कुमार सिंह (वरिष्ठ शोधकर्ता, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी फाउंडेशन), ए. के. चौबे (महासचिव, भारतीय आदिम जाति सेवक संघ), श्री प्रकाश उईके (पूर्व न्यायाधीश), और डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव (असिस्टेंट प्रोफेसर, जेएनयू) शामिल रहे।
कार्यक्रम के दौरान ही पॉलिसी संवाद के दसवें अंक का विमोचन मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया गया। प्रतिष्ठित प्रोफेसरों और विश्लेषकों के एक संपादकीय बोर्ड द्वारा संपादित यह पत्रिका शासन, सामाजिक-आर्थिक विकास और नीति विश्लेषण पर अंतर्दृष्टि प्रदान करती रही है। पॉलिसी संवाद भारत के नीति परिदृश्य के भविष्य को आकार देने वाले विद्वानों के प्रभावशाली संवाद के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम कर रहा है।
कार्यक्रम का समापन डॉ. प्रवीण कुमार झा द्वारा दिए गए धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के लैंप फैलो, विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र, लोक नीति से जुड़े प्रशासनिक अधिकारी व शोधार्थी उपस्थित रहे।
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