अडानी घोटाले में इस्तेमाल कंपनियों में हिस्सेदारी। हिंडनबर्ग रिसर्च 

सेबी प्रमुख परलगाए आरोप।

अडानी घोटाले में इस्तेमाल कंपनियों में हिस्सेदारी। हिंडनबर्ग रिसर्च 

जे.पी. सिंह।
अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी मामले में सेबी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है । हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि अडानी घोटाले में इस्तेमाल की गई ऑफशोर संस्थाओं में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने डॉक्यूमेंट्स का हवाला देते हुए कहा है कि बुच और उनके पति के पास एक ऐसे ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी जिसमें गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी द्वारा बड़ी मात्रा में पैसा निवेश किया गया था।
 
पिछले वर्ष जनवरी में हिडेनबर्ग की रिपोर्ट पर मचा था बवाल।
दरअसल पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। हिंडनबर्ग की अडानी ग्रुप के शेयर्स को लेकर पिछले साल आई एक रिपोर्ट पर खूब बवाल हुआ था। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में मामला उठाया गया था तो सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को ही जाँच का जिम्मा सौंप दिया था और सेबी ने पुरे मामले में लीपापोती कर दीथी। अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर अडानी ग्रुप से ही जुड़े मामले में नया दावा किया है। इस दावे के मुताबिक सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। 
 
हिंडनबर्ग रिसर्च की  जनवरी 2023की रिपोर्ट में पहली बार राजनीतिक तूफान खड़ा करने के करीब 18 महीने बाद आई है, जिसमें अडानी समूह पर “ शेयर बाजार में खुलेआम हेराफेरी” और “अकाउंटिंग धोखाधड़ी” का आरोप लगाया गया था। बंदरगाह से लेकर ऊर्जा तक के कारोबार से जुड़े इस समूह ने इन सभी आरोपों से इनकार किया था; सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई या अदालत की निगरानी में जांच की मांग को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बाजार नियामक सेबी आरोपों की "व्यापक जांच" कर रहा है और मामले में सेबी की जांच "विश्वास जगाती है"। जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए, गौतम अडानी ने कहा था: "सत्य की जीत हुई है...भारत की विकास कहानी में हमारा विनम्र योगदान जारी रहेगा।जनवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि उसे “भारतीय कंपनियों के अपतटीय निवेशकों को नियंत्रित करने वाले मौजूदा नियमों में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है”।
 
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें अडानी ग्रुप पर सबूत किए लगभग 18 महीने हो गए हैं। हमारी रिपोर्ट ऑफशोर में मुख्य रुप से मॉरीशस-आधारित शेल कंपनियों के एक बड़े नेक्सेस का खुलासा किया गया है। इन कंपनियों का उपयोग संदिग्ध अरबो डॉलर के अघोषित संबंधित पार्टी ट्रांजैक्शन, अघोषित निवेश और स्टॉक हेरफेर के लिए किया जाता था। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि हमारी रिपोर्ट की पुष्टि और विस्तार करने वाले 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों के साथ-साथ सबूतों के बावजूद सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। इसके बजाए 27 जून 2024 को सेबी ने हमें एक कारण बताओ नोटिस भेजा है।सेबी ने हमारे 106 पेज के विश्लेषण में किसी भी तथ्यात्मक त्रुटि का आरोप नहीं लगाया, बल्कि यह कहा है कि जो सबूत दिए गए, वे अपर्याप्त हैं।  इतना ही नहीं, हिंडनबर्ग ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड की एक कॉपी भी पेश की है। इस रिकॉर्ड के मुताबिक सेबी चेयरपर्सन के पास अगोड़ा एडवाइजरी नामक कंसल्टेंसी बिजनेस में 99% हिस्सेदारी है, जहां उनके पति एक निदेशक है।
 
रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2022 में एक इकाई ने कंसल्टेंसी से 2,61,000 डॉलर का राजस्व हासिल किया था। हिंडेनबर्ग ने कहा कि अगर सेबी वास्तव में ऑफशोर फंड धारकों को ढूंढना चाहता था तो शायद सेबी चेयरपर्सन को आईने में देखकर इसकी पूरे मामले की शुरुआत करनी चाहिए थी।
गौरतलब है कि हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को अडानी ग्रुप पर शेयर में हेर फेर और ऑडिटिंग फ्रॉड का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। हिंडनबर्ग ने इसे कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बताया था। यह रिपोर्ट समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा प्रकाशित 20,000 करोड रुपए के शेयर बिक्री से पहले आई थी। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर बुरी तरह ध्वस्त हो गए थे।इसका नतीजा यह भी हुआ था कि दुनिया के टॉप-3 सबसे अमीर बिजनेसमैन की लिस्ट शामिल होने वाले अडानी ग्रुप के गौतम अडानी, इस रिपोर्ट के आने के चलते टॉप 40 की लिस्ट से भी बाहर हो गए थे।
 
इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। अडानी को 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था। हाल ही में सेबी ने हिंडनबर्ग को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि फर्म ने गैर-सार्वजनिक जानकारी का इस्तेमाल करके रिपोर्ट से लाभ उठाने उठाने की कोशिश की। इसके लिए हिंडनबर्ग ने अमेरिकी हेज फंड के साथ मिलीभगत की।
 
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हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी वेबसाइट पर इस खुलासे दावा करते हुए इससे संबंधित रिपोर्ट शेयर की। हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि व्हिसलब्लोअर से मिले डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है जिन ऑफशोर संस्थाओं का इस्तेमाल अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में हुआ, उसमें सेबी  अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा सेबी अध्यक्ष और उनके पति धवल बुच के पास ठीक उसी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था। दुबई में रहने वाले विनोद गौतम अडानी के बड़े भाई हैं।
 
 
 
जून 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था। 
 
 
रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि बुच ने 5 जून 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था। कहा जाता है कि ऑफशोर मॉरीशस फंड को इंडिया इंफोलाइन के माध्यम से अडानी के एक निदेशक द्वारा स्थापित किया गया था और यह टैक्स हेवन मॉरीशस में रजिस्टर्ड है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि विनोद अडानी के पैसे के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किए जाने के अलावा इस छोटे से फंड का अडानी से अन्य करीबी संबंध भी था। IPE प्लस फंड के फाउंडर और मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) अनिल आहूजा थे। उसी समय आहूजा अडानी एंटरप्राइजेज के निदेशक थे। इससे पहले वे अडानी पावर के निदेशक थे।
 
 
 
बाजार नियामक सेबी  से संबंधित हितों के टकराव के सवाल उठाते हुए, अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को आरोप लगाया कि "उसे संदेह है कि अडानी समूह में संदिग्ध अपतटीय शेयरधारकों के खिलाफ सार्थक कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच की गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी द्वारा उपयोग किए गए समान धन का उपयोग करने में मिलीभगत से उत्पन्न हो सकती है।माधबी पुरी बुच 2017 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्णकालिक सदस्य बनीं और मार्च 2022 में इसकी अध्यक्ष बनीं।
 
 
इस कहानी को जारी रखते हुए और "व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों" का हवाला देते हुए, हिंडनबर्ग रिसर्च ने अब दावा किया है कि सेबी चेयरपर्सन के पास "अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी।
 
 प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को पत्र लिखा था, जैसा कि व्हिसलब्लोअर से प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है। अमेरिकी फर्म ने आरोप लगाया कि यह ईमेल ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड (जीडीओएफ) में उनके और उनकी पत्नी के निवेश के बारे में था।
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया, "पत्र में धवल बुच ने "खातों को संचालित करने के लिए अधिकृत एकमात्र व्यक्ति होने" का अनुरोध किया, जो राजनीतिक रूप से संवेदनशील नियुक्ति से पहले अपनी पत्नी के नाम से संपत्ति को स्थानांतरित करने जैसा प्रतीत होता है।" माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच वर्तमान में ब्लैकस्टोन और अल्वारेज़ एंड मार्सल में वरिष्ठ सलाहकार हैं। वह गिल्डन के बोर्ड में एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम करते हैं।
फर्म ने आरोप लगाया, "26 फरवरी, 2018 को माधबी बुच के निजी ईमेल को संबोधित एक बाद के खाता विवरण में, संरचना का पूरा विवरण सामने आया है: "जीडीओएफ सेल 90 (आईपीईप्लस फंड 1)"। फिर से, यह फंड का बिल्कुल वही मॉरीशस-पंजीकृत "सेल" है, जो एक जटिल संरचना में कई परतों में पाया गया है, जिसका कथित तौर पर विनोद अडानी द्वारा उपयोग किया गया था।"हिंडेनबर्ग ने बताया कि उस समय बुच की हिस्सेदारी का कुल मूल्य 872,762.25 अमेरिकी डॉलर था।
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया, "अगर सेबी वाकई ऑफशोर फंड धारकों को ढूंढना चाहता था, तो शायद सेबी के अध्यक्ष को आईने में देखकर शुरुआत करनी चाहिए थी।" 
 
  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी ने अडानी के ऑफशोर शेयरधारकों को किसने फंड किया, इस बारे में उसकी चिंताओं से सहमति जताई, लेकिन फर्म ने आरोप लगाया, "यह स्पष्ट है कि सेबी ने इस जांच में कोई सफलता नहीं पाई है।"

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