दिल्ली यूनिवर्सिटी में दिल्ली सरकार द्वारा वितपोषित 12 काॅलेजो की बदहाली पर डीयू प्रशासन एक्टिव

दिल्ली यूनिवर्सिटी में दिल्ली सरकार द्वारा वितपोषित 12 काॅलेजो की बदहाली पर डीयू प्रशासन एक्टिव

स्वतंत्र प्रभात।एसडी सेठी।

दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटीज  के दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 काॅलेजो में पेश आ रह आर्थिक बदहाली को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के एतिहास में पहली बार 102 साल बाद यह पहली घटना है, जब एक्जिक्यूटिव काउंसिल  और एकेडमिक काउंसिल की ज्वाइंट मीटिंग कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह की अध्यक्षता में बुलाई  गई है। बैठक में दिल्ली सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्त पोषित 12 काॅलेजो की आर्थिक  बदहाली पर गहन विचार विमर्श हुआ। साथ ही बैठक में इन 12 काॅलेजो को दिल्ली यूनिवर्सिटी का अहम हिस्सा भी बताया। इसके अलावा इन काॅलेजों को भी  यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ( यूजीसी) के अंडर लाने की सिफारिश भी की गई। इस बावत दिल्ली यूनिवर्सिटी कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा के मुताबिक प्रो. प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में सर्वसम्मति से कमेटी की सिफारिश को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए दिल्ली सरकार को पत्र लिखने पर सहमति बनी है।

जिससे दिल्ली सरकार द्वारा  वित्तपोषित 12 काॅलेजो की आर्थिक दयनीय स्थिति सही होने की उम्मीद जागी है। यूनियन अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा के मुताबिक दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित काॅलेजो, जिनमें आचार्य नरेंद्र देव काॅलेज,अदिति काॅलेज,भगिनी निवेदिता काॅलेज,भास्कराचार्य काॅलेज,दीनदयाल उपाध्याय काॅलेज,इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट आफ फिजिकल एंड स्पोर्ट्स साईंस, केशव महाविद्यालय शामिल है। वहीं इन काॅलेजो में एक दशक से शिक्षको की स्थाई नियुक्तिया न होने के कारण छात्रों की शिक्षा पर सीधा असर पड रहा है। श्री शर्मा के मुताबिक जो तदर्थ शिक्षक लंबे समय से इन काॅलेजो में पढा रहे थे, पिछले दो सालों में वह भी दूसरे काॅलेजो में स्थाई होकर चले गए। बता दे कि इन 12 काॅलेजो की माली हालत भी बेहद खराब है।

स्टाफ को सैलरी समेत, मेडिकल, एलटीसी खर्चो की पेमेंट के लिए राशि तक समय पर मुहैया तक नहीं होती  है। वेतन से मोहताज परेशान कर्मचारी मजबूरी में आंदोलन कर रहे है। दिल्ली सरकार द्वारा पिछले पांच वर्षो में 50 फीसदी तक फंड में कटौती के कारण ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि इन काॅलेजो को बंद होने तक की नौबत आ सकती है। बता दें कि इन 12 काॅलेजो में  फिलहाल 1512 शिक्षको की आवश्यकता है,पर इसके  मुकाबले सिर्फ 824 शिक्षक है। जिनमें 528 शिक्षक स्थाई और 296 तदर्थ शिक्षक है। 

वहीं इन काॅलेजो में गैर-शिक्षण कर्मचारियो की भी यही हालत है। जबकि आवश्यकता 1366 कर्मचारियों की है। इनमें भी 483 स्थाई और 285 संविदा कर्मचारियों को मिलाकर कुल665 कर्मचारी है। इसके अलावा इन काॅलेजो में प्रयोगशालाए,कार्यालय, पुस्तकालय, सामान्य रखरखाव आदि सभी बुरी कंडीशन में है। बहरहाल दिल्ली यूनिवर्सिटी कर्मचारी यूनियन अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा का मानना है कि मीटिंग में कमिटी की सिफारिशो को लागू करने संबंधी दिल्ली सरकार को लिखे पत्र से इन काॅलेजो की वित्तीय स्थिति सही होने की आशा जागी है। इसके लिए यूनियन ने  यूनिवर्सिटी प्रशासन का आभार जताया है।

 
 

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