खाद की किल्लत से जूझ रहे किसान फसलों को हो सकता हैं भारी नुकसान

खाद की किल्लत से जूझ रहे किसान फसलों को हो सकता हैं भारी नुकसान

सिद्धार्थनगर। जिले में में डीएपी खाद को लेकर किसान दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए हैं. बर्डपुर से लेकर लोटन, नौगढ़ , उसका  शोहरतगढ़  समेत अन्य क्षेत्रों  का यही हाल है। खेतों में रबी की फसल की बुआई होने  है, लेकिन किसानों को खाद  नहीं मिल पा रही है . खाद  की किल्लत से किसान जूझ रहे हैं और खाद के लिए किसान रात से ही लंबी लाइन लगाने को मजबूर हैं, लेकिन फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है।
 
 जिले में ये हाल है कि किसान रात  के अंधेरे से ही लाइन में लग जाते हैं लेकिन उन्हें डीएपी नहीं मिल रही है। किसानों का आरोप है कि पैसेवालों और परिचित लोगों को ही अंदर से खाद दे दी जाती है। जबकि गरीब लोग लाइन में खड़े रह जाते हैं। किसान खतौनी की नकल और आधार कार्ड लेकर कई दिनों से दौड़ रहे हैं। साधन सहकारी समितियां पर लंबी-लंबी लाइनें देखने को मिल रही है और साथ ही डीएपी खाद न होने के कारण कुछ साधन सहकारी समितियां बन्द रहती है।
 
सिद्धार्थनगर जिले पांचों तहसीलों  के हालात  यही है,यहां भी डीएपी खाद को लेकर मारामारी चल रही है.  किसानों को जरूरत के अनुसार खाद नहीं मिल पा रही. बिचौलियों ने खाद पर कब्जा कर लिया है. जिला प्रशासन को 3 एकड़ पर 1 से 2 बोरी देने का ही निर्देश दिया है. जो किसानों के लिए नाकाफी है।किसानों का कहा कि इस समय  गेहूं की बुवाई में डीएपी खाद की समस्या से किसान जूझ रहा है. जहां सरकार के द्वारा बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जा रही हैं. वहीं समितियों पर एक-दो बोरी ही खाद किसानों को दी जा रही है. कई बार तो किसानों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है। समय से खाद नहीं मिल पाने से किसान बेहद परेशान हैं।
 
क्या कहते हैं अधिकारी
 एडीओ सहकारिता अम्बरीश यादव ने बताया कि क्षेत्र  के  सहकारी समितियां  पर जल्द ही डीएपी खाद उपलब्ध हो जाएगी डीएपी खाद आ रही है जिसे डिमांड के आधार पर समितियों पर पहुंचाया जा रहा है।

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

श्रम मानक तय करे सरकार, श्रमिकों का शोषण नहीं किया जाना चाहिए।: सुप्रीम कोर्ट। श्रम मानक तय करे सरकार, श्रमिकों का शोषण नहीं किया जाना चाहिए।: सुप्रीम कोर्ट।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जल आयोग द्वारा दो एडहॉक कर्मचारियों को अचानक बर्ख़ास्त कर देने के ख़िलाफ़ याचिका...

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel

साहित्य ज्योतिष

संजीव-नी।
संजीव-नी।
संजीव -नी।
संजीव-नी।
संजीव-नी|