aaj ki kavita
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।

संजीव-नी। एक दिया इधर भी। एक दिया छत की मुंडेर पर जला आना, जहां साया होता है गहन तमस का।     एक दिया उस बूढ़ी मां के कमरे के आले पर जला आना, जहां बेटे,बहू ,नाती,नातीने जाने से कतराते हों।     एक दिया...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी। 

संजीव-नी।  इतनी बे-असर दुआएं क्यों हैं। ?     इतनी खामोश हवाएं क्यों है,  इतनी गमगीन फिजाएं क्यों है।     बीमार ए-दिल में बे-असर दवाएं अब इतनी बे-असर दुआएं क्यों हैं।     दर्द हमारा तो ला- इलाज है, बे-असर इतनी दवाएं क्यों हैं ।    नजरें...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।।

संजीव-नी।। संजीव-नी।। आनंद तो जीवन में चलते जाना ही हैंl    मुझे फेके गए पत्थर अपार मिले, फक्तियाँ,ताने बन कर हार मिले।    शौक रखता हूं सब के साथ चलने का, कही ठोकरे,कही जम कर प्यार मिले।    जीवन बीता आपा-धापी में ही यारों,...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

सामना

सामना सामना रुख पहाड़ों की तरफ कियातो समझ आयाजन्नत इस धरा पर भी है। रुख बादलों की तरफ कियातो समझ आयाबदमाशी इनमें भी है। रुख बहती नदी की तरफ कियातो समझ आयाजीवन का बहाव इनमें...
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परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं, -संजीव-नी

परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं, -संजीव-नी       परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं,     परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं,  तश्वीर में लहु का रंग मिलाता हूं ।।     जिंदगी से तिरी तो गुजर ही गया ,  पर सांसों में तुझे हर पल पाता हूं ।    तस्वीरों पर तेरी...
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