aaj ki kavita
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।।

संजीव-नी।। संजीव-नी।। आनंद तो जीवन में चलते जाना ही हैंl    मुझे फेके गए पत्थर अपार मिले, फक्तियाँ,ताने बन कर हार मिले।    शौक रखता हूं सब के साथ चलने का, कही ठोकरे,कही जम कर प्यार मिले।    जीवन बीता आपा-धापी में ही यारों,...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

सामना

सामना सामना रुख पहाड़ों की तरफ कियातो समझ आयाजन्नत इस धरा पर भी है। रुख बादलों की तरफ कियातो समझ आयाबदमाशी इनमें भी है। रुख बहती नदी की तरफ कियातो समझ आयाजीवन का बहाव इनमें...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं, -संजीव-नी

परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं, -संजीव-नी       परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं,     परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं,  तश्वीर में लहु का रंग मिलाता हूं ।।     जिंदगी से तिरी तो गुजर ही गया ,  पर सांसों में तुझे हर पल पाता हूं ।    तस्वीरों पर तेरी...
Read More...

Advertisement